भारतीय युवाओं का कृषि के क्षेत्र में भविष्य उज्जवल

           भारतीय युवाओं का कृषि के क्षेत्र में भविष्य उज्जवल


                                                                  डॉ आर एस सेंगर और मुकेश शर्मा

    कार्तिकेय, एक वेयर हाउस में काम करते हैं, दिव्यांशु नॉन बैकिंग फाइनेंस संस्था का कर्मचारी है, ध्रुव एक टेक एक्सपर्ट है, सरिता एक हैल्थ स्टार्टअप का संचालन करती हैए ऋषभ का सम्बन्ध ई-कामर्स से है, मुकुल विदेश में पढ़ाई कर रहा है और यह है अशोक जो कि एक किसान है। अब यदि यह पूछा जाए तो इनमें से कृषि क्षेत्र से जुड़ा हुआ कौन है तो अधिकतर लोग कहेंगे कि केवल अशोक ही कृषि क्षेत्र से जुड़ा हुआ चेहरा है, परन्तु यह जवाब गलत है, क्योंकि सच तो यह है कि इनमें से प्रत्येक व्यक्ति कृषि क्षेत्र से ही जुड़ा हुआ है।

सतत विकास में कृषि की भूमिका का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य एसजी वर्ष 2030 के एजेंट के केंद्र में कृषि क्षेत्र को रखा गया है और अधिकांश एसजी कृषि से संबंधित मुद्दों को संबोधित है। देश की बढ़ती आबादी के सापेक्ष वर्ष 2050 तक खाद्यान्न की मांग में 70% की वृद्धि होगी जबकि 900 मिलियन टन बागवानी उत्पादों की जरूरत होगी जिसकी भरपाई कृषि क्षेत्र के विकास और विस्तार से ही संभव है। इसलिए विकास के समावेशन व स्थायित्व के लिए कृषि क्षेत्र को और अधिक मजबूती देना जरूरी हो गया है।

                                                              

कृषि क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था का आधारभूत स्तंभ है यह न केवल भारत की जीडीपी का छटवा भाग निर्मित करता है बल्कि देश की 42% आबादी आज भी अपनी आजीविका के लिए कृषि क्षेत्र पर ही निर्भर है। यह क्षेत्र द्वितीय उद्योगों के लिए प्रारंभिक उत्पादन भी उपलब्ध कराता है।

कृषि क्षेत्र देश की 140 करोड़ आबादी को खाद्य सुरक्षा और 39 करोड़ पशुओं को चार प्रदान करता है। यह गरीबी निवारण पौष्टिक सुरक्षा आर्थिक स्थिरता प्रस्तुत किए स्थायित्व पर्यावरणीय संतुलन और ग्रामीणों की गैर कृषि आय को आधार प्रदान करता है। विकास में कृषि की भूमिका का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य 2030 के एजेंट में कृषि क्षेत्र को रखा गया है।

संयुक्त राष्ट्र के 17 एसडी जी में से 12 एसजी प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कृषि से संबंधित है। इनमें से एसजी दो भुखमरी का खात्मा सीधे कृषि को संबोधित है जबकि एसजी 135678 10, 12, 13, 14 और 15 परोक्ष रूप से कृषि से संबंधित है। अतः कृषि और इससे जुड़े कारोबार को मजबूत बनाए बिना हम ना तो अर्थव्यवस्था का समुचित विकास कर सकते हैं और ना ही आर्थिक स्थायित्व सुनिश्चित कर सकते हैं। कोरोना काल  में जब भारतीय अर्थव्यवस्था नकारात्मक वृद्धि पर थी, तब भी कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर सकारात्मक रही और इसमें अर्थव्यवस्था को संभालने का काम किया। हाल के दशकों में कृषि क्षेत्र ने कई नए रुझानों को परिलक्षित किया।

                                                                          

देश के ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले 770 मिलियन लोगों में से 75 प्रतिशत लोगों को रोजगार देने वाला और 13 से भी अधिक क्षेत्रों में रोजगार के अवसर प्रदान करने वाला भारतीय कृषि उद्योग सम्भावनाओं के किसी विशाल समुद्र से कम नही है। तो आईए करते हैं कृषि क्षेत्र में उज्जवल भविष्य का विकास आशाओं की नई राहों पर-

