इस साल होगी भरपूर बारिश विश्व की दो मौसम एजेंसियों के अनुमानों का निष्कर्षः

                                इस साल होगी भरपूर बारिश

विश्व की दो मौसम एजेंसियों के अनुमानों का निष्कर्षः

कारणः कम वर्षा, गर्मी के लिए जिम्मेदार अल नीनो का प्रभाव अब समाप्त हो रहा है।

                                                                                

इस वर्ष आने वाले मानसून सीजन में ‘‘समय पर और भरपूर बारिश’’ होने की उम्मीद बढ़ गई है। साथ ही, अल नीनो और जलवायु परिवर्तन के चलते पड़ रही भीषण गर्मी से भी राहत मिलने की संभावना है। कम से कम दो वैश्विक मौसम एजेंसियों की स्टडी के निष्कर्ष से भारतीय वैज्ञानिक भी इसी निष्कर्ष पर पहुंचे हैं। इन दोनों वैश्विक एजेंसियों के अनुसार, अलनीनो कमजोर पड़ना शुरू हो गया है और जून तक इसका प्रभाव पूरी तरह समाप्त हो जाएगा।

यूनाइटेड स्टेट्स नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन ने कहा कि 79 प्रतिशत संभावना यह है कि अल नीनो जून तक कम जाएगा। जून-अगस्त में ला नीना विकसित होने की संभावना 55 प्रतिशत है। वहीं, यूरोपीय संघ की कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज ने भी इस बात की पुष्टि की है कि अल नीनो अब कमजोर पड़ने लगा है।

यह वर्ष बीते साल जैसा गर्म भी नहीं होगा, जैसी कि पूर्व में आशंका थी-

केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के पूर्व सचिव माधवन राजीवन कहते हैं कि जून - अगस्त में ला नीना की स्थिति बनने की संभावना है। इसका अर्थ यह है कि बीते साल से अच्छी बारिश होगी। हालांकि बसंत से पहले सटीक भविष्यवाणी करना मौसम मॉडल के लिए मुश्किल है। वहीं, भारतीय मौसम विभाग के वैज्ञानिक डॉ. डी एस पई कहते हैं कि अभी हम पक्के तौर पर कुछ नहीं कह सकते। हालांकि सभी मॉडल अल नीनो के जाने का संकेत दे रहे हैं। ऐसा होता है तो बीते सीजन से बेहतर बारिश होगी। वैसी गर्मी भी नहीं पड़ेगी, जिसकी आशंका है।

भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिक रॉक्सी मैथ्यू कौल का कहना है कि पूर्वानुमान बता रहे हैं कि समय पर और भरपूर बारिश होगी। यदि जून के बाद भी उच्च तापमान बना रहता है तो तीव्र चक्रवात व एक जगह पर अत्यधिक वारिश के लिए भी तैयार रहना होगा। बता दें कि दक्षिण-पश्चिम मानसून कृषि के लिए बेहद अहम होता है। इस दौरान औसत सालाना बारिश की 70 प्रतिशत बारिश होती है। कृषि की भारत की जीडीपी में हिस्सेदारी 14 प्रतिशत है। वर्ष 2023 में 820 मिमी बारिश हुई थी, जो औसतन 868.6 मिमी बारिश से कम थी।

                                                             

पहाड़ों पर भारी बर्फबारी का दौर शुरू होने वाला है! मजबूत पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने से पहाड़ों पर बर्फबारी का एक और दौर शुरू हो सकता है। 17 से 22 फरवरी तक लद्दाख, जम्मू- कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड में बर्फवारी और बारिश हो सकती है। इस वजह से पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तरी राजस्थान व पश्चिमी यूपी के मैदानी इलाकों में 20-21 फरवरी को बारिश हो सकती है।