जलवायु परिवर्तन एवं वैश्विक गरमाहट यानी ग्लोबल वार्मिंग में मीथेन रोल

जलवायु परिवर्तन एवं वैश्विक गरमाहट यानी ग्लोबल वार्मिंग में मीथेन रोल

                                                डॉ0 आर. एस. सेंगर, डॉ0 रेशु चौधरी एवं मुकेश शर्मा

सम्पूर्ण ब्रम्हाण्ड हमारे एक मात्र जीवनदाता ग्रह पर जलवायु परिवर्तन के सन्दर्भ में मानव.जनित विनाश लीला इसी प्रकार से चलती रहीए तो जीवन की कड़ियां जल्द ही टूटने लगेंगी। वैसे भी एंथ्रोपोसीन काल में जीव प्रजातियों के छठे महाविनाश की लीला भी चल रही है और ऐसा अनुमान लगाया जाता है कि इस शताब्दी के अंत तक पृथ्वी से लगभग आधी जीव प्रजातियां काल के गाल में समा जाएंगी।

जलवायु परिवर्तन का सीधा संबंध मानव कार्यकलापों से सम्बन्धित है। इस वर्ष फरवरी माह ने पृथ्वी पर ज्ञात जलवायु इतिहास में गर्माहट की एक ऊंची छलांग लगाईए और अब आगे के महीने गर्मी की अनन्य कथाएं रचने जा रहे हैं। इसके संकेत उत्तरी अमेरिका से मिलने प्रारंभ हो गए हैंए जहां कनाडा में ओंटारियो प्रांत के पीटरबरो शहर का तापक्रम 13 अप्रैल को 30-6 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गयाए जबकि यहां का ताप इन दिनों सामान्यतः शून्य से नीचे रहता था।

               

इस बीच, वातावरण में अबाध रूप से बढ़ती कार्बन डाई ऑक्साइड के अतिरिक्त जलवायु विशेषज्ञों की दृष्टि सार्वभौमिक गर्माहट के एक और जिन्न पर जमी हैए वह है मीथेन। यूएस नेशनल ओशनिक ऐंड एटमोस्फियरिक एडमिनिस्ट्रेशन ने विगत दिनों बताया था कि वातावरण में मीथेन उत्सर्जन की 2022 में चौथी उच्चतम वार्षिक वृद्धि हुई है, जो कि ग्रीनहाउस गैसों में समग्र वृद्धि का हिस्सा है।

यद्यपि सार्वभौमिक गर्माहट के लिए मुख्य रूप से कार्बन डाई ऑक्साइड पर ही ध्यान दिया जाता हैए ग्लास्गो जलवायु समझौते के बाद वैज्ञानिक विशेष रूप से मीथेन के स्तर को लेकर अधिक चिंतित हैं। यह इसलिए भी कि मीथेनए कार्बन डाई ऑक्साइड की तुलना में बीस वर्ष के पैमाने के आधार पर 87 प्रतिशत अधिक गर्माहट पैदा करने में सक्षम है। इसलिए जब वैज्ञानिक एक दशक में कार्बन उत्सर्जन में 45 प्रतिशत की कमी लाने की सलाह दे रहे हैंए तब मीथेन उत्सर्जन पर नियंत्रण सबसे अच्छे विकल्पों में से एक विकल्प बनता है।

मीथेन उत्सर्जन जिन स्रोतों से होता है, उनमें प्रमुख हैं- तेल के कुएं, प्राकृतिक गैस लीक, लैंडफिल, पशुधन, कार्बनिक खाद के तालाब, दलदल और जल-भरे धान के खेत। वास्तव में कार्बनिक पदार्थों की अपघटन प्रक्रिया में जहां भी ऑक्सीजन की कमी होती है और इस प्रक्रिया में सूक्ष्मजीवों की बहुलता होती है, वहां कार्बन का उत्सर्जन कार्बन डाई ऑक्साइड के रूप में कम और मीथेन के रूप में अधिक होता है। उपयुक्त प्रबंधन किया जाए तो मीथेन एक उपयोगी ईंधन गैस है, लेकिन वातावरण में इसका बढ़ता जमाव पृथ्वी के जीवन के भविष्य को भी जला रहा है।

                                  

जलवायु परिवर्तन प्रक्रिया को नियंत्रित करने की दिशा में प्रकृति के कार्बन चक्र में मीथेन निर्माण प्रक्रिया को अत्यंत धीमा करना बहुत आवश्यक है। एनओएए प्रशासक रिक स्पिनरॉड ने एक रिपोर्ट में कहा है रू श्वर्ष 2022 में एनओएए वैज्ञानिकों द्वारा किए गए विभिन्न अवलोकन बताते हैं कि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन खतरनाक गति से बढ़ रहा है और हजारों वर्षों तक वातावरण में बना रहेगा। यह समय ग्रीनहाउस गैसों के प्रदूषण को नियंत्रित करने और मानव. जनित उत्सर्जन को कम करने का हैए क्योंकि हमें एक जलवायु.अनुकूल विश्व की ओर बढ़ना है।

