उदय नए भारत का

                                    नए भारत का उदय

                                                                                                                                                                                 डॉ0 आर. एस. सेंगर

                                                                              

     भारतवर्ष में स्टार्टअप्स का विधिवत शुभारम्भ वर्ष 2008 से माना जाता है जब वैश्विक आर्थिक मन्दी के दौर में आईटी आधारित स्टार्टअप्स बेहतरी की एक नई सम्भावना के रूप में सामने आये थे। परन्तु देश में स्टार्टअप्स ने गति 16 जनवरी 2016 के बाद पकड़ी जब भारत सरकार ने स्टार्टअप इण्डिया अथयान की शुरूआत की गई। वर्तमान समय में विश्व का तीसरा सबसे विशाल स्टार्टअप नेटवर्क भारत में ही उपलब्ध है। इनकी संख्या में वार्षिक वृद्वि दर 12 से 15 प्रतिशत आंकी गई है।

मुख्य रूप से युवाओं के द्वारा स्टार्टअप को बड़े पैमाने पर अपनाया जा रहा है जिसमें लगभग 12 से 14 प्रतिशत तक महिलाएँ भी शामिल हैं। देश के ज्यादातर राज्यों ने स्टार्टअप को प्रोत्साहन देने के लिए विशेष नीतियाँ भी बनाई हैं। भारत सरकार द्वारा कृषि स्टार्टअप्स को तकनीकी और वित्तीय प्रोत्साहन देने के लिए कुछ प्रभावशाली योजनाओं को भी लागू किया है। कृषि स्टार्टअप के माध्यम से रोजगार एवं किसानों की समृद्वि के लिए उनकी आमदनी में वृद्वि की सम्भावनाएँ ओर भी बेहतर हुई हैं।

     16 जनवरी वर्ष 2016 को जब भारत के प्रधानमंत्री के द्वारा स्टार्टअप इण्डिया कार्यक्रम की शुरूआत की गई थी तब उन्होने कहा था कि स्टार्टअप की सफलता केवल एंटरप्रेन्यारशिप की क्वालिटी से ही नही है। रिस्क टेकिंग कैपेसिटी, ऐडवेंचर करने का इरादा यह सब इसके साथ ही जुड़ता है और तब जाकर हम दुनिया को कुछ नया दे सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि ‘‘हमारे देश में नौकरी करने वालों की बजाय नौकरी पैदा करने वालों का राष्ट्र बनाने में ही इसका समाधान है।’’

     आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए गांव, जिला एवं राज्य और केन्द्रीय स्तरों पर उद्योग जगत, शिक्षाविदों तथा सरकारों के मध्य एक व्यापक सहयोग की आवश्यकता हैं इस प्रकार के तालमेल से कोविड-19 संकट से निपटने में भी हमें काफी सफलता प्राप्त हुई है, और यदि हम आगे भी इसी तालमेल के साथ कार्य करते रहे तो वर्ष 2024 तक भारत 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाने का लक्ष्य प्राप्त कर सकता है।

     उल्लेखनीय है कि विश्व का हर नौवां कृषि तकनीकी स्टार्टअप भरत से ही हैं। गत दशक में एक बड़ी संख्या में शिक्षित युवा कृषि क्षेत्र से जुड़े हैं। इन युवाओं के पास नई तकनीक एवं कारोबारी मॉडल को आरम्भ करने का उत्साह तथा नवाचारी विचार है। स्टार्टअप कृषि मूल्य श्रंखला की छूटी हुई कडियों को जोड़ रहे है तथा किसानों को कारगर उत्पाद तकनीक एवं सेवाएँ प्रदान कर रहे हैं। स्टार्टअप को मान्यता प्रदान करने के साथ ही स्टार्टअप इण्डिया ने कृषि स्टार्टअप की सहायता के लिए एग्रीकल्चर ग्रैंड चैलेंज और नेशनल स्टार्टअप अवार्ड जेसे कई कार्यक्रम एवं चुनौतियों को भी आरम्भ किया गया है।

     खाद्य प्रसंस्करण के मामले में भारत विश्व के शीर्ष देशों में शामिल है। प्रसंस्काण उद्योग में नित नए अवसर सृजित हो रहे हैं। वर्ष 2024 तक इस क्षेत्र में लगीाग 90 लाखा लोागें को रोजगार प्राप्त होने की सम्भावना है। भारत के प्रधानमंत्री के द्वारा ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ में सूक्ष्म खाद्य उद्यमों को औपचारिक रूप प्रदान करने के लिए 10 हजार करोड रूपये का प्रावधान किया गया है। इस राशि से 2 लाख सूक्ष्म उद्यमों को सहायता प्रदान की जा रही है।

