पैन्क्रियाज को स्वस्थ्य रखने के लिए आवश्यक

                       पैन्क्रियाज को स्वस्थ्य रखने के लिए आवश्यक

                                                                                                                                                     डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा

मोटापे पर नियंत्रण

                                                                                       

वर्ल्ड ओबेसिटी फेडरेशन के एक अध्ययन के अनुसार जो लोग मोटापे से ग्रस्त हैं या जिनका वजन अधिक है, वे अगर अपने कुल वजन का 7 से 10 प्रतिशत तक वजन कम कर लेते हैं तो इस स्थिति में पैन्क्रियाज में होने वाली गड़बड़ियों को कुछ हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। जिस तरह से कई बार लिवर के ऊपरी भाग पर वसा संचित हो जाती है, ठीक उसी प्रकार मोटापे के परिणामस्वरूप पैन्क्रियाज पर भी अतिरिक्त वसा संचित हो जाती है। यह स्थिति पैन्क्रियाज की कार्य प्रणाली में बाधक होती है। अतः आप अपने वजन को कम रखने के लिए व्यायाम व खान-पान पर विशेष ध्यान दें।

ब्लड शुगर रखें नियंत्रित

                                                                      

इंसुलिन के पर्याप्त मात्रा में न बनने या फिर बिल्कुल न बनने के कारण ब्लड शुगर बढ़ जाती है। इंसुलिन की प्रक्रिया सही रहे, इसके लिए नियमित व्यायाम करें, फाइबर युक्त चीजें अधिक खाएं और पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं। एक साथ अधिक मात्रा में खाने से बचें। तनाव मुक्त रहें व पूरी नींद लेने प्रयास करें।

चिकनाई व आर्टिफिशियल स्वीटनर्स से दूरी बनाएं

                                                                   

विख्यात मेडिकल जर्नल द लैंसेट में प्रकाशित एक शोध पत्र के अनुसार जंक फूड्स या अत्याधिक चिकनाई युक्त खाद्य पदार्थों से जहां तक संभव हो परहेज करना पैन्क्रियाज की सेहत के लिए लाभप्रद है। चिकनाईयुक्त खाद्य पदार्थों को पचाने के लिए पैन्क्रियाज पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है। आहार में हरी पत्तेदार सब्जियों, मौसमी ताजे फलों, सलाद एवं रेशेदार खाद्य पदार्थ या फाइबर्स को ही वरीयता देनी चाहिए।

खान-पान में नेचुरल मिठास जैसे खजूर, शहद और गुड़ आदि को अपने भोजन में शामिल करें। डिब्बा बंद चीजों में मीठा अधिक होता है। शुगर फ्री का मतलब यह नहीं है कि अमुक खाद्य पदार्थ कैलोरी फ्री भी हो।

शराब और धूम्रपान से करें परहेज

                                                             

अमेरिकन पैन्क्रिएटिक एसोसिएशन के अनुसार पैन्क्रियाज में सूजन से बचाव के लिए शराब व धूम्रपान से दूर रहें। लंबे समय तक इनका सेवन क्रॉनिक पैन्क्रिएटाइटिस बन सकता है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है।

नियमित जांच

                                                      

यदि आपको कोई समस्या नहीं है तो भी चालीस के बाद साल में एक बार ब्लड शुगर की जांच आवश्यक रूप से करवाते रहें।

पैन्क्रियाज ग्रंथि अनदेखी करना पड़ सकता है भारी

                                                                             

अमाश्य और पित की थैली के बीच स्थित पैन्क्रियाज एक ऐसी ग्रंथि (ग्लैंड) होती है, जो एंजाइम्स और हार्मोन्स के जरिये शरीर के अन्दर कई काम करती है। यहाँ बात केवल डायबिटीज की ही नहीं है, पैन्क्रियाज की सेहत को नजरअंदाज करने से पूरे शरीर पर असर ही बुरा प्रभाव पड़ सकता है।

वर्तमान समय में इंसुलिन हार्मोन के बारे में तो आमतौर पर लोग जानते हैं, परन्तु यह हार्मोन शरीर के जिस भाग अग्नाश्य अर्थात पैन्क्रियाज से स्रावित होता है, के सम्बन्ध में लोगों को जानकारी एवं इसके सम्बध में जागरूकता काफी कम है।

पैन्क्रिएटिक हार्मोन्स का महत्व

इंसुलिन पर्याप्त इंसुलिन के बऔर रक्त में शर्करा का स्तर बढ़ता है, जो मधुमेह को बुलावा देता है। यह हार्मोनको बोटा कोशिकाओं में बनता है। ग्लूकान क्रियाज की अल्फा कोशिकाओं से ग्लूकान नामक हार्मोन जारी होता है। यदि ब्लड शुगर काफी कम हो जाती है, तो मकान लिवर में सचित शुगर को जारी करने का संदेश प्रेषित कर शुगर लेवल को बढ़ाने में मदद करता है। एमाइलिन पन्क्रियाज की बीटा कोशिकाओं में बनने वाला यह हामोन भी शुगर कम करने में सहायक है।

