भारत में प्रदान किए जाने वाले नागरिक सम्मान एवं उनकी प्रक्रिया

भारत में प्रदान किए जाने वाले नागरिक सम्मान एवं उनकी प्रक्रिया

डॉ0 आर. एस. सेंगर, डॉ0 कृषाणु एवं मुकेश शर्मा

भारत सरकार के द्वारा देश के नागरिकों को उनके द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में विशिष्ट और अद्वितीय योगदान के लिए नागरिक और सैन्य पुरस्कारों से सम्मानित किया जाता है। यह सेवाएं इतनी विशिष्ट होती हैं कि यह नागरिक सम्मान मरणोपरांत भी प्रदान की जाती है। देश में मुख्य रूप से दो ही प्रकार के सम्मान प्रदान किए जाते हैं, जिन्हें नागरिक और गैलन्ट्री अवार्ड्स के नाम से जाना जाता है।

नागरिक सम्मान

नागरिक सम्मान भारत सरकार के द्वारा देश के नागरिकों को विभिन्न क्षेत्रों में उनकी विशिष्ट सेवाओं और योगदान के लिए दिया जाता है। यह सम्मान राष्ट्रपति के द्वारा गणतंत्र दिवस पर प्रदान किये जाते हैं। सम्मान की केटेगरी के अनुसार दिए जाने वाले मुख्य नागरिक सम्मान निम्नांकित हैं-

1.   भारत रत्न

2.   पद्म विभूषण

3.   पद्म भूषण और

4.   पद्म श्री

भारत रत्न

                                                               

भारत रत्न देश का सबसे बड़ा और प्रतिष्ठित नागरिक सम्मान है। यह सम्मान विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्टतम सेवाओं के लिए प्रदान किया जाता है। यह सेवाएं कला, विज्ञान, साहित्य, खेल और सार्वजनिक सेवा के क्षेत्रों से संबंध रखता है। महान क्रिकेट खिलाड़ी सचिन तेंडुलकर अकेले ऐसे खिलाड़ी हैं, जिन्हें यह सर्वाेच्च नागरिक सम्मान खेल के क्षेत्र में दिया गया है।

इस सम्मान की स्थापना देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद के द्वारा 2 जनवरी 1954 को की गई थी। यह नागरिक सम्मान पदवी के रूप में प्रयुक्त नही किया जा सकता है। प्रारंभ में मरणोपरांत इस पुरस्कार को देने का प्रावधान नहीं था, किन्तु वर्ष 1955 से इस सर्वाेच्च नागरिक पुरस्कार को मरणोपरांत भी देने की शुरुआत कर दी गई थी। अभी तक 20 व्यक्तियों को यह सम्मान मरणोपरांत भी दिया जा चुका है। यह सम्मान एक वर्ष में अधिकतम 3 व्यक्तियों को ही दिया जा सकता है। भारत रत्न के पुरस्कार के लिए प्रधानमंत्री के द्वारा राष्ट्रपति को अनुशंसा की जाती है। पुरस्कार के प्राप्तकर्ता को एक प्रशस्ति पत्र और पीपल के पत्ते के आकार का एक मेडल प्रदान किया जाता है। इस पुरस्कार के साथ कोई भी नकद राशि नहीं दी जाती है। भारत रत्न से सम्मानित व्यक्ति सम्मान के क्रम में राष्ट्र स्तर पर सातवें स्थान पर आता है।

इस पदक का डिजाइन तांबे के बने पीपल के पत्ते के आकार का होता है, जिस पर प्लैटनम का चमकता सूर्य बना होता है। यह मेडल 59 मिलीमीटर लंबा, 48 मिलीमीटर चौड़ा और 3.2 मिलीमीटर मोटा होता है। इसके नीचे चांदी में भारत रत्न लिखा रहता है और इसे श्वेत फीते के साथ गले में पहना जाता है। इस मेडल के पीछे की तरफ भारत का राष्ट्रीय चिह्न अशोक चक्र और सत्यमेव जयते लिखा रहता है।

