जलवायु परिवर्तन के कुप्रभाव

                       जलवायु परिवर्तन के कुप्रभाव

                                                                                                                                                              डॉ0 आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 रेशु चौधरी

मौसम में तेजी से बदलाव आ रहा है और अप्रैल- मई माह में चुनाव होने के समय अधिक गर्मी पड़ने एवं लू चलने की सम्भावाना है। जलवायु परिवर्तन के चलते मौसम में गर्माहट लगातार बढ़ती चली जा रही है। भारत मौसम विज्ञान विभाग ने भविष्यवाणी की है कि अप्रैल और मई के महीनों में तापमान सामान्य से ऊपर रह सकता है और इसके साथ ही लू चलने की भी आशंका भी जताई जा रही है।

                                                                         

वैज्ञानिकों का मानना है कि इस बार तापमान के सामान्य से रहने की उम्मीद र्है। क्योंकि अब अप्रैल महीना लगभग आने ही वाला है। देश के मध्य भाग में हम अलनीनो की स्थिति का अनुभव करेंगे। ऐसा प्रतीत होता है इस साल मई का महीना मौसम का सबसे गर्म महीना होने जा रहा है और देश के उत्तर पश्चिम और मध्य भारत में गर्मी का अनुभव अधिक हो सकता है।

हमारे दीर्घकालिक पूर्वानुमानों के अनुसार अगले दो-तीन महीनों तक देश के मध्य भाग में असमान्य तापमान रहेगा और इसके साथ ही लू की स्थिति भी बनी रह सकती है। अगले कुछ दिनों के तापमान की भविष्यवाणी करते हुए वैज्ञानिकों का मानना है कि मार्च महीने में एक सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ वातावरण में 30 एवं 31 तारीख को कुछ बदलाव भी कर सकता है, जिसके चलते हल्की बारिश की भी संभावना व्यक्त की जा रही है।

तापमान को नियंत्रित करने में ग्लोबल साउथ की रहेगी अहम भूमिका

                                                                    

दुनिया में चल रहे भू राजनीतिक संघर्षों को देखते हुए जलवायु परिवर्तन पर ध्यान केंद्रित करना बेहद महत्वपूर्ण है और इस काम में ग्लोबल साउथ की भूमिका काफी अहम है। क्लाइमेट ट्रेंड्स द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने कहा कि पिछले साल भारत जी-20 के बाद अगली जी-21 की अध्यक्षता भी ग्लोबल साउथ के पास ही है। ऐसे में वह एजेंडा तय कर सकता है। इसके लिए अगले 2 साल बहुत ही महत्वपूर्ण है।

आखिरकार 3 दशकों की चर्चा के बाद कॉप-28 में स्वीकार किया गया कि इस समस्या की जड़ जीवाश्म ईंधन ही है और हमें उससे दूर जाने की जरूरत है और इसके लिए अगले 2 साल काफी महत्वपूर्ण होंगे। एक सफल कॉप-30 के लिए सीवीपी29 का कामयाब होना बहुत जरूरी है, इसके लिए हमें इस वर्ष एक सफल जी-20 की महत्ती आवश्यकता है।

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।