गन्ने की पत्तियों का लाभदायक निस्तारण

                           गन्ने की पत्तियों का लाभदायक निस्तारण

                                                                                                                                              डॉ0 आर. एस. सेंगर, डॉ0 रेशु चौधरी एवं आकांक्षा सिंह

गन्ने की कटाई के बाद उसक बची पत्तियों से बनाएं खाद और कीटनाशक

                                                                           

इन दिनों गन्ने की फसल की कटाई लगभग पूरी हो चुकी है। ऐसे में गन्ने की बची हुई पत्तियों का अगर खेत में ही निस्तारित किया जाए तो मृदा स्वास्थ्य में सुधार होगा. पताई का खेत में निस्तारण होने से ऑर्गेनिक कार्बन की मात्रा बढ़ती है. वहीं पत्तियों को खेत में जलाने से मित्र कीट मर जाते हैं. जिसका सीधा असर फसल के उत्पादन पर पड़ता है।

सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ0 आर. एस. सेंगर ने बताया कि गन्ने की पत्तियों को लाइनों में सेट करने के बाद पानी चला दें. पानी इतना चलाएं की पत्तियां डूब जाए. उसके बाद 4 किलोग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से ऑर्गेनो डीकंपोजर, 2 क्विंटल गोबर की सड़ी खाद में मिलाकर गन्ने की पत्तियों के ऊपर डाल दें. 30 से 35 दिन के बाद गन्ने की पत्तियां सड़ कर खाद में तब्दील हो जाएगी. ऐसा करने से गन्ने में फुटाव अच्छा होगा. निकलने वाले कल्ले मजबूत होंगे।

गन्ने की पत्तियों से खरपतवार नियंत्रण

डॉ. आर. एस. सेंगर ने बताया कि गन्ने की पताई का खेत निस्तारण कर खरपतवार नियंत्रण भी किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि गन्ने की कटाई के बाद पत्तियों को गन्ने की दो लाइनों के बीच में इक्कठा कर उसकी मल्चिंग कर दें. जिससे सड़कर उसकी खाद तैयार हो जाएगी और गन्ने में खरपतवार भी नहीं उगेंगे।

खेत में पत्तियों के निस्तारण से प्राप्त होने वाले लाभ

                                                          

डॉ. सेगर ने बताया कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश की मिट्टी में ऑर्गेनिक कार्बन लगातार कम होता जा रहा है। ऐसे गन्ने की कटाई के बाद पत्तियों को अगर खेत में ही निस्तारित किया जाता है तो मिट्टी में ऑर्गेनिक कार्बन की मात्रा बढ़ जाती है। जिससे मिट्टी की जल धारण क्षमता बढ़ेगी और इसके अलावा किसानों को गन्ने का अधिक उत्पादन भी मिलता है।

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।