जीवन में उन्मूलन (Elimination) के चार चरणः-

जीवन में उन्मूलन (Elmination) के चार चरणः-

                                                                                                                                                              डॉ0 आर. एस. सेंगर एवं सरिता सेंगर

(1)   60 की उम्र में कार्य स्थल आपको ख़त्म कर देता है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप अपने करियर के दौरान कितने सफल या शक्तिशाली थे, आप एक सामान्य व्यक्ति बनकर लौटेंगे। इसलिए, अपनी पिछली नौकरी की मानसिकता और श्रेष्ठता की भावना से चिपके न रहें, अपने अहंकार को त्यागें, अन्यथा आप सहजता की भावना खो सकते हैं!

                                                                    

 (2)   70 की उम्र में समाज धीरे-धीरे आपको ख़त्म कर देता है। जिन मित्रों और सहकर्मियों से आप मिलते और मेलजोल रखते थे, वे कम हो गए हैं और आपके पूर्व कार्यस्थल पर शायद ही कोई आपको पहचानता हो। यह मत कहो, ‘‘मैं हुआ करता था...’’ या ‘‘मैं कभी था...’’ क्योंकि युवा पीढ़ी आपको नहीं जानती होगी, और आपको इसके बारे में असहज महसूस नहीं करना चाहिए!

(3)   80 की उम्र में परिवार धीरे-धीरे आपको ख़त्म कर देता है। भले ही आपके कई बच्चे और पोते-पोतियाँ हों, अधिकांश समय आप अपने जीवनसाथी के साथ या अकेले ही रहेंगे। जब आपके बच्चे कभी-कभार आते हैं, तो यह स्नेह की अभिव्यक्ति है, इसलिए उन्हें कम आने के लिए दोष न दें, क्योंकि वे अपने जीवन में व्यस्त हैं!

(4)   90 की उम्र में, पृथ्वी तुम्हें ख़त्म करना चाहती है। जिन लोगों को आप जानते थे, उनमें से कुछ पहले ही हमेशा के लिए चले गए हैं। इस बिंदु पर, दुखी या शोकाकुल न हों, क्योंकि यही जीवन का मार्ग है, और हर कोई अंततः इसी मार्ग का अनुसरण करेगा!

 इसलिए, जबकि हमारा शरीर अभी भी सक्षम है, जीवन को भरपूर जियो!  जो चाहो खाओ, जो चाहो पीओ, खेलो और वो काम करो जो तुम्हें पसंद है।

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।