कटे-गले फल ना खाएं बिगड़ सकती है सेहत

                 कटे-गले फल ना खाएं बिगड़ सकती है सेहत

                                                                                                                                                                           डॉ0 आर. एस. सेंगर

अगर साफ और ताजे फलों का सेवन न किया जाएं तो यह हानिकारक हो सकते हैं और इनके सेवन से अनेक बीमारियों का खतरा उत्पन्न हो जाता है, इसलिए हमेशा कोशिश करनी चाहिए कि ताजे फलों का ही सेवन किया जाए। गले हुए या कटे हुए फलों को ना खाया जाए। फल अपने पोषक एवं पौष्टिक गुणें के कारण सेहत के लिए बहुत उपयोगी होते हैं परन्तु यदि सुरक्षित रूप से इन्हें ना खाया जाए तो यह बहुत हानिकारक भी हो सकते हैं। क्योंकि इसमें हानिकारक बैक्टीरिया घटक और विषाक्त पदार्थ भी होते हैं।

                                                                 

सड़े हुए फल खाने से फूड प्वाइजनिंग भी हो सकती है। यह स्थिति तब होती है जब हानिकारक बैक्टीरिया भोजन पर पनपते हैं और विषाक्त पदार्थ का उत्पादित करते हैं, जो किसी को भी बीमार कर सकते हैं। सड़े हुए फल खाने से कुछ व्यक्तियों को एलर्जी भी हो सकती है।

                                                                         

अतः स्वस्थ जीवन के लिए यह जरूरी है कि वह बीमारियों और संक्रमणों से बचने के लिए केवल ताजे फलों का ही सेवन करें और उचित रूप से संतुलित आहार बनाए रखने के लिए अपने दैनिक भोजन में फलों को शामिल करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें ढेर सारे खनिज और विटामिन होते हैं जो शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। एक बार जब कोई फल चिपचिपा, गुदेदार बदबूदार बजरंग या फफूंद युक्त हो जाए तो बिना किसी हिचकिचाहट के उसे फेंक दें और यदि कोई दाग हो तो उसे अपने रसोई में धोकर साफ कर लें ताकि अन्य फलों को दूषित करने से बचाया जा सके। जो फल बहुत पुराने हो कच्चे हो और जिनमें कीड़े लगे हो और जिन्हें विषैले जंतुओं ने विषाक्त कर दिया हो, फंगस युक्त और रूप में जो विकृति हो गए हो या सड़ गए हो, ऐसे फल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी हो सकते हैं।

इसलिए सदैव कोशिश करनी चाहिए की सदैव ताजा एवं स्वच्छ फलों का ही सेवन करें इससे आपका स्वास्थ्य भी ठीक ही बना रहेगा।

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।