लिवर को स्वस्थ बनाए रखें

                                                                             लिवर को स्वस्थ बनाए रखें

                                                                                                       डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा

अच्छी सेहत के लिए जरूरी है लीवर का अच्छा होना

                                                       

मोटापा और अस्वस्थ जीवन शैली शरीर के जिन अंगों को सबसे अधिक प्रभावित करती है उनमें सबसे महत्वपूर्ण अंग हमारे शरीर का लीवर होता है। डायबिटीजए हाइपरटेंशनए थायराइड और अनियंत्रित कोलेस्ट्रॉल से नान एल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज का जोखिम अधिक बना रहता है। यह समस्या आगे चलकर लीवर सिरोसिस में बदल जाती है।

अगर आप अल्कोहल का सेवन कर रहे हैं तो यह लीवर सिरोसिस को खुला निमंत्रण है इसलिए जरूरत इस बात की है कि अपने लीवर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए अल्कोहल का सेवन कम से कम या ना करें तो अच्छा होगा।

लीवर को स्वच्छ रखने के लिए रहे सतर्क

लीवर को स्वच्छ रखने के लिए बहुत सतर्क रहने की आवश्यकता होती है। लीवर की बीमारी का एक बहुत सामान्य कारण हैण् वायरल हैपेटाइटिस हैपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी वायरस से लीवर की कार्य क्षमता में कमी आने लगती है ।

शुरुआत में लिवर की बीमारी के कोई खास लक्षण नहीं दिखते और कई बार लीवर के अल्ट्रासाउंड की जरूरत पड़ती है और उसके उपरांत भी लक्षण नहीं मिल पाते लेकिन कुछ सी सम्मान जाचों के उपरांत पता आसानी से लगाया जा सकता है कि पेशेंट को हैपेटाइटिस बी है या सी।

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हैपेटाइटिस बी दुनिया भर में होने वाली एक सबसे आम समस्या है। देखा गया है कि यह बीमारी मां से बच्चे में फैलती है और यह शरीर में लंबे समय तक बनी रहती है। रक्त जांच या रक्तदान करते समय या गर्भावस्था में जांच के दौरान पता चलता है कि हैपेटाइटिस बी पॉजिटिव है।

शुरुआत में ही इसका पता लगाने से उपचार आसान हो जाता है वही हेपेटाइटिस सी आमतौर पर इंजेक्शन के दोबारा इस्तेमाल से होता है किसी संक्रमित व्यक्ति का खून चढ़ाने से भी इसकी आशंका रहती हैए हालांकि इसमें अब कमी देखी जा रही है।

लीवर की बीमारी से जुड़े लक्षण

.    लीवर की कार्यप्रणाली बाधित होने से थकान महसूस होती है।

.    पेट के ऊपरी भाग में दर्द और खिंचाव हो सकता है।

.    कुछ लोगों में देखा गया है कि लीवर में कमी होने पर गैस की समस्या बढ़ जाती है।

.    अगर पेट बाहर निकलता है या गर्दन काली पड़ जाती है तो यह लीवर की बीमारी का शुरुआती संकेत हो सकता है।

.    खाने के बाद पेट में भारीपन सीधे हाथ में भारीपन लगना आदि कुछ मरीजों में लक्षण दिखाई देते हैं।

.    थकान कमजोरी के साथ साथ पेट में अपच होने की समस्या बनी रहती है।

कैसे अपने लीवर को रखें सुरक्षित

.    शराब को पूरी तरह से ना कह दे।

.    नियमित हैपेटाइटिस सी की जांच कराते रहें।

.    धूम्रपान बिल्कुल ही छोड़ दें।

.    योगा कर मांसपेशियों को मजबूत करें इससे लीवर स्वस्थ होगा।

डिस्क वॉक को दिनचर्या में शामिल करें

अचानक आपका वजन बढ़ रहा हो या फिर अचानक बहुत अधिक घट रहा हो तो सतर्क रहें। आपको अपने वजन को अनुपात को दुरुस्त रखने की आवश्यकता है।