वर्ष 2022 में वातावरण में मीथेन का औसत स्तर 14 भाग प्रति अरब से बढ़कर 1,911.9 पीपीबी (पार्ट्स पर बिलियन, यानी भाग प्रति अरब) हो गया। 2020 में यह 15.20 पीपीबी और 2021 में 17.75 पीपीबी बढ़ा था। नासा में कार्यरत शोध वैज्ञानिक बेंजामिन पोल्टर कहते हैं, “में विश्वास है कि आधे से अधिक मीथेन उत्सर्जन मानव गतिविधियों, जैसे- तेल व गैस निष्कर्षण, कृषि, अपशिष्ट प्रबंधन और लैंडफिल से आ रहा है।“

विगत कुछ वर्षों में मानव गतिविधि और प्राकृतिक स्रोतों से उत्पन्न मीथेन की सही मात्रा ज्ञात नहीं है, लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि पारिस्थितिक तंत्र गर्माहट के कारण अधिक मीथेन का उत्सर्जन करना शुरू कर देते हैं। नासा के पूर्व जलवायु वैज्ञानिक और ड्यूक विश्विद्यालय के प्रोफेसर शिंडेल ने कहा है, “अगर मीथेन उत्सर्जन में तेजी से वृद्धि आर्द्र भूमि और प्राकृतिक प्रणाली के कारण हो रही है, तो यह बहुत ही भयावह है, क्योंकि हम इसे रोकने के लिए बहुत कुछ नहीं कर सकते हैं।“

अगर जीवश्म ईंधन क्षेत्र से मीथेन का रिसाव होता है, तो इसके लिए हम नियम बना सकते हैं। लेकिन दलदल क्या करते हैं, क्योंकि इस पर तो हम कोई नियम भी नहीं बना सकते।

नए आंकड़ों से पता चलता है कि मौसम रिकॉर्ड शुरू होने के बाद से अब तक का 2022 पांचवां सबसे गर्म साल था। लेकिन वैज्ञानिक चेतावनी दे रहे हैं कि 2023 और भी ज्यादा गर्म हो सकता है, क्योंकि ला नीना नामक एक जलवायु घटना जो वैश्विक तापमान को शीतलन प्रभाव देती है समाप्त हो जाएगी। वर्ष 2020 और 2022 के बीच उत्तरी गोलार्ध में लगातार तीन ला-नीना एपिसोड हुए। लेकिन ला-नीना ट्रिपल के बावजूदए यूरोपीय संघ की जलवायु निगरानी सेवा का कहना है कि 2022 रिकॉर्ड पर पांचवां सबसे गर्म वर्ष था। पिछले तीन वर्षों में वैश्विक औसत तापमान रिकॉर्ड स्तर के आसपास रहा है, लेकिन लंबे समय तक ला नीना के शीतलन प्रभाव के बिना यह और भी अधिक होता।

इस वर्ष ला-नीना के उलट तापक्रम में उछाल भरने वाला अल नीनो पैटर्न की आशंका है, जो चरम मौसम की स्थिति के जोखिम को बढ़ा सकता है और वैश्विक गर्मी के रिकॉर्ड को और चुनौती दे सकता है। एनओएए की रिपोर्ट में कहा गया है कि कार्बन डाई ऑक्साइड और इससे 285 गुना अधिक गर्माहट प्रभाव वाली नाइट्रस ऑक्साइड में भी 2022 में शोचनीय वृद्धि रिकॉर्ड की गई है। एनओएए के अनुसार नाइट्रस ऑक्साइडए जो मानव द्वारा उत्सर्जित तीसरी सबसे महत्वपूर्ण ग्रीनहाउस गैस है, उसका औसत स्तर 335.7 पीपीबी हो गया है, जो मुख्य रूप से कृषि क्षेत्र में रासायनिक उर्वरकों के अंधाधुंध उपयोग के कारण है।

जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता न्यूनतम करना और जुगाली करने वाले पशुओं की संख्या कम करना वातावरण में मीथेन को कम करने और गर्माहट को सीमित करने के लिए निश्चित रूप से उपयुक्त तरीके हैं। अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी का अनुमान है कि मीथेन उत्सर्जन को मौजूदा तकनीक से 70 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, सरदार वल्लभर्भा पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ में स्थित कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर में प्रोफेसर एवं कृषि जैव प्रौद्योगिकी विभाग के विभागाध्यक्ष हैं।

डिस्कलेमरः लेख में दिए गए विचार लेखक के मौलिक विचार हैं।