जलवायु परिवर्तन के कारण वर्ष 2024 सबसे गर्म रहने की आशंका

         जलवायु परिवर्तन के कारण वर्ष 2024 सबसे गर्म रहने की आशंका

                                                                                                                                                                                           डॉ0 आर. एस. सेंगर

  • औसत तापमान सामान से 1.01 डिग्री सेल्सियस रहेगा ज्यादा
  • कार्बन डाइऑक्साइड तेजी से बढ़ा रही है धरती का तापमान
  • बढ़ते तापमान का असर पूरी पृथ्वी के मानव जीवन पर देगा दिखाई

                                                            

मौसम वैज्ञानिकों ने इस बात की 55 प्रतिशत आशंका जताई है कि इस वर्ष अर्थात 2024 जलवायु रिकॉर्ड का सबसे गर्म साल रहने वाला है। केवल इतना ही नहीं इस वर्ष को पांच सबसे गर्म वर्षों के रूप में शुमार होने की 99 प्रतिशत संभावना जताई गई है। यह दावा नेशनल ओशनिक और एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन एन ओ के नेशनल सेंटर का एनवायरमेंटल इनफॉरमेशन की एक ताजा रिपोर्ट में दी गई है।

रिपोर्ट में कहा गया है की मार्च में औसत तापमान 20वीं साड़ी में मार्च के औसत तापमान से 1.35 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया था। यह लगातार 48 व मार्च है जब तापमान 20वीं साड़ी के औसत तापमान से ज्यादा था ऐसा नहीं है कि बढ़ते तापमान का असर केवल धरती तक ही सीमित था। इसका प्रभाव समुद्री पर भी दर्ज किया गया है रिपोर्ट के अनुसार मार्च 2024 के दौरान अधिकांश क्षेत्रों में समुद्र की सतह का तापमान औसत से ऊपर था। समुद्र का औसत तापमान सामान से 1.01 डिग्री अधिक दर्ज किया गया है। इससे पहले 2016 में समुद्र की सतह का तापमान सबसे ज्यादा 0.83 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था।

कार्बन डाइऑक्साइड तेजी से बढ़ा रही है धरती का तापमान

                                                                        

एन ओ ए के अनुसार कार्बन डाइऑक्साइड की सांद्रता लगातार वातावरण में बढ़ती जा रही है कार्बन डाइऑक्साइड अन्य ग्रीनहाउस गैस की तरह सात से परिवर्तित होने वाली उसका को ट्रैक कर लेती है और उसे अंतरिक्ष में जाने से रोक देती है। इसका नतीजा धरती का तापमान बढ़ रहा है, इसकी वजह से चरम मौसमी घटनाएं कहीं ज्यादा विकराल होती जा रही है। इस बारे में एन ओ ए के आंकड़ों से पता चला है कि वातावरण में मौजूद कार्बन डाइऑक्साइड का स्टार 424 भाग प्रति मिलियन पम पर पहुंच गया है। ऐसा पिछले लाखों वर्षों में नहीं देखा गया था।

बढ़ते तापमान का असर पृथ्वी के हर कोने में दिखाई दिया

रिपोर्ट के अनुसार मार्च 2024 में अफ्रीका यूरोप और दक्षिण अमेरिका के अधिकांश हिस्सों के साथ-साथ पूर्वी उत्तरी अमेरिका पूर्वी एशिया और पूर्वी ऑस्ट्रेलिया मैं तापमान औसत से ऊपर रहा तो वहीं पश्चिमी उत्तरी अमेरिका मध्य एशिया और पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के कुछ हिस्से औसत से कहीं ज्यादा ठंडा द अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका ने जहां अब तक के अपने सबसे गर्म मार्च का सामना किया जबकि यूरोप के लिए यह दूसरा सबसे गर्म मार्च था।

बढ़ते तापमान का नया रिकॉर्ड

                                                                      

धरती की सतह के तापमान के अनुसार यह चौथा सबसे गर्म मार्च बनता है। जब तापमान सामान से 2.009 डिग्री सेल्सियस ज्यादा दर्ज किया गया है, इतना ही नहीं जून 2023 से यह लगातार दसवां महीना है जब वैश्विक स्तर पर बढ़ते तापमान ने नया रिकॉर्ड बनाया है यानी जून 2023 से कोई भी महीना ऐसा नहीं रहा जब किसी महीने बढ़ते तापमान में नया रिकॉर्ड न कायम किया हो।

इस बार गर्मी के कारण चुनाव प्रतिशत रह सकता है कम

एक तरफ जब गर्मी भी लगातार प्रचंड रूप धारण करती चली जा रही है। वहीं चुनाव प्रचार तेजी से बढ़ता जा रहा है। पहले राउंड का चुनाव हो चुका है, जहां पर चुनाव का प्रतिशत कम रहा जैसे-जैसे आगे गर्मी का प्रकोप बढ़ेगा अनुमान लगाया जा रहा है कि चुनाव प्रतिशत भी गर्मी के चलते कम हो सकता है लेकिन लोगों को यह नहीं समझना चाहिए कि गर्मी के चलते वह अपने मताधिकार का प्रयोग करने ना जाए मतदान हमारा मौलिक अधिकार है। लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए प्रत्येक मतदाता को मतदान अवश्य करना चाहिए।

मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए लोगों को जागरूक रहना चाहिए। मनुष्य को स्वयं तो मतदान करना ही चाहिए इसके साथ ही लोगों को भी इसके लिए प्रेरित करने की आवश्यकता होती है। यह सभी लोगों को मनाना चाहिए कि मतदान से ही हम अपने क्षेत्र के विकास के लिए अच्छा प्रतिनिधि चुन सकते हैं। 5 वर्ष में मिलने वाले इस अवसर को गवा देना उचित नहीं है। इसलिए कितनी भी गर्मी पड़े लेकिन अपने घर से निकालकर अपना वोट डालने अवश्य जाएं।

पहले दौऱ के मतदान के दिन अधिक गर्मी होने के कारण तेज धूप के चलते लोग बिलबिला उठे और दोपहर के समय घरों में ही रहे। कुछ साल पहले 11 अप्रैल 2019 को जब लोकसभा चुनाव का मतदान हुआ था तो उसे दिन मौसम के तेवर अपेक्षाकृत कुछ नरम थे। अधिकतम तापमान 2.5 डिग्री कम 36.8 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया था। गत वर्ष 19 अप्रैल को तापमान 37.9 था। जबकि 17 18 अप्रैल के बीच पर 40 डिग्री तक पहुंच गया था। यदि गर्मी इसी तरह बढ़ती रही तो शायद लोग घर से कम ही निकलेंगे मौसम की रिपोर्ट के अनुसार एक-दो दिन में बूंदाबांदी भी हो सकती है।

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।