करेला एक स्वास्थ्य वर्धक स्वाद

                          करेला एक स्वास्थ्य वर्धक स्वाद

                                                                                                                डॉ0 आर. एस. सेंगर, डॉ0 रेशु चौधरी एव डॉ0 कृषाणु सिंह

                                                            

करेला वैसे तो एक कड़वी सब्जी है जिसका नाम लेते ही मुंह कड़वाहट से भर उठता है, परंतु इसकी यही कड़वाहट इसकी लोकप्रियता को बनाए हुए हैं। इसका स्वाद भले ही कड़वा हो परंतु जब इसके गुणों पर दृष्टि डालते हैं, तो पाते हैं कि करेला एक सब्जी नहीं अपितु अपने आप में एक संपूर्ण औषधि भी है। अपने औषधीय गुणों के कारण ही यह घर घर की पसंद बना हुआ है। मधुमेह के रोगियों के लिए तो यह किसी अमृत से कम नहीं। करेला की तासीर ठंडी होती है यह पचने में हल्का होता है और अनेक बीमारियों को ठीक करने में सहायक होता है।

करेले के विभिन्न औषधीय-गुण

                                                           

करेले की जड़, पत्ती और फल सर्वांग उपयोगी है। आयुर्वेद के अनुसार करेले की जड़ आंख के दुखने में उपयोग की जाती है। करेले कड़वा फल शीतलता प्रदान करने वाला पाचन योग्य ज्वर-नाशक, कीटनाशक, भूख बढ़ाने वाला पित्त-दोष, कफ एवं रक्त सम्बन्धी बीमारी, रक्ताल्पता, दमा, फोड़ा, जाड़े की सर्दी के कारण फेफड़ों में कफ एकत्र होने से उत्पन्न रोग को मुक्ति प्रदान करने वाला तथा हैजे में उपयोगी है।

यूनानी पद्धति में करेला का फल वातहर, बलवर्धक, कीटनाशक, आंत को सिकोडनें वाला, बलगम घटाने वाला, उपदंश रोग, गठिया, प्लीहा रोग और आंख के दुखने में इस्तेमाल किया जाता है। इसकी पत्तियां फोड़ा या घाव के उपचार के लिए के लिए मरहम के रूप में इस्तेमाल की जाती हैं।

करेले के औषधीय उपयोग

                                                               

मधुमेह- मधुमेह के रोगियों को करेले का रस नित्य प्रतिदिन देने से रोगी को आराम मिलता है।

पेट के कीड़े- जिन बच्चों के पेट में कीड़े हो जाते हैं उनके लिए करेला बहुत लाभप्रद है। करेले का रस पत्तियों और बीजों का उपयोग पेट के कीड़ों की जड़ से नष्ट कर देता है।

कब्ज- करेले की सब्जी खाने से पेट ठीक रहता है तथा कब्ज अथवा मलावरोध नहीं होता है।

यकृत रोग- 3 से 8 वर्ष तक के बच्चों को आधा चम्मच करेले का रस प्रतिदिन देने से उनका यकृत ठीक प्रकार से कार्य करता है। यह पेट साफ कर रखता है, यकृत बढ़ने पर 50 ग्राम करेले का रस पानी में मिलाकर पिलाने से लाभ होता है।

पीलिया- पीलिया रोग में यह विशेष लाभकारी होता है। करेला पीसकर पानी में मिलाकर सुबह-शाम नित्य पीने से यह रोग प्रायः समाप्त हो जाता है।

पैरों की जलन- करेले के पत्तों के रस की पैरों पर मालिश करने से पैरों की जलन ठीक हो जाती है।

अन्य उपयोग- सिर की त्वचा में छाले हो जाने पर इसका रस लगाया जाता है। इसके रस में नमक मिलाकर बड़ी तथा छोटी माता में दिया जाता है। पूरे पौधे को सुखाकर पीसकर प्रातः होने वाले चूर्ण को छिड़कने से कोड व व्रण में लाभ पहुंचता है।

                                                                      

                                                करेले से प्राप्त होने वाले पोषक तत्व

                                                                  प्रति 100 ग्राम खाद्य भाग

जल

प्रोटीन

वसा

शर्करा

कैलोरी

विटामिन ‘ए’

राइबोफ्लोविन

कैल्शियम

9.24 ग्राम

1.6 ग्राम

0.2 ग्राम

4.2 ग्राम

25

210 आई.यू.

0.90 मि.ग्रा.

20 मि.ग्रा.

मैग्नीशियम

फास्फोरस

लौह

पोटेशियम

निकोटिनिकऐसिड

विटामिन ‘सी’

17 मि.ग्रा.

70 मि.ग्रा.

1.8 मि.ग्रा.

152 मि.ग्रा.

0.5 मि.ग्रा.

88 मि.ग्रा.

  • पशुओं को अफारा आने पर करें लोग को पानी में उबालकर और नमक मिलाकर उनका रस निकालकर नाल में दे तो पशुओं का अफरा शीघ्र ही उतर जाता है।
  • यदि पथरी की शिकायत है तो करेले कार स सवेरे खाली पेट पीने और ऐसा नियमित करने से पथरी गल गल कर निकल जाती और आराम मिलता है।
  • जोड़ों के दर्द की शिकायत के लिए तो करेला रामबाण औषधि के समान है। इस दशा में नियमित रूप से प्रातः काल हल्की सी काली मिर्च के साथ ही में भूनकर करेले का सेवन करना चाहिए। इससे शीघ्र ही जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है।

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।