कोरोना के चलते दूसरे धंधों में लगे श्रमिकों ने खेती की ओर तेजी से किया रुख

              कोरोना के चलते दूसरे धंधों में लगे श्रमिकों ने खेती की ओर तेजी से किया रुख

                                                                                                                                          डॉ0 आर. एस. सेंगर, डॉ0 कृषाणु सिंह एवं मुकेश शर्मा

महामारी के बाद खेतीबाड़ी की ओर पुनः लौटे 5.6 करोड़ भारतीय

                                                                       

गुजरे तीन-चार साल में 5.6 करोड़ भारतीय श्रमिक खेतीबाड़ी की ओर लौटे हैं। यह वह वयस्क और युवाओं की आबादी है, जो गैर कृषि धंधों को अपना रहे थे, लेकिन कोरोना महामारी के बाद उन लोगों का इन धंधों से मोहभंग हो गया। यह खुलासा राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) की एक ताजा रिपोर्ट में हुआ है।

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) और इंस्टीट्यूट फॉर ह्यूमन डेवलपमेंट (आईएचडी) की ‘इंडिया एम्प्लॉयमेंट रिपोर्ट 2024’ के अनुसार इस समय देश में 10.07 करोड़ परिवार खेती बाड़ी पर ही निर्भर हैं। यह संख्या देश के कुल परिवारों का 48 फीसदी है। देश की लगभग 39.4 फीसदी आबादी कृषि उद्योग पर निर्भर है, लेकिन वयस्क और युवा धीरे-धीरे खेती कार्य से बाहर होने लगे थे।

यह लोग गैर कृषि से जुड़े धंधों को अपनाने लगे थे लेकिन, वर्ष 2019 के बाद महामारी के चलते कृषि रोजगार की हिस्सेदारी में वृद्धि के साथ-साथ कृषि कार्यबल के आकार में सफल वृद्धि भी हुई।

इस रिपोर्ट में विशेष तौर पर वर्ष 2000 से वर्ष 2022 के दौरान आयोजित राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (एनएसओ) और आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) के माध्यम से उत्पन्न रोजगार के आकड़ों की संख्या का उपयोग किया गया है।

लॉकडाउन ने खोले दरवाजे

वर्ष 2020-2022 के दौरान कृषि क्षेत्र में श्रमिकों की संख्या में लगभग 5.6 करोड़ की वृद्धि दर्ज की गई। यह अवधि मार्च 2020 में कोविड-19 महामारी के दौरान की है। इस दौरान करीब दो महीने का लॉकडाउन भी लगा था। इस दौरान शहरों से गांवों की ओर अनौपचारिक श्रमिकों का भारी संख्या में पलायन हुआ था। इस कारण से वर्ष 2020 में कृषि और उससे जुड़े क्षेत्रों में श्रमिकों की संख्या में 3.08 करोड़ की बढ़ोतरी दर्ज की गई।

गैर कृषि क्षेत्रों को मिले कम श्रमिक

उक्त रिपोर्ट के अनुसार महामारी के कारण आई आर्थिक मंदी और कृषि क्षेत्र से बाहर काम के अवसरों की कमी के चलते लोगों का रुझान एक बार फिर से खेती किसानी की ओर हुआ। लोगों ने ऐसा महसूस किया कि किसी भी परिस्थिति में खेती और उससे जुड़े धंधे ज्यादा बेहतर हैं। मुख्य रूप से इसी कारण वर्ष 2019 से 2022 के दौरान कृषि विकास अच्छी वृद्धि दर्ज की गई और इससे जुड़े कामधंधों के विकास में भी पर्याप्त तेजी आई।

महिलाओं ने कृषि कार्यबल को प्रदान की अपेक्षित तेजी

                                                   

कृषि कार्यबल में यह वृद्धि बड़ी संख्या में महिलाओं के कृषि क्षेत्र में लौटने के कारण हुई। वर्ष 2000-2019 के दौरान पुरुष भागीदारी दर की लुलना में महिला श्रम भागीदारी दर में गिरावट आई थी, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से वर्ष 2021 से 2022 के दौरान यह स्थिति उलट गई। वर्ष 2022 के दौरान कार्यबल में, कृषि में कार्यरत महिलाओं का अनुपात 62.8 फीसदी था, जबकि पुरुषों के मामले में यह 38.1 फीसदी था।

.

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।