    एक काम कीजिए कि आप अपनी आँखें बन्द करके एक ऐसे भविष्य की कल्पना कीजिए कि जिसमे भारत की 05 ट्रिलियन डॉलर की ईकोनॉमी का चालक बल हमारा युर्वा वर्ग ही हैं, हमारे दिग्दर्शक प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी को आप युवाओं की सामर्थ्य एवं क्षमताओं पर पूर्ण विश्वास है। आप कृषि विकास के इस अभियान को गति प्रदान करेंगे और विकसित भारत 2047 के स्वप्न को साकार करेंगे। इसी मिशन से प्रेरणा प्राप्त कर आईसीएआर अर्थात भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की स्थापना की गई थी। जिसका लक्ष्य है भारत में कृषि उच्च शिक्षा का विकास एवं सशक्तिकरण करना।

कृषि विज्ञान के अन्तर्गत नेतृत्व सम्बन्धी भूमिकाओं के लिए मानव संसाधन विकास, शिक्षण संशोधन और आउटफील्ड गतिविधियों में मौलिक और प्रगतिशील अभिगम के द्वारा कृषि शिक्षा की गुणवत्ता मे सुधार करना, क्योंकि कृषि मात्र एक क्षेत्र ही नही है बल्कि यह एक विशाल फलक है आपकी अभिलाषाओं की पूर्ति के लिए और इस सफर की शुरूआत से आपकी राहों में खड़ी चुनौतियों को हम समझते हैं।

                                                                                  

इसीलिए तो इस दिशा में पहला कदम उठाने के साथ ही स्नातक से लेकर पीएचडी तक आपको वित्तीय सहायता प्राप्त होती रहे यह सुनिश्चित करते हैं। सरकार के द्वारा स्टाइपंड प्रदान करके यह सुनिश्चित किया जाता है कि प्रत्येक छात्र को उद्योग एक्सपोजर प्राप्त हो और वह भी बिना किसी आर्थिक बोझ के बिना।

पिछले कुछ वर्षों में लड़कों की तुलना में लड़कियों के एनरोलमेंट में उल्लेखनीय वृद्वि दर्ज की गई है, और तो और भारत के शिक्षण क्षेत्र में हो रहे इस महत्वपूर्ण परिवर्तन का अनुभव अब विदेशी छात्र भी एक बड़ी संख्या में कर रहे हैं। लेकिन यह तो केवल एक शुरूआत भर ही है। शिक्षण जगत इस क्रॉन्ति को ग्रामीण भारत तक पहुँचा रहा है स्टुडैन्ट रेडी कार्यक्रम जिसे हम रूरल एन्टरप्रीन्योरशिप अवेयरनेस डेवलेपमेंट योजना के नाम से भी जानते हैं। हालांकि यह एक योजना ही नही बल्कि एक गेम चेन्जर कार्यक्रम है।

    व्यवसियक माध्यम में प्रोयोगिक शिक्षा से लेकर कोशल्य विकास के लिए व्यवहारिक प्रशिक्षण तक रूरल वर्क अवेयरनेस एक्पीरियंस इन प्लांट ट्रेनिंग और इंटर्नशिप तक के अन्नत अवसर उपलब्ध हैं। युवा वर्ग इस क्षेत्र का अधिक से अधिक लाभ उठा सके इसके लिए आज देश में कृषि और उससे सम्बद्व क्षेत्रों में निरंतर पहलुओं का समावेश करते हुए लगभग 900 प्रायोगिक लर्निंग यूनिट्स और 750 नई शैक्षिणिक और रिसर्च स्ट्रक्चर फेसीलिटीज उपलब्ध हैं।

रोबोटिक्स, एआरवीआर और ऑर्टिफिशीयल इंटेलीजेंस आदि से सुसज्जित अत्याधुनिक प्रयोगशालाएं सटीक कृषि उपकरणों में व्यवहारिक प्रशिक्षण प्रदान कर रही हैं। लर्निंग आउटकम्स के परिणामों को और अधिक बना रही है। 18 हजार से भी अधिक लर्निंग मॉडयूल्स के साथ एग्री दिक्षा प्लेटफार्म बौर ई-लर्निंग पोर्टल के द्वारा देश में स्टूडेन्ट्स के लिए 200 से भी अधिक स्नातक एवं अनुस्नातक अभ्यास कार्यक्रम उपलब्ध है।