वर्ष 1954 में इस पुरस्कार से सम्मानित होने वाले पहले व्यक्ति भारत के प्रथम गवर्नर जनरल सी. राजगोपालाचारी, भारत के पहले उपराष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन और भौतिक शास्त्र के विख्यात विद्वान डॉक्टर सीवी रमन थे। देश के भूतपूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री इस पुरस्कार को मरणोपरांत पाने वाले पहले व्यक्ति थे। सामान्य रूप से यह सर्वाेच्च नागरिक सम्मान भारत में जन्म लिए हुए मूल नागरिकों को ही प्रदान किया जाता है, लेकिन विदेशियों के रूप में मदर टेरेसा, अब्दुल गफ्फार खान और नेल्सन मंडेला आदि को भी इस सर्वाेच्च नागरिक पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।

इस पुरस्कार को जुलाई 1977 से जनवरी 1980 के मध्य निलंबित कर दिया गया था। फिर इस पुरस्कार को अगस्त 1992 से दिसम्बर 1995 तक निलंबित कर दिया गया था। वर्ष 1992 में सुभाष चंद्र बोस को भारत रत्न देने की घोषणा की गई थी किन्तु उनकी विवादास्पद मृत्यु के कारण सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के फलस्वरूप इस पुरस्कार की घोषणा को रद्द कर दिया गया। यह पहला मौका था जबकि इस सर्वाेच्च नागरिक सम्मान की घोषणा के बावजूद इससे संबंधित व्यक्ति को सम्मानित नहीं किया गया और इसे वापस ले लिया गया।

मूल रूप से भारत रत्न से सम्मानित व्यक्ति को कोई मौद्रिक राशि प्रदान नहीं की जाती है, लेकिन इस सम्मान के साथ निम्न अधिकार और पत्र प्रदान किए जाते हैं-

  • मेडल।
  • भारत के राष्ट्रपति के द्वारा हस्ताक्षरित प्रशस्ति पत्र।
  • देश के किसी भी राज्य के अंदर यात्रा करने पर राज्य सरकार के द्वारा राज्य अतिथि का दर्जा प्राप्त होना।
  • एक डिप्लमैटिक पासपोर्ट की हकदारी। डिप्लोमेटिक पासपोर्ट सामान्य पासपोर्ट से अलग होता है और इसके साथ अंतर्राष्ट्रीय यात्रा के दौरान निश्चित सुविधाएँ प्रदान की जाती हैं।
  • इंग्जीक्यूटिव क्लास में आजीवन निशुल्क हवाई यात्रा करने का अधिकार।
  • वरीयता के क्रम में भारत रत्न से सम्मानित व्यक्ति को राष्ट्रीय स्तर पर सातवाँ दर्जा प्राप्त होता है।
  • भारत रत्न से सम्मानित व्यक्ति को एयरपोर्ट पर वीआईपी का दर्जा दिया जाता है। उनके लिए अलग से इमप्रैशन काउन्टर की सुविधा प्रदान की जाती है।
  • भारत रत्न पुरस्कार विजेता को प्रधानमंत्री के सैलरी के 50 प्रतिशत के बराबर का पेंशन दिया जाता है।
  • भारत रत्न से सम्मानित व्यक्ति को विदेश यात्रा के दौरान उस देश में स्थित भारतीय दूतावास में आवश्यकता के अनुसार सुविधाएं प्रदान की जाती है।

भारत रत्न का मेडल कोलकाता स्थित टकसाल में निर्मित किया जाता है। अभी तक कुल 53 व्यक्तियों को भारत रत्न से सम्मानित किया जा चुका है, जिसमें 20 को यह सम्मान मरणोपरांत दिया गया हैं।

पद्म सम्मान

                                                                 

