सब्जियों की खेती करने वाले किसानों को मिली नई तकनीक

           सब्जियों की खेती करने वाले किसानों को मिली नई तकनीक

                                                                                                                                   डॉ0 आर. एस. सेंगर, डॉ0 रेशु चौधरी एवं हिबिस्का दत्त

किसान इस नई तकनीक का उपयोग करके 50 प्रतिशत अधिक उत्पादन प्राप्त कर उससे बढ़ा सकते हैं अपनी आय

                                                             

अब हर मौसम में सब्जियों की खेती (Vegetable Farming) कर सकेंगे किसान, कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा विकसित की गई एक नई तकनीक।

Vegetable Farming: वर्तमान समय में किसान खेती में नई-नई प्रौद्योगिकी के प्रयोग करने के माध्यम से पहले से बेहतर पैदावार के साथ ही अधिक मुनाफा भी कमा रहे हैं। देश में अभी भी पारंपरिक तरीके से फसलों/सब्जियों की खेती की जाती है। लेकिन कई किसान तो अब पॉली हाउस तकनीक के जरिए ऑफ सीजन की फल-सब्जियों को उगाकर मोटा मुनाफा कमाने में भी पीछे नही हैं।

हालांकि, पॉली हाउस तकनीक के थोड़ी महंगी होने के कारण सभी किसान इसका लाभ नहीं उठा पाते हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए बिरसा कृषि विश्वविद्यालय रांची के कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा पॉली हाउस की नई तकनीक Vegetable Farming विकसित की गई है, जो कि न केवल किफायती होगी, बल्कि इसमें हर मौसम की फल-सब्जियों को भी उगाया जा सकेगा। हमारे विशेषज्ञ एवं कृषि वैज्ञानिक डॉ0 राकेश सिंह सेंगर बता रहे है इस तकनीक के विषय में विस्तार से-

                                                                 

Vegetable Farming: ज्ञात हो कि कृषि वैज्ञानिकों ने “छत विस्थापित पॉली हाउस” तकनीक का विकास किया है। इस पॉली हाउस तकनीक के माध्यम से किसान पूरे साल भर खेती तो कर ही पाते हैं। लेकिन, इस दौरान उन्हें विभिन्न समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है। विशेष रूप से गर्मियों के मौसम में, जिस समय अधिक तापमान को नियंत्रित करना मुश्किल हो जाता है।

इसी समस्या का हल निकालते हुए बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों ने एक ऐसी नई तकनीक विकसित की है, जिसकी सहायता से किसान जब चाहे मौसम के अनुसार पॉली हाउस की छत को बदल पाने में सक्षम होगे। जिससे वर्ष भर गुणवत्तापूर्ण फल और सब्सिजों का उत्पादन हो पाएगा।

इस तकनीक से 50 फीसदी तक उत्पादन भी बढ़ेगा

                                                              

पॉलीहाउस या ग्रीन हाउस की तकनीक Vegetable Farming की खेती में विभिन्न विशेषताओं को ध्यान में रखती है। यह वातावरण के नियंत्रण, पौधों की वृद्धि, फसलों की सुरक्षा, और उचित देखभाल के माध्यम से उन्हें उचित मात्रा में पोषण प्रदान करने के लिए डिजाइन किया जाता है। इसके अलावा, पॉलीहाउस के निर्माण में कुछ विशेष तकनीकी दिशानिर्देशों का पालन करना भी आवश्यक होता है।

जैसे कि उचित वातावरण, पौधों की सही देखभाल, और फसलों की उचित उत्पादकता। इस प्रकार, पॉलीहाउस तकनीक की आवश्यकता उचित वातावरण, पौधों की वृद्धि, और फसलों की सुरक्षा के संदर्भ में तो अति महत्वपूर्ण है। इस विधि का प्रयोग करने से खुले खेत में खेती की तुलना में सब्जियों की विपणन योग्य गुणवत्ता कम से कम 50 फीसदी और उत्पादकता 30 से 40 फीसदी तक बढ़ जाती है।

कैसे काम करता है “छत विस्थापित पॉली हाउस”?

                                                                    

इस पॉलीहाउस में छत को छोड़कर बाकी पूरा स्ट्रक्चर यूवी स्टेबलाइज्ड कीड़ा रोधी प्लास्टिक से कवर किया हुआ रहता है। गर्मी के मौसम में यह यूवी स्टेबलाइज्ड फिल्म (200 माइक्रोन) से ढंका हुआ रहता है, जबकि जाड़े के मौसम में हरे शेड-नेट से कवर किया हुआ रहता है। इस नए विकसित पॉलीहाउस Vegetable Farming की खासियत यह मौसम के अनुरूप काम करने के लिए डिजाइन किया गया है।

नवंबर से फरवरी तक पॉलीहाउस के रूप में काम करता है, जबकि जून से अक्टूबर तक यह रेन शेल्टर के रूप में काम करता है और फिर मार्च से मई तक यह शेड नेट के रूप में काम करता है। इसमें मिट्टी और वायु के तापमान ओर प्रकाश की तीव्रता को नियंत्रित करके इसे साल भर खेती के लिए उपयुक्त बनाता है। इससे सब्जियों की उत्पादकता बढ़ती है।

खेती-बाड़ी एवं नई तकनीकी से खेती करने हेतु समस्त जानकारी के लिए हमारी वेबसाईट किसान जागरण डॉट कॉम को देखें। कृषि संबंधी समस्याओं के समाधान एवं हेल्थ से संबंधित जानकारी हासिल करने के लिए अपने सवाल भी उपरोक्त वेबसाइट पर अपलोड कर सकते हैं। विषय विशेषज्ञों द्वारा आपकी कृषि संबंधी जानकारी दी जाएगी और साथ ही हेल्थ से संबंधित सभी समस्याओं को आप लिखकर भेज सकते हैं, जिनका जवाब हमारे डॉक्टरों के द्वारा दिया जाएगा।

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।