तिलहन के उत्पादन में आत्मनिर्भरता के लिए

                        तिलहन के उत्पादन में आत्मनिर्भरता के लिए

                                                                                                                                                 डॉ0 आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 रेशु चौधरी

‘‘जीएम सरसों की खेती से किसानों की आय बढ़ाने, खाद्य तेल के आयात का बोझ कम करने और खाद्य तेल उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलेगी।’’

तेजी से बदलते जलवायु के तहत वैश्विक खाद्य और पोषण सुरक्षा की जटिल चुनौती के समाधान के लिए फसल सुधार प्रौद्योगिकियों, जैसे पारंपरिक प्रजनन विधियों के पूरक के रूप में. आनुवंशिक रूप से संशोधित (जीएम) फसलों को विकसित करने की खातिर आनुवंशिक इंजीनियरिंग आदि को अपनाना बेहद जरूरी हो गया है। वैश्विक खाद्य सुरक्षा और पोषण रिपोर्ट, 2019 के अनुसार, 2030 तक ’जीरो हंगर’ के लक्ष्य को हासिल करना मुश्किल है।

                                                             

ऐसे में, फसलों को आनुवंशिक रूप से बेहतर बनाने पर खासा जोर देने की जरूरत है। खाद्य उत्पादन बढ़ाने और आत्मनिर्भर बनने के लिए हमें फसल की बेहतर किस्मों और संकर प्रजातियों की आवश्यकता हैं, जो बढ़ी हुई पैदावार और पर्यावरण में व्यापक अनुकूलनशीलता प्रदर्शित करे, और प्राकृतिक संसाधनों की कम लागत दर्शाए। हरित क्रांति के कारण खाद्य उत्पादन, जो 1950-51 में मात्र पांच करोड़ टन था, 2020-21 में बढ़कर 30 करोड़ टन से अधिक हो गया है।

कृषि-वायोटेक अनुप्रयोगों के अधिग्रहण के लिए अंतरराष्ट्रीय सेवा (आईएसएएए) 2020 की एक रिपोर्ट के अनुसार, कुल 72 देशों ने जीएम फसलों को मानव भोजन या पशु चारे के साथ-साथ व्यावसायिक खेती के लिए अपनाया है। जीएम फसलों से पांच देशों (अर्जेंटीना, ब्राजील, कनाडा, भारत और अमेरिका) में 1.95 अरब से अधिक लोगों या वर्तमान विश्व की 7.6 अरब आबादी के 26 फीसदी से अधिक लोगों को लाभ हुआ है। वहीं जीएम फसलों से वर्ष 1996 से 2018 के दौरान 1.6 करोड़ से अधिक किसानों को 224.9 अरब डॉलर का आर्थिक लाभ हुआ है, जिनमें से 95 फीसदी विकासशील देशों से हैं।

इसके अलावा, 1996 में अपनाए जाने के बाद से जीएम खाद्य फसलें पिछले 25 वर्षों से ज्यादा समय से वैश्विक स्तर पर जैव सुरक्षा के मापदंड पर खरी उतरी हैं।

                                                                 

गौरतलब है कि वर्तमान में भारत को खाद्य तेलों की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है, जिसकी मांग का 60 फीसदी भाग आयात से पूरा होता है। सरसों भारत में सबसे महत्वपूर्ण खाद्य तेल फंसलों में से एक है। लेकिन ’वैश्विक औसत की तुलना में हमारे यहां इसकी प्रति हेक्टेयर उपज बहुत कम है। इस प्रकार, देश में सरसों की उत्पादकता बढ़ाना किसानों की आर्थिक खुशहाली और खाद्य तेल उत्पादन में आत्मनिर्भरता के लिए महत्वपूर्ण है।

आनुवंशिक इंजीनियरिंग का उपयोग करते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर जेनेटिक मैनिपुलेशन ऑफ क्रॉप प्लांट्स (सीजीएमसीपी) में उच्च शक्ति और उपज के साथ जीएम सरसों संकर, डीएमएच-11 बनाने के लिए व्यापक शोध किया गया है। इससे खाद्य तेलों के घरेलू उत्पादन में वृद्धि के साथ-साथ कृषि आय में वृद्धि होगी। अक्तूबर, 2022 में वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की आनुवंशिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति (जीईएसी) ने खेती के लिए डीएमएच-11 को मंजूरी देने का एक ऐतिहासिक निर्णय लिया।

इससे देश में आनुवंशिक इंजीनियरिंग अनुसंधान क्षेत्र को बढ़ावा देने और बेहतर गुणों वाली नई फसल की किस्मों को तैयार करने में मदद मिलेगी। चूंकि भारत में सरसों की किस्मों का आनुवंशिक आधार बहुत संकीर्ण है, इसलिए जीईएसी द्वारा सरसों में बार्नसे- बारस्टार-आधारित संकर उत्पादन की अनुमति देने का निर्णय न केवल उच्च पैदावार के लिए सरसों की संकर किस्मों के प्रजनन का मार्ग प्रशस्त करता है, बल्कि रोगों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता को भी सुनिश्चित करता है और खाद्य तेल की गुणवत्ता में भी सुधार करता है। इससे किसानों को प्रति हेक्टेयर उपज बढ़ने से आर्थिक लाभ होगा और उनकी आय में भी वृद्धि होगी।

                                                                      

आनुवंशिक रूप से देश में विकसित जीएम सरसों की खेती से किसानों की आय बढ़ाने, खाद्य तेल आयात का बोझ कम करने और खाद्य तेल उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने में मदद मिल सकती है। डीएमएच 11 की पर्यावरणीय मंजूरी कृषि में आत्मनिर्भरता और स्थिरता की दिशा में एक नए युग की शुरुआत का प्रतीक है। भारतीय किसानों की आय बढ़ाने के लिए अधिक उन्नत जीएम खाद्य फसलों की आवश्यकता है।

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।