भारत में पद्म सम्मान की घोषणा भी वर्ष 1954 में ही की गयी थी। मूल रूप से 12 जनवरी 1954 ईस्वी को भारत के राष्ट्रपति के सचिव से एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की गयी थी जिसके अन्तर्गत दो नागरिक अवार्ड्स की स्थापना की घोषणा की गयी थी, जिसमें सर्वाेच्च नागरिक सम्मान के रूप में भारत रत्न को प्रथम सम्मान का दर्जा दिया गया जबकि पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्म श्री को अन्य पद्म सम्मान के रूप में स्थापित किया गया था। यह सम्मान निम्नांकित तीन श्रेणियों में दिए जाते हैं-

पद्म विभूषण

पद्म भूषण

पद्म श्री

पद्म विभूषण

                                                    

भारत रत्न के बाद पद्म विभूषण भारतीय गणतंत्र का द्वितीय सर्वाेच्च नागरिक सम्मान है। इस नागरिक सम्मान की स्थापना 2 जनवरी 1954 ईस्वी में की गयी थी। गणतंत्र दिवस के अवसर पर घोषित किया जाने वाला यह नागरिक सम्मान भारतीय नागरिक की अद्वितीय और विशिष्ट सेवाओं के लिए प्रदान किए जाते हैं, जिसमें सार्वजनिक क्षेत्रों में कार्य करने वाले प्रोफेशनल्स को इसम सम्मान के दायरे से दूर रखा गया है। डॉक्टर्स और वैज्ञानिक इस सीमा के अन्तर्गत नही आते हैं। वर्ष 1957 में पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित प्रथम नागरिकों में सत्येन्द्र नाथ बोस, नन्द लाल बोस, जाकिर हुसैन, बाला साहब गंगाधर खेर, जिग्मे दोरजी बांगचुक एवं वी के कृष्णमेनन आदि थे।

पद्म भूषण

                                                             

पद्म भूषण भारतीय गणतंत्र का तीसरा सर्वाेच्च नागरिक सम्मान है और यह भी वर्ष 1954 ईस्वी में स्थापित किया गया था। यह सम्मान देश के लिए बहुमूल्य और विशिष्ट योगदान के लिए प्रदान किया जाता है। इस सम्मान में कांसे का मेडल दिया जाता है, जो 1-3/16 इंच का होता है। इसके मध्य में कमल का फूल बना होता है, जिसकी तीन पत्तियां इसे घेरे रहती हैं। इस फूल के ऊपर और नीचे पद्मभूषण लिखा रहता है। प्रख्यात नूक्लीअर साइअन्टिस्ट होमी जहांगीर भाभा और प्रसिद्ध वैज्ञानिक शांति स्वरूप भटनागर और अन्य सबसे पहले पद्म भूषण पाने वाले में व्यक्तियों में गिने जाते हैं।

पद्म श्री

                                                                            

पद्म श्री भारतीय गणतंत्र का चौथा सर्वाेच्च नागरिक सम्मान है और इसे भी वर्ष 1954 ईस्वी में ही स्थापित किया गया था। यह सम्मान भी देश में कला, शिक्षा, उद्योग, साहित्य, विज्ञान, अभिनय, औषधि, समाज सेवा और अन्य जन सेवाओं के क्षेत्र में बहुमूल्य और विशिष्ट योगदान के लिए प्रदान किया जाता है।

सभी प्रकार के पद्म पुरस्कारों के लिए प्राप्त नामिनेशंस को प्रति वर्ष भारत के प्रधानमंत्री के द्वारा गठित समिति को अंतिम निर्णय लेने के लिए दी जाती है। पद्म पुरस्कारों की इस समिति के अध्यक्ष कैबिनेट सेक्रेटरी होते हैं, जिसमें गृह मंत्रालय और राष्ट्रपति के सचिव के अतिरिक्त चार से छह विभिन्न क्षेत्रों के प्रख्यात सदस्यों को भी शामिल किया जाता है।

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।