                                                                         

     हाल ही में केन्द्र सरकार ने कृषि सुधरा से सम्बन्धित तीन नए कानून संसद में पारित किये हैं। किसानों को जहाँ इन कृषि सुधारों को बहुत सी सुविधाएँ और अपनी उपज को कहीं भी और किसी को भी बेहतर दामों पर बेचने की स्वतंत्रता प्राप्त हुई है, वहीं इसके माध्यम से कृषि क्षेत्र में नए स्टार्टअप्स और उद्यम हेतु भी दरवाजे खुले हैं। लॉकडाउन के दौरान कृषि उद्यमिता के क्षेत्र में कई नए प्रयोग हमारे देश में किये गये जिनमें से कुछ की चर्चा तो प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने 25 अक्टूबर 2020 को प्रसारित अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में भी की थी।

प्रधानमंत्री ने बताया कि किस प्रकार से झारखण्ड राज्य की स्वयंसहायता समूह की महिलाओं ने आजीविका फॉर्म फ्रेश नामक एक एप बनाकर लोागें के घरों तक फलों एवं सब्जियों आदि की डिलिवरी की जिससे न केवल किसानों को अपनी सब्जियों के अच्छे दाम प्राप्त हुए बल्कि लोगों को ताजे फल एवं सब्जियाँ प्राप्त होते रहे। यहाँ आजीविका फॉर्म फ्रेश ऐप का विचार बहुत लोकप्रिय हो रहा है।

भारत सरकार ने जो हाल ही में तीन नए कृषि कानून पारित किए हैं, उनके सन्दर्भ में भी प्रधानमंत्री ने ऐ उदाहरण देते हुए बताया कि महाराष्ट्र की एक फर्म प्रोड्यूसर कंपनी ने मक्के की खेती करने वाले किसानों से मक्का की खरीद के दौरान इस बार मक्का के मूल्य के अतिरिक्त बोनस भी दिया गया जिससे किसानो को एक सुखद आश्चर्य हुआ।

     वर्तमान में हमारा देश जनांकिकीय लाभ की स्थिति में है। आज हमारे देश में आश्रित जनता की अपेक्षा 15 से 59 वर्ष की कार्यशील जनसंख्या अधिक हैं ण्ेसे में आज यह बहुत आवश्यक है कि हम स्कूलों, विश्वविद्यालयों और उद्योगों के स्तर पर नवाचार और उद्यमिता की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए व्यवसायिक, तकनीकी और प्रबन्धकीय कौशल विकसित करने पर अपना ध्यान केन्द्रित करें और राष्ट्र निर्माण की गतिविधियों के ्रपति इस युवा ऊर्जा को एक सार्थक दिशा प्रदान करने का प्रयास करें।

     प्रधामंत्री के 13 जनवरी, 2020 को विश्व युवा दिवस के अवसर पर अपने संबोधन में कहा था ‘‘आज देश के युवाओं के सामर्थ्य से एक नए भारत का निर्माण हो रहा है। एक ऐसा नया भारत जिसमें इज ऑफ डूइंग बिजनेस भी किया जा रहा है और इज ऑफ लिविंग का भी। एक ऐसा नया भारत जिसमें लाल बत्ती कल्चर नही है, जिसमें प्रत्येक व्यक्ति बराबर और प्रत्येक व्यक्ति महत्वपूर्ण है। एक ऐसा नया भारत जिसमें अवसर भी हैं और उडने के लिए पूरा आसमान भी है।’’

     संक्षेप में, युवा शक्ति को सही मायनों में राष्ट्र शक्ति बनाने का एक व्यापक प्रयास आज देश में देखने को मिल रहा है। कौशल विकास से लेकर मुद्रा लोन तक हर प्रकार से युवाओं की सहायता की जा रही है। स्टार्टअप इण्डिया हो या फिट इण्डिया अभियान हो या फिर खेलों इण्डिया, यह सभी अभियान युवाओं पर ही केन्द्रित हैं। सरकार युवा नेतृत्तव पर जोर दे रही है, हाल ही में डीआरडीओ में डिफेंस रिर्सच से जुड़ी 5 वैज्ञानिक लैब में रिर्सच से लेकर मैनेजमेंट तक पूरा नेतृत्व 35 वर्ष से कम आयु वर्ग के वैज्ञानिाकें को दिया गया है।

यही है ‘‘नया भारत, आत्मनिर्भर भारत’’! आइये हमस ब भारतवासी नए आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान प्रदान करें। आज जब अवसर भी है और एक खुला आसमान भी...... तो क्यों न हम अपने सपनों को उड़ान दें और पूरी लगनके साथ उन्हें पूरा करने के लिए जुट जाएं।

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।