
बरिश के मौसम में दुधारू पशुओं का आहार और प्रबंधन Publish Date : 10/06/2025
बरिश के मौसम में दुधारू पशुओं का आहार और प्रबंधन
डॉ0 डी. के. सिंह एवं प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
“स्वस्थ पशु = अधिक दूध = खुशहाल किसान”
वर्षा ऋतु में दुधारू पशुओं का आहार और प्रबंधन किस प्रकार करें-
बरसात का मौसम होता है चुनौतीपूर्ण
वर्षा ऋतु जहां खेतों में हरियाली लाती है, वहीं पशुपालन के क्षेत्र में विभिन्न प्रकार की चुनौतियाँ भी लेकर आती है। इस मौसम में नमी, कीचड़, मक्खी-मच्छर, फफूंद और परजीवी रोगों का प्रकोप काफी बढ़ जाता है। यदि इस समय दुधारू पशुओं की देखभाल सही प्रकार से न की जाए, तो पशु का दुग्ध उत्पादन कम हो सकता है, पशु बीमार हो सकते हैं और उनकी प्रजनन शक्ति पर भी बुरा प्रभाव पड़ सकता है।
अतः बरसात के मौसम में दुधारू पशुओं को ’’क्या खिलाएं’’ और ’’कैसे रखें उनका ख्याल’’, जिससे कि उनका स्वास्थ्य और दुग्ध उत्पादन अच्छा बना रहे, इसका ध्यान रखना बहुत आवश्यक होता है।
बरसात के मौसम में पशुओं के लिए आहार प्रबंधनः क्या और कैसे खिलाएं?
हरे चारे की बहुलता का लाभ
बरसात के मौसम में हरा चारा जैसे नेपियर घास, बरसीम, ग्वार, मूंग और लोबिया आदि भरपूर मात्रा में उपलब्ध होते हैं। इनमें पोषक तत्व, पानी और विटामिन्स प्रचुर मात्रा में उपस्थित होते हैं।
ध्यान दें:-
- अधिक पानी वाला चारा (जैसे ज्यूसी नेपियर या जलभरी घास) अत्यधिक मात्रा में न दें, ऐसा करने से पशु को दस्त या अफारा हो सकता है।
- हरे चारे को सूखे भूसे के साथ मिलाकर देना चाहिए।
सूखे चारे की कमी की पूर्ति
बरसात के मौसम में कई बार सूखे चारे की कमी हो जाती है। इस कारण पहले से साइलोज बनाकर या भूसा भंडारण करके रखना चाहिए।
- बरसीम और ग्वार जैसी दालों का सूखा चारा (हे) अत्यंत पौष्टिक होता है।
- पशु को दिन में एक बार भूसा अवश्य दें, इससे पशु का जठर तंत्र संतुलित बना रहता है।
संतुलित खल-चोकर का आहार दें
प्रोटीन, ऊर्जा, मिनरल और विटामिन युक्त संतुलित खल-चोकर मिश्रण पशुओं को देना बहुत जरूरी हैः
- चारा और दाना अनुपात 60:40 रखें।
- दूध उत्पादन अनुसार दाने की मात्रा का निर्धारण करें, सामान्यतः प्रति लीटर दूध के लिए 400-500 ग्राम दाना देना जरूरी होता है।
खनिज मिश्रण और नमक देना भी न भूलें
बरसात के मौसम में चारे में खनिजों की मात्रा कम हो जाती है, जिससे पशु में चूषण, कमजोरी और बांझपन आदि की समस्या हो सकती है।
- मिनरल मिक्सचर और सादा नमक प्रतिदिन पशु के आहार में मिलाएं।
- ट्रेस मिनरल ब्लॉक्स (TMB) को पशु बाड़े में रखें।
बीमारियों से बचावः बरसात के मौसम में विशेष सावधानी बरतें-
परजीवी नियंत्रण कैसे करें?
- बरसात के मौसम में कीचड़ और गीली मिट्टी में पेट के कीड़े (गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल परजीवी) तेजी से पनपते हैं।
- इसके लिए प्रत्येक 6 महीने में कृमिनाशक दवा (TMB) अवश्य दें, विशेष रूप से जून-जुलाई के महीनों में।
खुरपका-मुंहपका और गलघोंटू रोग से बचाव
- पशु को जुलाई-अगस्त के महीने में FMD HS एवं BQ के टीके आवश्यक रूप से लगवाएँ।
- यदि आपके पशु में बीमारी के लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत ही पशु चिकित्सक से संपर्क करें।
बरसात के मौसम में प्रबंधनः पशु को सुरक्षित रखने के उपाय
पशुओं के बाड़े को साफ, सूखा और हवादार बनाए रखें।
- पशु शेड की छत टपकनी नहीं चाहिए।
- जमीन पर पक्का फर्श और ढलान रखें, जिससे उस पर पानी का जमाव न होने पाए।
- दिन में कम से कम दो बार बाड़े से गोबर और गंदगी साफ करते रहें।
कीट व मक्खी नियंत्रण करें
- मक्खियों और मच्छरों के माध्यम से बीमारियाँ फैलती हैं, इसलिए कीटनाशक स्प्रे करते रहें।
- बाड़े में नीम की पत्तियां या नीम तेल का प्रयोग नियमित रूप से करें।
पशुओं को गीला न रहने दें
- यदि पशु भीग जाए, तो सूखे बोरे से पोंछें।
- पशु के गीला रहने से गलघोंटू, थनैला और निमोनिया जैसे रोग हो सकते हैं।
दूध उत्पादन उत्तम बनाए रखने के लिए कुछ टिप्स
- दूध देने वाले पशु को अधिक प्रोटीन और खनिज युक्त आहार प्रदान करें।
- पशु के थनों को साफ करें, दूध दोहन से पहले और बाद में हल्के गुनगुने पानी से पशु के थनों को धोएँ।
- थनैला से बचाव के लिए दूध निकालने के बाद थनों में टिकिया या थन डिप सॉल्यूशन का प्रयोग करें।
बरसात के मौसम में सावधानी ही सुरक्षा है
वर्षा ऋतु में दुधारू पशुओं की देखभाल थोड़ी अधिक मेहनत वाली होती है, लेकिन सही आहार और साफ-सुथरे वातावरण से आपः
- अपने पशुओं को बीमार होने से बचा सकते हैं।
- दूध की मात्रा और गुणवत्ता को बनाए रख सकते हैं।
- लंबी अवधि तक पशु का स्वास्थ्य अच्छा बनाए रख सकते हैं।
लेखकः डॉ0 डी. के. सिंह, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्विद्यालय के पश्सु चिकित्सा महाविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं।