पेट में गैस, ब्लोटिंग एवं एसीडिटी का होम्योपैथिक उपचार

                                                              पेट में गैस, ब्लोटिंग एवं एसीडिटी का होम्योपैथिक उपचार

                                                                                                          डॉ0 आर. एस. सेंगर एवं मुकेश शर्मा

    वर्तमान समय में हमारे गलत खान-पान तथा गलत जीवन शैली अर्थात लाईफ स्टाइल के कारण कई रोग हमें परशान करते हैं। दोस्तों क्योंकि आज हम प्रकृति से दूर होते जा रहें है, इसलिए आज कई रोग ऐसे हैं जो कि केवल हमारे गलत खन-पान और गलत लाईफ स्टाइल की बदौलत ही हमें परेशान करते हैं। ऐसे ही कुछ रोगों में में आते हैं अपच, गैस, तथा एसीडिटी आदि।

    अपच एक ऐसा रोग है जो किसी को भी और किसी भी आयु वर्ग में हो सकमा है, इसमें यह कोई मायने नही रखता है कि आप कितने स्वस्थ हैं, आजकल लगभग प्रत्येक इन्सान अम्लता, सूजन एवं गैस के कारण त्रस्त है। ये समस्याएं अपने आप में गम्भीर नही होती हैं परन्तु यह बहुत असुविधाजनक और इसके साथ ही कभ-कभी शर्मिन्दा करने वाली भी होती हैं।

    किसी भी प्रकार के अपच को दूर करने में होम्योपैथी अधिक प्रभावी पद्वति है। क्योंकि उपचार के दौरान इसके दुष्प्रभाव नगण्य होते है और यह बच्चों, व्यस्कों तथा वृद्वों को आसानी के साथ दी जा सकती है। होम्योपैथी के माध्यम से केवल लक्षणों का समाधान ही नही होता है अपितु यह इस प्रकार की समस्याओं का समूल उपचार करने में सक्षम है। इस प्रकार यह इन समस्याओं को बार-बार होने से भी रोकता है।

                                                                      

दोस्तों, इस लेख में इस रोग के लिए कुछ प्रभावी उपायों के बारे में चर्चा की जा रही हैः

नक्स वोमिकाः नक्स वोमिका को होम्योपैथी में अतिरंजना के उपाय के रूप में जाना जाता है, जिसका उपयोग पेट की लगभग समस्त समस्याओं के समाधान के लिए किया जा सकता है। नक्स वोमिका पेट की सूजन तथा गैस आदि में बहुत ही अच्छा कार्य करती है। होम्योपैथी की इस दवा का उपयोग अक्सर कब्ज के उपचार के लिए किया जाता है, और इसको अत्याधिक शराब और कैफीन आदि के कारण उत्पन्न समस्याओं के लिए होम्योपैथी की सबसे अच्छी दवाई के रूप में मान्यता प्राप्त है।

पल्सेटिलाः होम्योपैथी चिकित्सा पद्वति में इस दवाई का प्रयोग गैस्ट्रिक से सम्बन्धित समस्याओं के समाधान के लिए किया जाता है, जो विभिन्न प्रकार के भारी भोजन अथवा फास्ट फूड्स जैसे आइसक्रीम, पेस्ट्री, घी या मक्खन, तथा तेल आदि में तला हुआ भोजन खाने से उत्पन्न समस्याओं के समाधान के लिए किया जाता है। इसके साथ इस दवा का उपयोग लूज मोशन अर्थात दस्त आदि में भी किया जा सकता है।

चाइना अथवा सिनकोनाः सूजन को कम करने तथा गैस के बनने से रोकने के लिए चाईना एक प्रभावी होम्योपैथी दवाई है। जब गैस के कारण पेट दर्द हो तो इसका उपचार चायना के द्वारा ही किया जाता है। इस दवाई का इस्तेमाल दस्तों और दस्तों कारण उत्पन्न हुई कमजोरी के दौरान भी किया जा सकता है।

आर्सेनिक एल्बमः भोजन के जहर अर्थात फूड प्वाईजनिंग के कारण उत्पन्न गैस की समस्या का प्रभावी समाधान करने के लिए आर्सेनिक एल्बम का उपयोग किया जाता है। आर्सेनिक के कुछ लक्षण, मतली का आना, ढीली गति, पेट में दर्द तथा उल्टी आदि भी शामिल होते हैं। पेट में होने वाली अम्लीयता तथा जलन आदि भी इसके उपयोग से कम हो जाती हैं। आर्सेनिक का उपयोग पुरानी उल्टी, जब पेट में कोई भोजन उपलब्ध नही होता है तो भी यह कारगर सिद् होती है।

लाइकोपोडियमः कभी-कभी व्यक्ति को हल्का भोजन करने के उपरांत भी अपना पेट फूला हुआ महसूस होता है, इसके साथ ही पेट में भारीपन भी महसूस होता है। अत्याधिक गैस, फूला हुआ पेट, र्स्टाच युक्त भोजन से अम्लता का उपचार भी इस दवाई के साथ किया जाता है।

होम्योपैथिक दवाओं का सेवन करने के साथ ही प्रभावित व्यक्ति को उनकी खाने की आदतों में बदलाव करने से पुरानी गैस्टिकª समस्याओं का उपचार भी किया जा सकता है। उन आदतों में खाने को धीरे-धीरे चबाकर खाना चाहिए, बहुत अधिक गर्म तथा बहुत ठण्ड़ा भोजन खाने और इसके साथ बार-बार पानी का सेवन करने से बचें। चिकित्सकों के अनुसार प्रभावित व्यक्ति को भोजन करने से पूर्व अपने पेट को आधा घण्टे तक उसे हाईड्रेट करना चाहिए।

इसके साथ ही प्रभावित व्यक्ति को किसी अच्छे एवं अनुभवी होम्योपैथी डॉक्टर से परामर्श कर उनके निर्देशानुसार पनी दनचर्या को व्यवस्थित करना चाहिए और यदि डॉक्टर उनके लिए किसी लीवर टॉनिक की सलाह देते हैं तो उन्हें उसका सेवन भी डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही करना चाहिए।   

विशेषः मुकेश शर्मा होम्योपैथी के एक अच्छे जानकार हैं जो पिछले लगभग 25 वर्षों से इस क्षेत्र में कार्य कर रहे हे। होम्योपैथी के उपचार के दौरान रोग के कारणों को दूर कर रोगी को ठीक किया जाता है। इसलिए होम्योपैथी में प्रत्येक रोगी की दवा, दवा की पोटेंसी तथा उसकी डोज आदि का निर्धारण रोगी की शारीरिक और उसकी मानसिक अवस्था के अनुसार अलग-अलग होती है। अतः बिना किसी होम्योपैथी के एक्सपर्ट की सलाह के बिना किसी भी दवा सेवन कदापि न करें।

इसमें ऐसा भी हो सकता है कि आपकी दवा कोई और भी हो सकती है और कोई दवा आपको फायदा देने के स्थान पर नुकसान भी कर सकती है। अतः बिना चिकित्सीय परामर्श के किसी भी दवा का सेवन न करें। इसके लिए आप फोन न0- 9897702775 पर भी सम्पर्क कर सकते हैं।

डिसक्लेमरः प्रस्तुत लेख में व्यक्त किए गए विचार लेखकगण के अपने हैं।