प्राकृतिक खेती की ट्रेनिंग कृषि विज्ञान केन्द्रों से प्राप्त करें किसान      Publish Date : 30/09/2024

प्राकृतिक खेती की ट्रेनिंग कृषि विज्ञान केन्द्रों से प्राप्त करें किसान

                                                                                                                                                              प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

रसायनिक उर्वरकों का अविवेकपूर्ण प्रयोग करने से न केवल लोगों का स्वास्थ्य खराब हो रहा है बल्कि खेत की मिट्टी भी इससे बुरी तरह से प्रभावित हो रही है।

                                                                 

अब जिले के किसानो को प्राकृतिक खेती के लिए ट्रेनिंग कृषि विज्ञान केन्द्रों में प्रदान की जाएगी। इससे किसान प्राकृतिक खेती से कम लागत में जैविक पैदावार बढ़ाकर अपनी आय में भी पर्याप्त वृद्धि कर सकते हैं। इसके साथ ही किसान कैमिकल युक्त खेती से बचकर स्वयं के साथ ही दूसरे लोगों और अपने खेत की उर्वरा शक्ति को भी बचा सकते है। प्राकृतिक खेती का उद्देश्य रसायन मुक्त कृषि, प्रकृति के अनुरूप जलवायु खेती को बढ़ावा देना और पर्यावरण एवं जलवायु प्रदूषण के स्तर में कमी लाते हुए, इस पद्धति को स्थाई आजीविका के रूप में स्थापित करना है।

केंद्र सरकार प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने और अधिक से अधिक किसानों को इससे जोड़ने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है और अब इसके लिए किसानों को विधिवत प्रशिक्षण भी प्रदान किया जा रहा है।

                                                                

यह प्रशिक्षण जिले में स्थित कृषि विज्ञान केन्द्रों में दिया जाना है, जहां आगामी माह से किसानो को यह ट्रेनिंग प्रदान की जाएगी। इस संबंध में सरदार पटेल कृषि एवं प्रोद्योगिक विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिक डॉ0 आर. एस. सेंगर ने बताया कि किसानों को प्राकृतिक खेती के प्रति जागरूक करने के लिए राज्य के सभी कृषि विज्ञान केंद्रों में प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है।

इसके लिए प्रत्येक कृषि विज्ञान केंद्र में 40-40 किसानों का बैच तैयार किया जा रहा है, जिन्हे यह प्रशिक्षण दिया जायेगा। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में किसानों को प्राकृतिक खेती करने की सारी जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी। इसके साथ ही कसानों को रसायन मुक्त खेती करने से होने वाले लाभों के सम्बन्ध में भी पूरी जानकारी प्रदान की जाएगी।

                                                                   

डॉ0 सेंगर ने बताया कि रसायनिक उर्वरकों के अंधाधुंध इस्तेमाल से न सिर्फ लोगों का स्वास्थ्य खराब हो रहा है अपितु इससे खेतों की मिट्टी भी कुप्रभावित हो रही है। ऐसे में किसानों को प्राकृतिक खेती करने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस दौरान नई तकनीक से भी किसानों को रूबरू होने का मौका मिलेगा, जो भी किसान इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लेना चाहते हैं, उन्हें अपने नजदीक के कृषि विज्ञान केंद्र पर जाकर रजिस्ट्रेशन कराना होगा और यह रजिस्ट्रेशन बिल्कुल फ्री है।

रजिस्ट्रेशन कराने के बाद किसानों कों प्रशिक्षण शुरू होने का इंतजार करना होगा, क्योंकि जब तक 40 किसानों का बैच तैयार नहीं हो जाएगा तब तक प्रशिक्षणकार्यक्रम शुरू नहीं किया जाएगा।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।