
लम्पी वायरस का पहला टीका भारत ने किया विकसित Publish Date : 13/02/2025
लम्पी वायरस का पहला टीका भारत ने किया विकसित
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
सीडीएससीओ के द्वारा भारत बायोटेक के टीके को स्वीकृती प्रदान की अब जल्द ही आरम्भ होगा टीके का उत्पादन।
पशुओं को लंपी वायरस के संक्रमण से बचाने के लिए दुनिया का प्रथम डीवा मार्कर टीके का विकास किया है। इसके लिए केन्द्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) के द्वारा भी लाइसेंस की स्वीकृति प्रदान कर दी गई है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के सहयोग से भारत बायोटेक की हैदराबाद स्थित कंपनी वायोवेट ने इस टीके का विकास किया है और इस टीके को बायोलम्पिवैक्सिन का नाम दिया है।
पशुओं में होने वाली बीमारी लम्पी को त्वचा का गांठदार नामक रोग के नाम से भी जाना जाता है। यह पशुओं में होने वाली एक संक्रामक बीमारी है, जो पॉक्स विरिडे फैमली के वायरस के कारण पशुओं में होती है। इस वायरस को नीथलिंग वायरस के नाम से भी जाना जाता है।
इस वायरस से संक्रमित पशुओं की त्वचा पर गांठें बन जाती है जिससे पशुओं में बुखार, लिम्फ नोड्स की सूजन, दूध की मात्रा में कमी और पशुओं के चलने-फिरने में परेशान आदि लक्ष्ण सामने आते हैं। इस वायरस का संक्रमण मच्छर, कीट तथा अन्य प्रकार के काटने वाले कीड़ों के माध्यम से फैलता है। बायोवेट के संस्थापक डॉ0 कृष्णा एला ने जानकारी दी कि इस टीके को तीन माह से अधिक आयु के पशुओं को प्रतिवर्ष एक बार दिया जाना आवश्यक है।
टीका विभिन्न परीक्षणों के दौर से गुजरा
आईसीएआर-एनआरसीई और भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंघान संस्थान के शेधकर्ताओं के द्वारा इस टीके के कई परीक्षण करने के बाद प्राप्त निष्कर्षों के आधार पर ही भारत सकार ने पशुओं के होने वाले टीककरण के दौरान इस टीके को भी शामिल करने का निर्णय लिया है।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।