
पशु पोषण और उनके स्वास्थ्य में बायोमाकर्स का योगदान Publish Date : 13/06/2025
पशु पोषण और उनके स्वास्थ्य में बायोमाकर्स का योगदान
डॉ0 डी. के. सिंह
वर्तमान समय में तीव्र गति से चल रहे जनसंख्या विस्तार, शहरीकरण, जीवनशैली में व्यापक बदलाव और जीवन की बेहतर गुण्वत्ता के साथ ही पशुधन उत्पदों की माँग में भी लगातार वृद्वि हो रही है। पशुधन उद्योग वैश्विक अर्थव्यवस्था के अन्तर्गत अपनी महत्वपूर्ण बहुत प्रभावी ढंग से निभा रहा है। इसके साथ ही पिछले कुछ दशकों में पशुधन उद्योग अभूतपूर्व गति के साथ बढ़ा है। आज पशुओं के स्वास्थ्य में सुधार और नके उत्तम प्रदर्शन के लिए बहुविषयक दृष्टकोण को अपनाने की नितांत आवश्यता है। पशुओं के स्वास्थ्य के सम्बन्ध में पर्याप्त जानकारी प्राप्त करने और उनके प्रदर्शन में मूलभूत सुधार करने के लिए किसी भी पोषण सम्बन्धी हस्तक्षेप के प्रभाव का मूल्यांकन करने के लिए बायोमार्कर एक बहुत ही अहम भूमिका निभाते हैं। आज के हमारे इस लेख के माध्यम से पशुधन विशेषज्ञ डॉ0 डी. के. सिंह बता रहें हैं बायोगाकर्स के महत्वपूर्ण योगदान के बारे में चर्चा कर रहे हैं।
क्या है बायोमार्कर
जैविक अवस्था की जैविक माप करते हैं बाोमाकर्स। बायोमार्कर का सामान्य जैविक प्रक्रियाओं, विभिन्न प्रकार की रोगजनक प्रक्रियाओं अथवा चिकित्सीय हस्तक्षेप के लिए औषधीय प्रतिक्रियाओं को संकेतक के रूप में मापन और उनका मूल्यांकन निष्पक्ष रूप से किया जाता है। इसके अन्तर्गत जीव की प्रत्येक जैविक प्रणाली, उदाहरण के लिए हृदय प्रणाली, चयापचय प्रणाली या प्रतिरक्षा प्रणाली आदि के अपने विशिष्ट बायोमार्कर होते हैं।
बायोमाकर्स की विशेषताएं
प्रत्येक बायोमार्कर की अपनी कुछ विशेषताएं होती हैं,जो इसे किसी रोग विशेष की स्थ्तिि की जांच हेतुइसे उपयुक्त बनाती हैं। एक आइडिल बायोमार्कर के अंदर निम्न विशेष्ताओं के होना बहुत आवश्यक है-
बायोमार्कर स्थिति को मापने में आसान तथा उपयोग में सुरक्षित हो।
अनुवर्ती करने के लिए एक कुशल लागत का होना आवश्यक है।
बसयोमार्कर का लिंग और जातीया समूहों के अनुरूप होना भी अतिआवश्यक है।
पशुओं में गैस्ट्रोइंटेटाइनल कार्याक्षमता
गैस्ट्रोइंटेटाइनल कार्यक्षमता एक स्थिर स्थिति होती है, जहाँ माइक्रोबायोम और आंत्र पथ एक सहजीवी संतुलन में उपलब्ध रहते हैं और जहाँ पशु-कल्याण और उनका पदर्शन उनकी आंतों की स्थििलता से बाधित नहीं होता है। गैस्ट्रोइंटेटाइनल कार्यक्षमता के प्रमुख घटकों अर्थात आहार, पाचन, आंतों की पारगम्यता, प्रभ्ीावी प्रतिरक्षा की स्थिति और आंत के माइँबायोटाज हैं। गैस्ट्रोइंटेटाइनल कार्यक्षमता के प्रमुख घटकों में जानवरों के लिए सम्भावित बायोमार्कर का मूल्यांकन करने और गैस्ट्रोइंटेटाइनल सिस्टम की कार्यक्षमता को मापने का अवसर प्रदान करते हैं। यह समस्त डोमेन गैस्ट्रोइंटेटाइनल फिजियोलॉजी, पशु स्वास्थ्य, कल्याण और उनके प्रदर्शन में अति महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह सभी डोमेन एक दूसरे के साथ जटिल तंत्रों के माध्यम से जुड़े हुए होते हैं और इस जटिलता के कारण, एकल बायोमार्कर का उपयोग करना सम्भव नहीं हो सकते और इस प्रकार से बायोमार्कर के ण्क पैनल की आवशकता होती है।
बायोमार्कर के विकास की आवश्यकता
देश में पिछले कुछ वर्षों से पशु पोषण विशेषज्ञों, पशु चिकित्सकों और पशु वैज्ञानिकों के बीच आंत स्वास्थ्य की अवधारण ने एक काफी महत्वूर्ण रूचि को पैदा किया है। इष्टतम स्वास्थ्य की दिशा में गैस्ट्रोइंटेटाइनल कार्यक्षमता को संशोधित करने के उद्देश्य से पोषण संबंध्ी हस्तक्षेप को विकसित करने के लक्ष्य का निर्धारण किया है, जिससे कि पशुओं के उत्पादन और उनके प्रदर्शन यथा, दुग्ध उत्पादन मोस एवं अंड़े की गुणवत्ता को बढ़ावा यिा जा सके। गैस्ट्रोइंटेटाइनल कार्यक्षमता के बायोमार्कर का विकास आंतों की बाधा इसकी कार्यक्षमता और गैस्ट्रोइंटेटाइनल की पारिस्थितिकी को प्रभावित करने वाली घटना आदि के बारे में मानव की समझ को बढ़ाने की दिशा में भी काफी महत्वपूर्ण सिद्व होगी।
क्या है फीकल बायोमार्कर
गैस्ट्रोइंटेटाइनल कार्यक्षमता को मापने के लिए वर्तमान समय में उपलब्ध र्वििभन्न तकनीकें इनवेसिव हैं क्योंकि इस प्रकार नमूनों को एकत्र करने के लिए पशु की बलि अथवा सर्जिकल तरीकों की आवश्यकता होती है। वहीं मल (फीकल) बायोमार्कर अच्छे और गैर-आक्रामक बायोमार्कर के रूप में कार्य करते हैं। इसके लिए स्रोत मल पदार्थ का नमूने को संग्रह करना आसान होता है और आवश्यकता होने पर इसे दोहराया भी जा सकता है। ग्लुकोकोर्टीकोइड ही एकमात्र मल बायोमार्कर ही एक ऐसा उदाहरण है जो पशु-कल्याण की प्रक्रिया का प्रदर्शन करता है।