                                                                                 

हाल ही में शिक्षा के हाइब्रीड मॉडल के लिए कृषि विश्व्विद्यालयों में ब्लेण्डेड लर्निंग प्लेटफार्म को भी जोड़ा गया है। इसके साथ ही   कृषि क्षेत्र में होने वाले विकास से विद्यार्थियों को अवगत कराने के लिए एक नियमित अंतराल पर वर्कशॉप एवं सेमिनार का आयोजन भी किया जाता है। ज्ञान एवं अनुभव के आदान-प्रदान हेतु उद्योगों के साथ एमओयू भी किए जा रहे है।

कम्यूनिकेशन, उद्यमिता और इंडस्ट्री ओरएंटेशन के जैस कौशल के लिए 600 भी अधिक पायलेट कोर्सेज के माध्यम से विद्यार्थियों के हॉलिस्टिक डेवलेपमेंट को सुनिश्चित किया जा रहा है। एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत 900 से अधिक फेकल्टीज तथा 2,00 से अधिक स्टूडेंट्स को विदेश भेजा जा चुका है। कृषि क्षेत्र में उपलब्ध रोजगार के अवसर और करियर के विषय में स्कूली छात्रों को जानकारी प्रदान करने और जागरूकता फैलाने के लिए आईसीएआर के द्वारा सम्पूर्ण देश में विविध कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है।

आज देश में मात्र एक दशक में ही कृषि आधारित अभ्यास कराने वाले कॉलेजों की संख्या 600 से बढ़कर लगभग 1,000 तक पहुँच चुकी है। जिसके कारण आज विद्यार्थियों के पास बहुत से शैक्षकणिक विकल्प उपलब्ध हैं। 11 स्नातक, 95 अनुस्नातक और 80 डाक्टरेल विषय जैसे अनगिनत विकल्पों के साथ इस क्षेत्र में प्रगति की अपार सम्भवाएं समाहित हैं।

भारत की कृषि शिक्षण व्यवस्था एग्रीकल्चर एजुकेशनल सिस्टम एक ऐसा विशाल ईको-सिस्टम है, जिसमें आईसीएआर, एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटीज के साथ ही 76 विश्व स्तरीय महाविद्यालय सम्मिलत हैं। भारतीय कृषि शिक्षण व्यवस्था की छवि का कायाकल्प करना केवल एक वहम ही नही है बल्कि यह एक प्रयास है युवाओं के पुरूषार्थ से कृषि क्षेत्र को उन्नत, सस्टेनेबल और क्लाईमेटिक रेडी बनाने का और यह एक अभियान है युवाओं को कृषि क्षेत्र से जोड़कर जॉब सीकर्स से आगे बढ़ाकर जॉब क्रिएटर्स बनाने का।

वर्तमान में भारत में 3,000 से अधिक एग्री स्टार्टअप्स कार्यान्वित हैं जो 100 से अधिक इंक्यूबेटर्स इंक्यूबेट हो रहें हैं और यह इस क्षेत्र को नई ऊँचाईयों तक ले जाने में सक्षम है। भारत का कृषि क्षेत्र वर्तमान में मात्र खेतों तक ही सीमित नही है। आज आप फूड प्रोसेसिंग, मार्केटिंग, सेल्स, आईटी और लॉजिस्टक और एग्रीसांइस जैसे अनगिनत एरियॉज में अपने फ्यूचर को एक्सप्लोर कर सकते हैं।

                                                                          

इसके लिए अब मंच तैयार है और पटकथा भी लिखी जा चुकी है। इसमें चाहे आप खेत या फैक्ट्री, मार्केटिंग या सेल्स, इंजीनियरिंग या एमआईटी, अनुसंधान या विकास, लॉजिस्टक या सप्लाई चेन मेनेजमेंट में काम करना चाहते हैं या फिर एक नए जमाने के एद्यमी बनना चाहते हैं तो लागों के लिए जो सपने देखने, सीखने और सपनों का सृजन करने का साहस रखते हैं, कृषि क्षेत्र यह सब और इसके अलावा भी और बहुत कुछ तो आइए करते हैं कृषि क्षेत्र में उज्जवल भविष्य का विकास।

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।