खाने में इन बातों का रखें विशेष ध्यान-

.    चीनी और चिकनाई वाले खाद्य पदार्थों से दूरी बनाए रखें।

.    फ्री शुगर को बिल्कुल भी ना ले।

.    ब्लैक कॉफी का सेवन एक बेहतर विकल्प है।

.    मौसमी फलों और सब्जियों का सेवन अवश्य करें।

.    खाने में थोड़ी हल्दी का उपयोग अवश्य करें।

.    मोरिंगा लीफ पाउडर की एक चम्मच शाम को दूध के साथ ले।

उपलब्ध है लीवर का उपचार-

हैपेटाइटिस पी और हैपेटाइटिस सी दोनों के लिए ही इलाज अब बहुत आसानी से उपलब्ध है हालांकि शुरुआत में ही इसका पता चलना चाहिए। जब रोग अधिक बढ़ जाता है तो लीवर को काफी नुकसान हो जाता है इसलिए अपने शरीर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए जरूरी है यदि कोई लक्षण दिखाई देते हैं तो लीवर की जांच अवश्य करा लें। जिससे समय पर उसका इलाज शुरू किया जा सके और आपकी सेहत को सुरक्षित रखा जा सके इसके लिए आप अपने निकटतम हॉस्पिटल में या किसी अच्छे डॉक्टर से संपर्क कर इलाज प्रारंभ करें।

मलेरिया से कैसे बच के रह पाएंगे

मलेरिया मादा एनीफ्लीज मच्छरों के काटने से होता है उसमें पाया जाने वाला प्लाज्मोडियम स्पीशीज एक खूबसूरत परजीवी है जो मलेरिया का कारण बनता है। एनीफ्लीज प्रजाति के मच्छर आमतौर पर साफ पानी में अंडे देते और पनपते हैं वहां से निकलकर लोगों को काटते हैंए यदि आसपास किसी को मलेरिया है तो वहां इसके फैलने की आशंका अधिक रहती है और मच्छर ही इसे एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलाते हैं।

मलेरिया के प्रारंभिक लक्षण

                                                                      

.    सर्दी के साथ बुखार सबसे सामान्य लक्षण है।

.    सिर दर्द चक्कर आ रहा है तो यह मस्तिक मलेरिया का लक्षण हो सकता है।

.    आसपास के क्षेत्र में पहले से ही मलेरिया रहा हैए तो इसकी प्रबल आशंका रहती है।

.    एक दिन छोड़कर ठंड के साथ बुखार आता हैए तो समझ ले मलेरिया है।

मलेरिया की जांच के

माइक्रोस्कॉपी द्वारा रक्त की जांच के द्वारा मलेरिया का पता लगाया जा सकता है अगर उसमें परजीवी भी दिखाई देते हैं तो परीक्षण को पॉजिटिव मानते हैंए रैपिड डिटेक्शन टेस्ट से भी इस बीमारी का पता लगाया जा सकता है।

दो तरह का होता है मलेरिया

    मलेरिया में पी वी और पी एफ दो तरह के प्लाज्मोडियम पाए जाते हैं पीएफ मस्तिक मलेरिया की वजह से बनता है जबकि पी वी सामान्य तरह का मलेरिया होता है। अब पी वी के कई नए लक्षण भी उभर रहे हैं शहरी क्षेत्रों में लोग थकान होने पर इसके पीछे के कारणों को नहीं जान पाते है और शरीर में खून की कमी होने लगती है क्योंकि परजीवी उसे खत्म कर रहा होता है।

बचाव के उपाय

.    मच्छरों को पनपने से रोकने के उपाय अपनाएं।

.    आसपास सफाई का विशेष ध्यान रखें कहीं पानी ना जमा होने पाए।

बायो हैंकिंग  से समझे अपनी  सेहत

तन मन की कार्यप्रणाली को काफी हद तक समझ लेने की प्रक्रिया को बायाहैकिंग कहते हैं

बायो हैंकिंग में शारीरिक और मानसिक कार्यप्रणाली को रिकॉर्ड कर और अपनी जीवनशैली में बदलाव लाकर अपने स्वास्थ्य में वांछित परिवर्तन लाया जा सकता है। आज अनेक डिवाइस भी बायो रैंकिंग में मददगार साबित हो रहे हैंए बायोहैकिंग दो उद्देश्य से करते हैं पहला सेहत की कमियों को समझने और उन्हें ठीक करने के लिए और दूसरा जीवन की गुणवत्ता को सुधारने के लिए किया जाता है।

कैसे पढ़ते हैं तन-मन की भाषा-

                                                                    

कुछ लोगों को तभी नींद आती है जब कमरे में अंधेरा हो जाए। सुबह की चाय बिस्तर पर मिलने के बाद ही कुछ लोगों की नींद खुलती है तो बहुत से लोगों को गुनगुने पानी से स्नान ही भाता हैए वहीं यदि किसी दिन व्यायाम नहीं कर पाए तो पूरे दिन मन बुझा रहता है। दरअसलए यह एहसास ही हमें हमारे शरीर व मन की भाषा को समझने में मदद करते हैं। यदि आप बायो हैंकिंग चाहते हैं तो शरीर व मन पर होने वाली प्रतिक्रियाओं के प्रति सजग रहें।

