कभी ठेले पर आइसक्रीम बेचने वाले, आज हैं अरबपति

                   कभी ठेले पर आइसक्रीम बेचने वाले, आज हैं अरबपति

                                                                                                                                                                                       डॉ0 आर. एस. सेंगर

                                                                       

उन्हें स्कूल छोड़ना पड़ा, क्योंकि यह उनके परिवार की पहुंच से बाहर था। भरण-पोषण करने के लिए, उनके परिवार के पास मात्र एक छोटी-सी किराने की दुकान ही हुआ करती थी। जब उन्होंने लकड़ी के डिपो की 65 रुपये प्रतिमाह वाली नौकरी छोड़कर अपना स्वयं का व्यवसाय शुरू करने का निश्चय किया, तो उनके पास अपने सपने, हौसले और सोच के अलावा और कुछ भी नहीं था।

उन्होंने एक छोटे से किराये के कमरे में सिर्फ तीन-चार श्रमिकों के साथ आइसक्रीम बिजनेस की शुरुआत की और स्वयं अपने आप हाथठेला से गांव-गांव घूमकर आइसक्रीम बेचन शुरू की। दृढ़ संकल्प के साथ उन्होंने उत्पादन को प्रतिदिन बढ़ाया और अपनी कंपनी को देश की सबसे बड़ी निजी क्षेत्र की डेयरी कंपनी बना दिया।

कुछ लोगों को बहुत ही कम उम्र में विभिन्न प्रतिकूलताओं और असफलताओं का स्वाद चखने को मिल जाता है, लेकिन वह मैदान में डटे रहते हैं और कड़ी मेहनत करते हैं. जिसके परिणामस्वरूप उनका जीवन प्रेरक सफलता की कहानियों में बदल जाता है। यह कहानी है तमिलनाडु के हटसन एग्रो प्रोडक्ट के मालिक आर जी चंद्रमांगन की, जिनकी कंपनी हटसन एग्रो प्रोडक्ट लिमिटेड वर्तमान में बिक्री के हिसाब से देश की सबसे बड़ी प्राइवेट डेयरी कंपनियों में से एक है।

भारत सहित दुनिया भर के 38 देशों में मशहूर हटसन के उत्पाद निर्यात किए जा रहे हैं। उनकी कंपनी या यूँ कह ले कि उनके साथ भी लाख से अधिक किसान जुड़े हुए हैं। आज उनकी कंपनी आइसक्रीम के अलावा आरोग्य मिल्क, हटसन दही, हटसन पनीर और दूध के अन्य उत्पाद का निर्माण करती है। उन्होंने अपनी लगन, कड़ी मेहनत और ईमानदार प्रयासों से अपने सपने को जिस तरह से व्यावसायिक साम्राज्य में बदला है, यह नए उद्यमियों और युवाओं के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं है।

ठेले से ब्रांड तक

                                         

शुरुआती दौर में उन्होंने छोटे गांवों और कस्बों पर अधिक ध्यान दिया, क्योंकि ऐसी जगहों को अक्सर बड़े ब्रांड़ों के द्वारा नजरअंदाज कर दिया जाता है। अपनी आइसक्रीम को बेचने के लिए तमिलनाडु के गावों और कस्बों पर ही उन्होंने फोकस किया। वह दिन भर लगभग 10 हजार आइसक्रीम बनाने और उन्हें 6 तिपहिया साइकिल और 15 टेली पर लादकर खुद ही बेचते थे। उनकी आइसक्रीम स्कूल, कॉलेज कैंटीन में खूब बिकी होती थी।

साल 1981 तक उनकी कुल बिक्री 4.26 लाख रुपये तक जा पहुंची। इसी साल उन्होंने अरुण आइसक्रीम लॉन्च की। उनकी कमाई भी बढ़ने लगी।

गणित में असफलता बनी कारणः हटसन एग्री प्रोडक्ट लिमिटेड के मालिक आर जी चंद्रगोगन का जन्म तमिलनाडु के विरुधुनगर में हुआ था। ये सरकारी स्कूल में पढ़ते थे और गणित उनका दीदा सब्जेक्ट था, लेकिन अपने प्री-यूनिवर्सिटी कोर्स (पीयूसी) के गणित भाग में यह फेल हो गए, जो पचास साल पहले कॉलेज अध्ययन के लिए एक जरूरी शर्त हुआ करती थी। एक साल के बाद उन्होंने फिर से परीक्षा दी, लेकिन इस बार, परीक्षा समाप्त होने से पहले ही कमरे से बाहर निकल गए।

