गठिया में राहत देने वाले इंजेक्शन से लौटी आंखों की रोशनी

           गठिया में राहत देने वाले इंजेक्शन से लौटी आंखों की रोशनी

                                                                                                                                                     डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा

                                                                

गठिया में असहनीय दर्द से राहत दिलाने वाले इंजेक्शन ने आंखों की रोशनी लौटा दी। इन मरीजों को दिमाग की टीबी थी, इस वजह से ऑप्टिव नार्वे में गांठे बन गई थी और गठान की वजह से इन मरीजों की आंखों की रोशनी चली गई थी। बीआरडी मेडिकल कॉलेज के न्यूरोलॉजी विभाग में ऑप्टिव नर्व में गठान को कम करने के लिए तीन मरीजों को यह इंजेक्शन लगाए गए थे, जिसका परिणाम अच्छा मिला।

डॉक्टर सुमित ने बताया की हड्डी रोग के चिकित्सक गठिया या यूरिक एसिड के मरीजों को हाई न्यूरॉनिक एसिड का इंजेक्शन लगाते हैं। इस इंजेक्शन में दर्द से तुरंत राहत देने की क्षमता होती है और छोटी गठान को यह एसिड गलाने लगता है। इसी का प्रयोग दिमाग की नस में बनी गांठ को गलाने के लिए किया गया। इस विधि से इलाज देश में सिर्फ एम्स दिल्ली में होता है।

                                                            

टीबी मरीजों के इलाज में इसका प्रयोग 5वें दशक से चलन से बाहर मान लिया गया है। वर्ष 1980 से पहले न्यूरॉनिक एसिड इंजेक्शन का इस्तेमाल चलन में था, उसके उपरांत धीरे-धीरे लोगों ने इसको बंद कर दिया था।

प्रयोग के तौर पर लगाया था यह इंजेक्शन

                                                                

डॉ सुमित ने बताया की सर्जरी से पहले प्रयोग के तौर पर हाय न्यूरॉनिक एसिड इंजेक्शन लगाया गया। यह इंजेक्शन मरीज को एक-एक हफ्ते के अंतराल पर 3 महीने तक लगाया गया। दूसरी डोज से ही मरीजों में इसका असर दिखने लगा और उनकी आंखों की रोशनी लौटने लगी। दिमाग में बनी गांठ का आकार छोटा होने लगा इस इंजेक्शन का कोई साइड इफेक्ट नहीं है। उन्होंने बताया कि दिमाग में टीबी के कारण छोटी गांठे बन जाती हैं, जिसके कारण आंखों की रोशनी प्रभावित होती है।

लेखकः डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मा जिला अस्पताल में मेडिकल ऑफिसर हैं।