मध्यम मार्ग है बेहतर

शरीर के साथ एक तय सीमा तक ही प्रयोग करना चाहिएए क्योंकी आप कोई विशेषज्ञ नहीं हैं जो शरीर की हर गतिविधि को समझ सके। यदि अच्छी नींद के लिए प्रयोग कर रहे हैं तो इसमें बुरा नहीं। वजन घटाना है तो खानपान में बदलाव उपवास आदि करें। अपनी क्षमता को जानकर ही बायोहैक आजमाएं।

बायो हैकिंग के कुछ सामान्य तरीके

                                                                   

इंटरमीटेंट फास्टिंग:

इस प्रक्रिया के अंतर्गत एक तय अवधि तक उपवास करना चाहिएए इस बीच कुछ ना खाएं इससे वजन घटता है और रक्तचाप को कम करने में मदद मिलती है।

ठंडे पानी की चिकित्सा:

ठंडे पानी में तैरना या फुहार में स्नान करने से हृदय प्रणालीए हमारा प्रतिरक्षा तंत्र और मानसिक स्वास्थ्य आदि को दुरस्त करने में मदद मिलती है इसलिए ठंडे पानी की चिकित्सा को भी करते रहना चाहिए।

ध्यान एवं योग

भावनात्मक संतुलन के लिए ध्यान व योग का सहारा लेना चाहिए। यदि ध्यान व योग्य को अपनी दिनचर्या में शामिल करते हैं तो इसके अनेक लाभ तो हमारे शरीर को मिलते ही हैं और साथ में शरीर को काफी आराम भी मिलता है।

ध्यान रखने योग्य कुछ बातें

.    जीवनशैली से जुड़ी समस्याएं हैं तो चिकित्सकीय परामर्श लेकर ही बायोहैक की तरफ बढ़े।

.    अच्छी नींद ज्यादा महत्वपूर्ण है अतः इसके साथ ज्यादा प्रयोग ना करें।

.    स्मार्ट वॉच फिटनेस ट्रैकिंग बेड या किसी डिवाइस के आंकड़ों पर आंख मूंदकर भरोसा ना करें।

.    उपवास प्राकृतिक भोजन और ध्यान योग्य अच्छे बायोहैक माने जाते हैं।

.    शारीरिक मानसिक क्षमता बढ़ाने के लिए दवाइयों का सेवन चिकित्सकीय परामर्श से ही करें।

शुरुआत करने का तरीका

.    बायो हैकिंग पहला चरण है अपने शरीर व मन की स्थिति पर निरन्तर और करीबी नजर रखें।

.    रक्त जांचए हृदय गतिए नींद की गुणवत्ता वजन आदि की जांच के माध्यम से परिणामों का पता करें।

.    अंतिम परिणाम प्राप्त करने की जल्दबाजी न करें और इस तक कब तक पहुंचेंगे इसकी चिंता भी ना करें।

.    यदि वजन घटाना या शरीर की क्षमता बढ़ानी हैए तो अच्छी नींद के लिए कुछ उपायों पर अमल अवश्य करें और अच्छी नींद लेने की कोशिश करें।

बायो हैंकिंग के लाभ

.    शारीरिक और मानसिक क्षमता में वृद्धि हो जाती है।

.    खूबियों व कमजोरियों की समझ आ जाती है।

.    पैसे और समय की बचत होती है।

.    लक्ष्य प्राप्त होने पर आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होती है।

बायोहैकिंग का बाजार 2028 तक 19% सीजीआर के साथ बढ़ सकता है और बायोहैकिंग का वैश्विक बाजार लगातार बढ़ रहा है। इसमें 17 सीएजीआर के साथ अनुमानित वृद्धि होगी।

भारत के सीजीएम बाजार में 2022 से लेकर 2027 के बीच सीजीएम वजन घटाने मधुमेह नियंत्रण करने और मेटाबॉलिज्म को बेहतर करने का एक तरह का टूल साबित होगा।

लेखकः डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मा जिला अस्पताल मेरठ में मेडिकल ऑफिसर हैं।

डिस्कलेमर: उक्त लेख में प्रकट किए गए विचार लेखक के अपने मौलिक विचार हैं।