ये कहते हैं, ‘उन पेपरों की परीक्षा देते समय मेरा मन उथल-पुथल में था।’ उनके पिता की दुकान बंद होने के कारण उनके परिवार की वित्तीय स्थिति उनकी नाखुशी का एक प्रमुख कारण थी। यह देखते हुए ये महज 15 साल की उम्र में एक लकड़ी के डिपो में काम करने लगे, जहां उनका मासिक वेतन 65 रुपये था। उन्हें यह नौकरी राम न आई, इसलिए कुछ वर्षों में ही नौकरी छोड़ दी और वर्ष 1970 में खुद का बिजनेस करने का मन बनाया, लेकिन इसके लिए उनके पास पैसे नहीं थे।

जिस वजह से उन्होंने अपनी सारी संपत्ति दांव पर लगा दी और महज 21 साल की उम्र में 250 वर्ग फुट के किराये के कमरे में मात्र 13,000 रुपये से आइसक्रीम के व्यवसाय की शुरुआत की। शुरुआती महीनों में उनकी कंपनी को काफी परेशानियां झेलनी पड़ीं, लेकिन बिजनेस के पहले साल में ही उनकी 1.5 लाख की कमाई हुई। व्यवसाय की इस सफलता नें उन्हें अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित किया।

डेयरी कंपनी की शुरुआत शुरुआती चार सालों में ही अरुण आइसक्रीम तमिलनाडु में सर्वाधिक बिकने वाली आइसक्रीम बन गई। 1995 में इन्होंने केरल और आंध्र प्रदेश में भी अपना उत्पाद बेचना शुरू कर दिया। उन्होंने अपने आइसक्रीम आउटलेट भी खोलने शुरू किए, साथ ही उन्होंने डिब्बाबंद दूध भी बेचना शुरू किया। काम बढ़ने लगा तो चंद्रगोगन ने अपनी कंपनी का नाम भी अरुण से बदलकर हटसन एग्री प्रोडक्ट कर दिया। साल 2014 में अरुण आइसक्रीम का कुल राजस्य 2,000 करोड़ रुपये पहुंच गया और इसी साल उन्होंने अपनी कंपनी को शेयर बाजार में सूचीबद्ध कराया।

झोली में हैं कई उपलब्धियां

अपनी लगन और मेहनत के बूते चंद्रमोगन ने आज अपनी कंपनी को एक 25 हजार करोड़ से भी अधिक के वैल्यूएशन वाली कंपनी बना दिया है। आर जी चंद्रमोगन को भारतीय डेयरी उद्योग के विकास को आगे बढ़ाने और भारतीय डेयरी के हित में प्रदान की गई उनकी उत्कृष्ट सेवाओं के सम्मान में इंडियन डेयरी एसोसिएशन द्वारा सबसे प्रतिष्ठित पट्रॉशीप नामक पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। गौरतलब है कि फोर्ब्स बिलेनियर्स लिस्ट के मुताबिक आर जी चंद्रयोगन भारत के अमीरों की लिस्ट में 93वें स्थान पर हैं।

फोर्ब्स के मुताबिक, उनका नेटवर्क 2.4 अरब डॉलर से भी अधिक है। बिजनेस टाइकून चंद्रगोगन को बिक्री के आंकड़ों पर उनकी असाधारण पकड़ के लिए ‘मानव- कंप्यूटर’ भी कहा जाता है।

युवाओं के लिए सीख

                                                         

  • अगर कोई इंसान लगन और मेहनत के साथ काम करे, तो उसे सफल होने से कोई नही रोक सकता है।
  • नवीन व सकारात्मक सोच के साथ कोई भी व्यक्ति विपरीत परिस्थितियों गे भी सफलता की मंजिल हासिल कर सकता है।
  • कोई भी काम बड़ा या छोटा नहीं होता काम करने का तरीका ही उसे बड़ा या छोटा बनाता है।
  • किसी भी उत्पाद की लोकप्रियता उसकी गुणवत्ता पर निर्भर करती है, इसलिए व्यवसाय में सफलता के लिए उत्पाद की गुणवत्ता पर ध्यान देना बेहद जरूरी है।
  • नियति के भरोसे बैठने से बेहतर है आप अपने भाग्य निर्माता खुद बने।

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।