केवल दो भैंसों से ही कर सकते है डेयरी की शुरुआत Publish Date : 03/09/2024
केवल दो भैंसों से ही कर सकते है डेयरी की शुरुआत
भैंसों की बेहतर नस्ल और कमाई का तरीका
अधिकांश पशु पालकों के पास डेयरी से पैसे कमाने के बहुत सारे प्लान तो होते हैं लेकिन पूंजी की कमी के चलते वह इसकी शुरुआत नहीं कर पाते हैं। आर्थिक रूप सं कमजोर ऐसे पशुपालक मात्र दो भैंसों से भी डेयरी फार्मिंग की शुरूआत कर सकते हैं। हमारी आज की पोस्ट में भैंसों की अच्छी नस्ल और भैंस पालने पर आने वाले खर्च और कमाई की पूरी जानकारी प्रदान की जा रही हैं।
बीते कुछ सालों से हमारे देश में पशुपालन काफी लाभ का सौदा बन गया है। ऐसे में कुछ नए-नए लोग भी दुधारू पशु पालकर और डेयरी बिजनेस से जुड़ कर अच्छी कमाई कर रहे हैं। आमतौर पर अधिकांश पशु पालकों के पास डेयरी से पैसे कमाने के बहुत से प्लान तो होते हैं लेकिन पूंजी के अभाव के चलते वह इसकी शुरुआत नहीं कर पाते हैं। हम ऐसे पशुपालकों को बता दें कि आप केवल दो भैंसों से भी अपनी डेयरी की शुरुआत कर अच्छी कमाई कर सकते है। लेकिन इसमें कुछ खास बातों का ध्यान रखना भी जरूरी होता है। आइए अब जान लेते हैं कि दो भैंसों से डेयरी फार्म की शुरुआत करके अच्छी कमाई की जा सकती है।
इन खास नस्लों की भैंस को ही पालें
ऐसा व्यक्ति जो कि केवल दो भैंसों से ही डेयरी फार्मिंग करना चाहते हैं तो इसके लिए सबसे पहले जरूरी है कि आपको भैंसों की खास नस्ल की जानकारी होनी चाहिए व्यापक रूप से होनी चाहिए। इसके लिए आपको अधिक दूध देने वाली नस्लों के साथ ही उनके रोग प्रतिरोधक क्षमता और स्वभाव आदि को ध्यान में रखकर ही काम करना होगा। इसके लिए पशुपालकों को मेहसाणा और सुरती जैसी नस्लों को प्राथमिकता देना लाभदायक बताया जाता है। अब आइए हम उपरोक्त दोनों ही नस्लों की विशेषताओं के बारे में भी जान लेते है।
सुरती नस्ल की भैंस की विशेषताएं
सुरती नस्ल की भैंस खासतौर पर गुजरात के बड़ौदा और कैरा जिले में बहुसंख्या में पाई जाती है। सुरती नस्ल की भैंस की रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत अच्छी मानी जाती है। अच्छी देखभाल के बाद यह भैंस अपने एक ब्यांत में 900-1300 लीटर तक दूध देती है तो वहीं इसके दूध में वसा की मात्रा भी 8-12 प्रतिशत तक होती है।
मेहसाणा नस्ल की भैंस की विशेषताएं
मेहसाणा नस्ल की भैंसें गुजरात के मेहसाणा के अलावा साबरकांठा, बनासकांठा, अहमदाबाद और गांधीनगर जैसे जिलों में भी बहुतायत में पाई जाती हैं। इस नस्ल की भैंसों की सींग हंसिए की तरह मुड़ी हुई होती है। इन भैंसों के एक ब्यांत में दूध का औसत समय 42-48 महीने का होता है और इस नस्ल की भैंस रोजाना 10 लीटर तक दूध दे सकती है।
दो भैंसों को पालने में आने वाला खर्च
अभी तक हमने भैंसों की दो अच्छी नस्लों के बारे में जान लिया है। इन्ही नज्ञलों में से किसी भी एक नस्ल को चुनकर आप अपने डेयरी व्यवसाय की शुरुआत कर सकते हैं। इन दोनों ही नस्लों की भैंसों की कीमत 50 हजार रुपये से लेकर एक लाख रुपये तक हो सकती है। अब यदि इनके खान पान की बात करें तो रोजाना प्रति भैंस औसतन ढाई किलो अनाज या दाना खिलाना भी जरूरी होता है। यदि आप इन्हें जौ, बाजरा, ज्वार या मक्का आदि खिला रहे हैं तो ढाई किलो रोजा के हिसाब से औसतन 100 रुपये रोज का खर्च मानकर भी चलें तो इस पर तीन हजार रुपये महीने का खर्च आता है।
इसके अलावा हरा चारा, सूखा चारा, सरसों, अलसी या मूंगफली की खली, ज्वार, बाजरा या मक्के की चूरी भी इन पशुओं को खिला सकते हैं, जिसके खर्च का औसत भी महीने का लगभग दो से तीन हजार रुपये तक आ सकता है।
अधिक कमाई करने का तरीका
यदि आप केवल भैंसों का दूध ही बेचते हैं तो मनमुताबिक कमाई शायद ना कर पाएं। डेयरी से कमाई करने के लिए डेयरी प्रोडक्ट्स को बेचना अधिक लाभकारी माना जाता है। भैंसों के दूध में गाय के मुकाबले अधिक फैट होता जिसके कारण उसमें से डेयरी प्रोडक्ट्स बनाना ज्याद आसान होता है। अतः आप भैंस दूध से आप मक्खन, पनीर, खोया और छेना जैसी चीजें बना कर बेचते हैं तो अधिक मुनाफा हो सकता है।
प्रस्तुतिः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।