मलेरिया के लक्षण दिखते ही करें बचाव के उपाय

                      मलेरिया के लक्षण दिखते ही करें बचाव के उपाय

                                                                                                                                                    डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा

                                                                  

मलेरिया का प्रभाव कम हुआ है लेकिन पर्यावरण में बदलाव के कारण यह वहां भी होने लगा है जहां पर नहीं होता था। इसलिए सतर्क रहकर मलेरिया से बचने की आवश्यकता है। मलेरिया से बचाव के लिए तेजी से उपाय हो रहे हैं और इसमें काफी हद तक सफलता भी मिली है। दूसरी ओर धरती का औसत तापमान बढ़ने और पर्यावरण में बदलाव के आने से अब मलेरिया के मच्छर वहां भी पनप रहे हैं जहां पहले नहीं पाए जाते थे। जैसे तटीय और हिमालय क्षेत्र में मलेरिया कम फैला था।

इसका एक कारण शहरीकरण और स्लम क्षेत्र का बढ़ना भी है। पिंड क्षेत्र में सक्रिय घरों साफ सफाई की कमी पानी का जमाव होने से मलेरिया के मच्छरों को पनपना का मौका मिलता है। इन दोनों पेड़ों से पत्ते गिरने से वह जमा होते हैं गंदगी बढ़ती है इससे भी मलेरिया को आमंत्रण मिलता है। ध्यान देने की आवश्यकता है कि कुछ ऐसे कारण भी हो सकते हैं जिनके बारे में हम ध्यान नहीं दे पाए जैसे घरों के अंदर इंदौर प्लांट को यदि समय-समय पर बाहर नहीं निकाल कर रखते हैं तो मलेरिया के मच्छरों के पनपना की आशंका बढ़ जाती है।

                                                                        

साथ ही जीमेल की मिट्टी की गुड़ाई कर देनी चाहिए जिससे मलेरिया के नियंत्रण में सहायता मिलती है क्योंकि मलेरिया से संबंधित जो मच्छर हैं उसे गमले में नहीं पढ़ पाते हैं।

कभी-कभी जटिल हो जाती है बीमारी

मलेरिया मादा एनाफिलीज मच्छर द्वारा फैलता है। यह गंभीर वह कभी-कभी घातक भी हो सकता है। अधिकतर रोगी उपचार के बाद जल्दी ठीक हो जाते हैं पर ध्यान रहे कि यदि उपचार में देरी करते हैं तो यह गंभीर मलेरिया एनीमिया सेरेब्रल मलेरिया कॉम या मृत्यु का कारण भी बन सकता है।

प्लाज्मोडियम फलसिपारूम के कारण अधिक मौत होती है। प्लाज्मोडियम विवेक्स सभी मलेरिया प्रजातियों में सबसे व्यापक है।

इन लक्षणों पर ध्यान देने की आवश्यकता

मानव शरीर मैं प्रवेश हो जाने के बाद एनाफिलीज यकृत यानी लीवर में गुणात्मक रूप से बढ़ते हैं और फिर लाल रक्त कोशिकाओं को संक्रमित करते हैं। बुखार, ठंड लगना, सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द एवं थकान जैसी समस्याएं होने लगती है।

कैसे बचे मलेरिया से

                                               

  • लक्षण महसूस होने पर तुरंत जांच करना चाहिए।
  • सोते समय मच्छरदानी का उपयोग अवश्य करना चाहिए।
  • दवाई चिकित्सक के परामर्श से ही लेनी चाहिए, बीच में छोड़ने नहीं चाहिए। जब तक डॉक्टर खाने की सलाह दें तब तक खाएं।
  • शयन कक्ष में कीटनाशक का छिड़काव भी कर सकते हैं लेकिन सोने से पहले इस कार्य को करें और जब गैस बाहर निकल जाए उसको शयन कक्ष में सोए।
  • घर के आसपास पानी का जमाव न होने दें।
  • पानी के पात्रों के ढक्कन को बंद रखें।
  • घरों में कूड़ेदान का प्रयोग करें व ढक्कन को खुला ना छोड़े।
  • कूड़ेदान की प्रतिदिन सफाई करें जिससे उसमें मच्छर न पनप पाए।

लेखकः दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मा जिला अस्पताल मेरठ में मेडिकल ऑफिसर हैं।