अब किसानों को जैविक और प्राकृतिक खेती के लिए मिलेगी वित्तीय मदद Publish Date : 28/09/2024
अब किसानों को जैविक और प्राकृतिक खेती के लिए मिलेगी वित्तीय मदद
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
क्षेत्रीय जैविक और प्राकृतिक खेती केंद्र ने रांची स्थित कृषि निदेशालय में जैविक और प्राकृतिक खेती पर 5 से 25 सितंबर, 2024 तक पाठ्यक्रम का आयोजन किया गया। इस पाठ्यक्रम का उद्देश्य झारखंड में जैविक खेती के बारे में जागरुकता और अवसर पैदा करना है। इस प्रोग्राम के अन्तर्गत में बताया गया कि जैविक खेती मानव जाति और प्रकृति दोनों के लिए ही बेहतर होती है। वास्तव में, आज यह दुनिया के प्रत्येक इंसान की जरूरत भी है। समापन समारोह में कृषि निदेशक डॉ. कुमार ताराचंद ने जैव खेती और प्रमाणीकरण पर प्रशिक्षण का मैनुअल भी जारी किया। इसके अलावा उन्होंने प्रमाण पत्र भी वितरित किए।
इस अवसर पर अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि जैविक खेती और प्रमाणीकरण प्रक्रिया पर इन 21 दिनों के इस प्रशिक्षण के माध्यम से ज्ञान और जानकारी को बढाएं और जैविक रूप से उगाई गई फसलों की स्थापना करें। झारखंड का जैविक ब्रांड तैयार करें। केंद्र प्रायोजित योजना पीकेवीवाई के तहत जैविक और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को झारखंड सरकार द्वारा वित्तीय सहायता भ प्रदान की जाएगी।
सहायक निदेशक (आरसीओएनएफ, भुवनेश्वर) एस. आर. इंगले ने प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया। झारखंड में जैविक खेती के महत्व और संभावनाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि वर्ष 2022 से किसान 750 क्लस्टर में जैविक खेती कर रहे हैं। जिले में और 24000 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र अनाज, सब्जी और औषधीय पौधों के अंतर्गत आता है। जल्द ही वे पूरी तरह से जैविक प्रमाणित उत्पादक बन जाएंगे। क्षेत्र के किसान जैविक रूप से विकसित ब्रांड स्थापित करने के लिए क्लस्टर में आगे आ सकते हैं।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।