वास्तविकता की ओर

                                       वास्तविकता की ओर

                                                                                                                                                                                      डॉ0 आर. एस. सेंगर

हमारे बुज़ुर्ग हम से वास्तविकता में वैज्ञानिक रूप से बहुत आगे थे। अपने कथित विकास के दौरान थक हार कर अब हमें फिर वापिस उनकी ही राह पर ही आना पड़ रहा है। इसके कुछ साक्ष्य निम्नलिखित हैं-

                                                                       

1. मिट्टी के बर्तनों से स्टील और प्लास्टिक के बर्तनों तक का सफर तय करने के बाद अब हमें फिर कैंसर के खौफ़ के चलते दोबारा मिट्टी के बर्तनों की ओर ही जाना पड़ेगा।

2. अंगूठाछाप से दस्तखतों (Signatures) पर आए परन्तु अब एकबार फिर से अंगूठाछाप (Thumb Scanning) पर आने का सच।

3. फटे हुए, सादा कपड़ों से साफ सुथरे और प्रेस किए कपड़ों के चलन के बाद अब एक बार फिर फैशन के नाम पर अपनी पैंटें फाड़ लेना और स्टेटस सिम्बल।

 

4. सूती से टैरीलीन, टैरीकॉट आदि के बाद फिर से वही अपने सूती पर वापस आ जाना।

                                                                       

5. ज़्यादा मशक़्क़त वाली ज़िंदगी से घबरा कर पढ़ना लिखना और फिर IIM व MBA आदि को करने के बाद फिर से आर्गेनिक खेती पर पसीने बहाना।

 

6.  क़ुदरती से प्रोसेस फ़ूड (Canned Food & packed juices) पर और फिर बीमारियों से बचने के लिए दोबारा से उन्हीं क़ुदरती खाने के तरीकों पर वापस आ जाना।

 

7. पुरानी और सादा चीज़ें इस्तेमाल ना करके ब्रांडेड (Branded) तक और फिर आखिरकार इस सब से जी भर जाने के बाद फिर से पुरानी यानि कि (Antiques) चीजों पर ही आ जाना।

 

8- बच्चों को Infection से डराकर मिट्टी में खेलने से रोकना और फिर घर में बंद करके फिसड्डी बनाना और होंश आने पर दोबारा से उन्हें Immunity बढ़ाने के नाम पर उसी मिट्टी से खिलाना।

 

9. गाँव और जंगल से डिस्को पब और चकाचौंध की ओर भागती हुई दुनिया की सैर और अब फिर से मन की शाँति एवं स्वास्थ (Health) के लिये शहरों से फिर जंगल और गाँव की ओर यात्रा।

 

इससे ये निष्कर्ष (Conclusion) निकलता है कि Technology ने जो हमें दिया उससे बेहतर तो प्रकृति ने पहले से ही दे रखा था। ️

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।