कारण व समस्याएं

’द इंटरनेशनल फाउंडेशन फॉर गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल डिसॉर्डर्स’ के अनुसार पैन्क्रियाज रोगों का एक बड़ा कारण खराब जीवनशैली है। इससे एक्यूट व क्रॉनिक पैन्क्रिएटाइटिस और पैन्क्रिएटिक कैंसर जैसी समस्याएं सामने आलो है। जंक फूड या वसायुक्त चीजें, शारीरिक सक्रियता की कमी, अधिक वजन, धूम्रपान व लंबे समय तक शराब का सेवन पैन्क्रियाज पर बुरा असर डालते हैं।

अन्य कारणः वायरल संक्रमण, हेपेटाइटिस ए व ईका संक्रमण, ऑटोइम्यून डिसॉर्डर और मम्प्स आदि के कारण भी पैन्क्रियाज विकारग्रस्त हो सकता है। काफी दिन तक पित्त की पथरी का बने रहना भी कालांतर में पैन्क्रियाज से संबंधित समस्या उत्पन्न कर सकता है। वहाँ पैन्क्रिएटिक कैंसर का एक प्रमुख कारण जेनेटिक म्यूटेशन यानी व्यक्ति के जीन में आए बदलाव से है।

इन लक्षणों पर रखें नजर

हाई ब्लड शुगर और पैन्क्रियाज में खराबी : अमेरिकन पैन्क्रिएटिक एसोसिएशन के अनुसार अगर पैन्क्रियाज की खराबी है तो ब्लड शुगर काफी बढ़ जाता है।

मेहनत कम या बिल्कुल न करने के कारण ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है।

अगर किसी को बार-बार अचानक पेट रहता है तो यह पैज में सूजन से हो सकता है। पेट का फूलना अगर खाना खाने के कुछ देर बाद पेट फूलने की समस्या होती है, तो यह पाचक एंजाइम्स को कमी से हो सकता है। इससे खाद्य पदार्थ ढंग से पचाते नहीं और बदहजमी होने लगती है।

वजन का घटते जाना

सोसाइटी ऑफ पेट ब्रिटेन एंडरलैंड द्वारा किए एक अध्ययन के अनुसार पैन्क्रियाज की गड़बड़ी से जब पेट ढंग से खाद्य पदार्थ अवशोषित नहीं करता, तब पौष्टिक आहार करने के बावजूद वजन कम होने लगता है। पीड़ित को कमजोरी और थकान रहने लगती है।

जी मिचलाना, उल्टी और दस्त की समस्याः खाने के बद जी मिचलाने या फिर उल्टी की समस्या रहती है तो इसका एक प्रमुख कारण है कि सायुक्त चीजों को आप ढंग से पच्चा नहीं पा रहे है। अधिक वसायुक्त चीजें खाने पर ऐसा अधिक होता है। अकसर दस्त रहना भी पैन्क्रियाज की गड़बड़ी का संकेत हो सकता है। ऐसा एंजाइम्स की कमी के कारण होता है।

कुपोषण की समस्याः भोजन ढंग से नहीं पचने से शरीर में जरूरी विटामिस व मिनरल्स की कमी हो जाती है और कुपोषण की आशंका बढ़ जाती है।

पीलिया होना : जब पैन्क्रियाज विकारास्त होता है तो व्यक्ति बार- बार पोलियाग्रस्त हो सकता है।

उपचार

पैन्क्रियाज में सूजन कम करने के लिए दवाएं दी जाती है। एक्यूट पैन्किएटाइटिस का कारण वायरस और हेपेटाइटिस एवई का संक्रमण भी हो सकता है। इसके लिए एंटीबायोटिक्स, इंट्रावेनस फ्लूइस और लक्षणों के आधार पर जैसे पेट दर्द, उल्टी च अन्य समस्याओं की दवाएं दी जाती हैं। क्रॉनिक पैन्क्रिएटाइटिस का कारण अत्याधिक मात्रा में अल्कोहल लेना और धूम्रपान करना है, जिससे पैन्क्रियाज में सूजन बरकरार रहती है। कुछ अज्ञात कारणों से भी ऐसा हो सकता है।

लक्षणों के आधार पर एंजाइम्स व एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर में पहुंचाए जाते हैं। क्रॉनिक पैन्क्रिएटाइटिस वालों को कम वसायुक्त चीजें खानी चाहिए। ज्यादा देर खाली पेट नहीं रहना चाहिए। कैंसर की स्थिति में लक्षण व गंभीरता के आधार पर कीमोथैरेपी, सर्जरी और रेडिएशन थैरेपी से उपचार करते हैं।

लेखकः डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मा जिला अस्पताल मेरठ में मेडिकल ऑफिसर हैं।