
गाय में होने वाले प्रमुख रोग तथा उनके लक्षण और उपाय Publish Date : 03/03/2025
गाय में होने वाले प्रमुख रोग तथा उनके लक्षण और उपाय
पालतू गायों का स्वस्थ रहना डेयरी उद्योग के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। आज के अपने इस आर्टिकल में हम आपको गायों की 10 प्रमुख बीमारियों, उनके लक्षण और उपचार के उपाय के बारे में बताने जा रहें है, जो उनके स्वास्थ्य और दूध उत्पादन पर गहरा प्रभाव डालती हैं।
गायों का स्वस्थ रहना डेयरी उद्योग के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है और जब गायों में बीमारियां लगती हैं, तो इसका असर न केवल उनके दूध उत्पादन पर पड़ता है, बल्कि उनके समग्र स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। कई प्रकार की बीमारियां तो गायों में आम होती हैं, जैसे कि बुखार, त्वचा के रोग, सांस की समस्या और पाचन संबंधी विकार आदि। इन बीमारियों के लक्षणों की पहचान करना और इनका समय पर उपचार करना अति आवश्यक रहता है जिससे कि गायों का स्वास्थ्य बेहतर बना रहे और डेयरी उद्योग की उत्पादकता में निरंतरता बनी रहे। ऐसे में आइए हम अपने किसान जागरण डॉट कॉम के इस आर्टिकल में आपको बताते हैं गायों में होने वाली 10 प्रमुख बीमारियां, उनके लक्षण और उनके उपचार के उपायों के सम्बन्ध में-
1. खुरपका-मुंहपका (FMD)
रोग के लक्षणः
- पशु मुंह, जीभ, होठों और खुरों पर छाले बन जाते हैं।
- मुंह से लार गिरना और पशु का आहार नहीं कर पाना।
- रोगी पशु में लंगड़ापन और बुखार आदि की समस्या।
बचाव के उपायः
- संक्रमित गाय को बाड़े के अन्य पशुओं से अलग रखें।
- साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।
- समय-समय पर पशुओं का टीकाकरण कराते रहें।
2. थनैला
रोग के लक्षणः
- पशु के थन में सूजन और लालिमा।
- दूध में खून या पीला पदार्थ का मिश्रण आना।
- पशु को बुखार और बेचैनी होना।
बचाव के उपायः
- थनों की नियमित रूप से सफाई करें।
- पशु का एंटीबायोटिक उपचार कराएं।
- संक्रमित गाय के दूध को अलग रखें।
3. लंगड़ापन (Laminitis)
रोग के लक्षणः
- पशु को चलने में कठिनाई होना।
- पशु के खुरों में सूजन और दर्द होना।
- दूध उत्पादन में गिरावट आना।
बचाव के उपायः
- पशु को सही एवं उचित आहार देते रहें।
- पशु के रहने के स्थान को साफ और सूखा बनाएं रखें।
- पशु चिकित्सक से पशु का उचित उपचार कराएं।
4. दूध ज्वर (Milk Fever)
रोग के लक्षणः
- पशु में कमजोरी और उसका लड़खड़ाकर चलना।
- पशु का शरीर ठंड़ा और सुस्त होना।
- पशु की आहार में अरुचि होना।
बचाव के उपायः
- पशु को कैल्शियम का इंजेक्शन जरूर लगवाएं।
- पशु को संतुलित आहार दें।
- बछड़े के जन्म के बाद विशेष ध्यान दें।
5. बचेरी (Bloat)
रोग के लक्षणः
- पशु के पेट में सूजन और बेचैनी का होना।
- पशु के द्वारा बार-बार लेटने और उठने की कोशिश करना।
- पशु के सांस लेने में कठिनाई होना।
बचाव के उपायः
- पशु को अधिक मात्रा में हरा चारा देने से बचें।
- पशु के पेट की मालिश करें।
- वेटरनरी डॉक्टर से पशु के लिए दवा लें।
6. ब्रूसेलोसिस (Brucellosis)
रोग के लक्षणः
- पशु का बार-बार गर्भपात होना।
- पशु के दूध उत्पादन में कमी आना।
- कमजोर बछड़े का जन्म होना।
बचाव के उपायः
- संक्रमित गाय को अन्य पशुओं से अलग करें।
- पशुओं का नियमित टीकाकरण कराएं।
- पशुओं के रहने के स्थान एवं पशु की स्वच्छता को बनाए रखें।
7. रेबीज (Rabies)
रोग के लक्षणः
- पशु का अचानक आक्रामक व्यवहार करना।
- पशु के मुंह से झाग आना।
- पशु को पानी से डर लगना।
बचाव के उपायः
- पशु को समय पर टीका अवश्य ही लगवाएं।
- संदिग्ध पशु को अन्य पशुओं से अलग करें।
- तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करें।
8. पाचन तंत्र सम्बन्धित समस्या (Indigestion)
रोग के लक्षणः
- पशु को भूख न लगना।
- पशु को बार-बार डकार आना।
- मल त्याग में परेशानी।
बचाव के उपाय
- पशु को सही मात्रा में आहार दें।
- पशु पेट की मालिश करें।
- आवश्यक दवा दें।
9. गलघोंटू (Hemorrhagic Septicemia)
रोग के लक्षणः
- पशु के गले में सूजन होना।
- पशु को सांस लेने में कठिनाई।
- पशु की अचानक मौत होना।
बचाव के उपायः
- पशु का टीकाकरण कराएं।
- संक्रमित गाय को अन्य पशुओं से अलग करें।
- पशु को समय पर दवा दें।
10. लम्पी स्किन डिजीज (Lumpy Skin Disease)
रोग के लक्षणः
- पशु के शरीर पर गांठें बनना।
- पशु को बुखार और कमजोरी होना।
- पशु के दूध उत्पादन में कमी आना।
बचाव के उपायः
- पशु की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
- संक्रमित गाय को अन्य पशुओं से अलग रखें।
- संक्रमित पशु का पशु चिकित्सक से समुचित उपचार कराएं।