बच्चों में बढ़ता मोटापा

                                      बच्चों में बढ़ता मोटापा

                                                                                                                                                                डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा

वर्तमान में बच्चों में बढ़ता हुआ मोटापा एक भयंकर समस्या का कारण बन चुका है। आजकल का रहन-सहन, खानपान और नये प्रकार के भोजन के प्रति रूचि बच्चों की सेहत पर बुरा प्रभाव डाल रही है। इस समस्या के कई कारण हैं और इसके चलते बच्चों में विभिन्न प्रकार की बीमारियां भी पाई जा रही हैं। सबसे भयानक बात तो यह है कि इस मोटापे के कारण बच्चे भी अब दिल की बीमारी, हाई ब्लड प्रेशर, सांस फूलना और चिंता जैसी बीमारियों का शिकार बन रहें हैं।

                                                                        

अब बच्चों को भी पतले करने के लिए अस्पतालों में तथा हेल्थ क्लबों में भर्ती किया जा रहा है। शिशु अवस्था में ही गलत खानपान की आदतें पड़ जाती हैं। ज्यादा दूध, मक्खन व अण्डे कितना नुकसान पहुंचाते हैं, यह तो बाद में ही पता चलता है। अमेरिका में किए गए एक अध्ययन के अनुसार ज्यादा से ज्यादा लोग जो मोटापे का शिकार होते हैं और जिन्हें दिल की बीमारी होती है, वे बचपन से ही मोटापे का शिकार होते हैं। लेकिन इन सब का नुकसान तभी पता चलता है जब बच्चे किशोर अवस्था में पहुंचते हैं।

अब तो हमारे देश में भी देखा गया है कि खाने पीने की गलत आदतें ही बच्चों में इस समस्या को बढ़ा रही हैं। आजकल बहुत से घरों में माताएं नौकरी पर जाती हैं। घर आकर वे सोचती है कि बच्चों को होटलों के महंगे और अनोखे खाना खिलाने से उनकी मेहनत तो बचेगी ही और इसके साथ ही बच्चे भी स्वादिष्ट खाना खाकर खुश रहेंगे। ऐसे में बरगर, पिज्जा और कई प्रकार के फास्ट फूड खाने की आदत बच्चों की सेहत को बहुत नुकसान पहुंचाती है। अगर आप सुविधाजनक खाना ढूंढ रहे हैं तो यह जरूरी नहीं कि आप बाहर से ही खाना मंगायें। दूध, दही, सलाद और कटे हुए फलों का सलाद, यह सब खाने से आपको फायदा ही मिलेगा।

वर्तमान में हमारे रहन सहन का तरीका भी मोटापे को बढ़ाता है। आजकल के बच्चे कहीं खेलने नहीं जाते। हालांकि इसके कई कारण हैं, शहरों में खेलने की जगहों की कमी, छोटे-छोटे मकान और फिर पढ़ाई के मारे बच्चों को खेलने का समय तो मिलता ही नहीं। स्कूल से आकर बच्चे गृहकार्य में व्यस्त हो जाते हैं। तकरीबन 2-3 घण्टे काम करने के बाद, जब उन्हें खाली समय मिलता है, तो वह खेलना चाहते हैं लेकिन वे खेलने जाएं   भी तो कहां?

                                                                         

खुले बागीचे तो दिखाई ही नहीं देते और घरों के आसपास तो कोई मैदान हैं ही नहीं, इसलिए खाली समय में बच्चे टेलीविजन आदि ही देखते रहते हैं। इससे उनके शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ता है। कहीं जाकर खेलना नहीं, शरीर के किसी भी अंग का व्यायाम नहीं हो पाता। तो फिर ऐसे में उनका शरीर फूलता ही रहता है। फिर टेलीविजन देखते समय जरूर बच्चे भी और बड़े भी कुछ न कुछ खाते पीते भी रहते हैं जैसे वेफर, पैप्सी इत्यादि। यह सब एक आदत बन है और यह बच्चों के लिए बहुत ही हानिकारक है। टेलीविजन के अलावा अब अधिक से अधिक बच्चे कंप्यूटर में रूचि लेने लगे हैं। कई घंटे लगातार बैठे रहने से उनका क्या व्यायाम होता होगा?

बच्चों में मोटापा रोकने के कुछ घरेलू उपाय

                                                                        

प्रोटीन जरूर होना चाहिये जैसे एक गिलास दूध या फलों का सुबह बच्चों को भरपेट नाश्ता जरूर दें। इस नाश्ते में प्रोटीन अवश्य होना चाहि जैसे कि एक गिलास दूध या फलों का जूस, एक अण्डा, चीज या पनीर और हो सके तो थोड़ा दलिया या कार्नफ्लेक्स आदि।

खाने की मीठी चीजें जैसे टाफी, चाकलेट, केक, पेस्ट्री और शीतल पेय पदार्थ आदि का सेवन न करें अथवा इनकी मात्रा को कम करें।

शाम को चाय के समय पोहा, भुने हुए चने, मुरमुरे, पॉपकार्न इत्यादि बच्चों को दे सकते हैं। इसके साथ ही आईसक्रीम, केक, पेस्ट्री इत्यादि का सेवन कम से कम करें।

  • बच्चों को सलाद, कच्ची सब्जी व फल खाने की आदत डालें।
  • टेलीविजन के सामने बैठ कर खाना छोड़ दें। खाना खाते समय टेलीविजन बंद कर दें। टेलीविजन के सामने बैठकर आमतौर पर ज्यादा खाना खाया जाता है। खाना खाते समय हल्की फुल्की बातचीत करना भी बहुत जरूरी है।
  • यदि आपके बच्चे को मीठा खाना पसंद है तो फलों को काट कर और उनमें थोड़ा कस्टर्ड इत्यादि डाल कर उन्हें खिलाएं। आईसक्रीम, मिठाई, चाकलेट आदि का सेवन न करें। रेवड़ी, गजक इत्यादि, टॉफी एवं चाकलेट से अधिक लाभदायक होती हैं।

अपने बच्चों को प्रतिदिन खेलने के लिए घर से भेजें। यदि आपके घर के पास पार्क या खुली जगह नहीं है तो ऊपर छत पर या नीचे मैदान में बच्चों को खेलने या व्यायाम के लिए जरूर भेजें और यह सब नहीं हो सकता तो जरूर अपने बच्चों के साथ सैर करने जाएं। बच्चे आपकी आदतों से बहुत कुछ सीखते हैं। अतः अपना रहन सहन व खानपान भी बदलें जिससे बच्चों पर भी अच्छा असर हो सके।

लेखकः डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मा जिला अस्पताल मेरठ में मेडिकल ऑफिसर हैं।