भारतीय मसाला अनुसंधान संस्थान, केरल का एक अभिनव प्रयास अब पौधें भी मानव की तरह ही खायेंगे कैप्सूल

      भारतीय मसाला अनुसंधान संस्थान, केरल का एक अभिनव प्रयास

                                 अब पौधें भी मानव की तरह ही खायेंगे कैप्सूल

                                                                                                                                               डॉ0 आर. एस. सेंगर, डॉ0 कृषाणु एवं गरिमा

जब कोई इंसान बीमार हां जाता है तो उसे ठीक करने के लिए डॉक्टर इंसान को विभिन्न प्रकार की गोली और कैप्सूल आदि की खुराक देते है। अब ठीक इसी प्रकार से कृषि वैज्ञानिकों ने बीमार पौधों को स्वस्थ बनाने के लिए कैप्सूल तैयार किए है। यह कैप्सूल पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का काम करेंगे। असल में, भारतीय मसाला अनुसंधान संस्थान, केरल के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. राजीव ने एक विशेष प्रकार का कैप्सूल तैयार किया है। फिलहाल बायो कैप्सूल के नाम से इसका पेटेंट भी संस्थान ने करा लिया है।

अब यह कैप्सूल बाजार में उपलब्ध हो चुका है। एक कैप्सूल को 200 लीटर पानी में घोलकर खेतों में छिड़काव किया जाता है। इस कैप्सूल से फसल को ट्राइकोडर्मा और सूडोमोनास प्राप्त होते हैं। रायजोबैक्टीरिया फॉर्मूलेशन पौधों के विकास को बढ़ावा देने वाले जैव उर्वरक हैं।

                                                                      

उन्होंने किसान जागरण को बताया कि 15 से 20 कैप्सूल 1 एकड़ फसल के लिए पर्याप्त होते हैं। इस कैप्सूल को देने से खेत की जमीन उपजाऊ होगी और फसलों से ज्यादा पैदावार मिलेगी। वहीं दूसरी तरफ खेत में रासायनिक उर्वरक की खपत भी कम हो जाएगी ।

एक एकड़ में 15-20 कैप्सूल

यह एक कैप्सूल ही काफी बड़े एरिया के लिए प्रभावी होता है, यहां तक कि 15 से 20 कैप्सूल की मदद से एक एकड़ का काम किया जा सकता है। इस बायो कैप्सूल को देने से पौधे स्वस्थ होंगे और जमीन भी उपजाऊ होगी।

बायो कैप्सूल उपयेग करने के लाभ

                                                            

इस कैप्सूल की सहायता से जमीन में सूक्ष्मजीवों की वृद्धि होगी. इससे मिट्टी भी उपजाऊ बनेगी। यह मिट्टी के पोषक तत्वों को बढ़ाता है और उसे जैविक रूप से भी लाभ पहुंचाता है। जैव उर्वरकों में कवक, बैक्टीरिया और अन्य सूक्ष्मजीव होते विद्यमान रहते हैं, जैसे-जैसे मिट्टी में इनकी संख्या बढ़ती हैं तो इससे पौधे का अच्छा विकास होता है और उनका उत्पादन भी बढ़ता है। इस कैप्सूल का उपयोग करने से 30 प्रतिशत तक उपज में वृद्धि होती है।

अन्य उर्वरकों की तुलना में पौधों के लिए यह कैप्सूल नाइट्रोजन और फास्फोरस को अधिक मात्रा में अवशोषण करने में मदद करता है। इस कैप्सूल की मदद से मिट्टी की गुणवत्ता में भी सुधार होता है और पौधों जड़ें मजबूत होती हैं। इस कैप्सूल का उपयोग कोई भी किसान बड़े ही आसानी से कर सकता है। इस कैप्सूल की मदद से पर्यावरण भी प्रदूषित नहीं होता है।

100 रुपये में मिलता है बायो कैप्सूल: बायो कैप्सूल काफी किफायती होता है और बाजार में एक कैप्सूल की कीमत 100 रुपये तक है। वहीं कई कंपनियों के द्वारा इसे अलग-अलग नाम से बेचा भी जा रहा है।

डॉ राजीव ने बताया कि रूस जैसे देश ने भी उनकी टेक्नोलॉजी को खरीद लिया है। 1000 से 1500 रुपये तक की कीमत में एक एकड़ के खेत को बायो कैप्सूल से पोषण दिया जा सकता है।

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।