जमीन को बंजर बनाती रासायनिक खाद Publish Date : 28/01/2024
जमीन को बंजर बनाती रासायनिक खाद
Dr. R. S. Sengar and Dr. Krishanu Singh
रासायनिक खाद और कीटनाशकों के अविवेकपूर्ण एवं अधिकाधिक उपयोग के चलते हमारी धरती माता का स्वास्थ्य लगातार बिगड़ता जा रहा है और वह बंजर होती जा रही हैं। इनका प्रयोग करने के कारण ही हमारी फसलों के लिए उपयोगी जीवाणु मिट्टी से नष्ट होते जा रहे हैं। यदि हम जल्दी ही हम सचेत नहीं हुए तो वह दिन भी दूर नही है कि हमारी आने वाली हमारी पीढ़ियों को तमाम संकटों से जूझना ही पड़ेगा। उस समय हमारे पास न तो रोग मुक्त अनाज बचेगा और न ही पीने के लिए शुद्ध पानी।
यह बात सेकसरिया चीनी मिल बिसवां के वैज्ञानिक व प्रमुख सलाहकार डॉ रामकुशल सिंह ने सकरन के मंडोर गांव में जैविक खेती करने वाले गन्ना किसान महेश मिश्रा के गन्ने के खेत पर आयोजित गन्ना किसानों की गोष्ठी में कही। डॉ रामकुशल सिंह ने कहा कि धरती माता को बंजर होने से केवल गौ माता के आशीर्वाद से ही बचाया जा सकता है। गाय के गोबर और मूत्र से बने जीवामृत/ घनजीवामृत आदि का उपयोग करने से धरती माता स्वस्थ रहेंगी। जिससे हमें रोग मुक्त अनाज, गुड़, सब्जियां और दालें प्राप्त होगी।
गाय के गोबर और मूत्र के उपयोग से बनने वाले जैव कीटनाशक और बायोपेस्टिसाइड का उपयोग करने से फसलों को हानि पहुंचाने वाले कीट/पतंगे नष्ट हो जाते है और मिट्टी में फसलों के लिए उपयोगी जीवाणुओं की संख्या और उनका घनत्व बढ़ जाता है।
जिससे हमें रोग मुक्त फसलें तो मिलती ही हैं, वही खेत की मिट्टी का स्वास्थ्य भी अच्छा बना रहता है। उन्होंने बताया कि जैविक पेस्टिसाइड बनाने के लिए ताजा गाय का गोबर, चार दिनों से अधिक पुराना गोमूत्र, 10 पर्णी पत्तियों का चूरा/पेस्ट, जिनमें नीम, तंबाकू, मदार, पपीता, कनेर, गेंदा बेहया, धतूरा, गन्ने का रस/गुड, हरी मिर्च, लहसुन, अदरक, हल्दी, कली और चूना आदि। इन सबका पेस्ट बनाकर प्लास्टिक के एक ड्रम में भर देना है। इस घोल को अच्छी तरह मिलाना है। एक महीने की नियमित देखभाल से यह जैव कीटनाशक तैयार हो जाएगा।
चीनी मिल के वरिष्ठ गन्ना प्रबंधक डॉ अमरीश सिंह तोमर ने गन्ने की रोग मुक्त एवं भरपूर उपज देने वाली एग्ट 15023, एच 14201, एग् 13235, एग् 0118 आदि प्रजातियों की बुबाई, ट्रेंच विधि से करने के लिए कहा। उपगन्ना प्रबंधक विमल मिश्रा ने गन्ने के साथ आलू, गोभी, लहसुन, प्याज, उर्द, मूंग, जौ, चना, मटर, मसूर आदि की सहसली खेती करके अधिक लाभ पाने के बारे में जानकारी दी। इसके साथ ही उन्होंने खेती में रासायनिक खादों के उपयोग को कमकर, जैविक खादों के उपयोग को बढ़ाने पर विशेष जोर दिया।
गोपालक किसानों को चीनी मिल से दिलाएंगे अतिरिक्त सुविधाएं- डॉ रामकुशल सिंह ने गोष्ठी में किसानों से कहा कि यदि वह गोपालन करेंगे तो उन्हें गोमूत्र इकट्ठा करने के लिए 200 लीटर का एक इम, एक ट्राली मड और राख निःशुल्क चीनी मिल से दिलाएंगे। जिससे उन्हें जैविक खाद और कीटनाशक बनाने में अपेक्षित सुविधा मिलेगी और इसका उपयोग करने से उनकी रासायनिक खादों और कीटनाशकों पर निर्भरता कम होगी, खेती की लागत कमी आएगी और किसानों की आय में बढ़ोत्तरी होगी।
गोपालक व बैलों से खेती करने वाले किसानों का सम्मान किया गया- गोष्ठी में उपस्थित गोपालक व बैलों के उपयोग से खेती करने वाले किसानों को सम्मानित भी किया गया। डॉ राम कुशल सिंह ने कहा कि गोपालन करना ऐ अत्यंत पुनीत कार्य है। ऐसा करने से हमें गौमाता की सेवा करने का अवसर प्राप्त होता है, तो वहीं उनके गोबर एवं मूत्र के माध्यम से बनी उत्तम खाद का उपयोग करने से हमारी धरती माता का स्वास्थ्य भी अच्छा बना रहता है। गाय के गोबर एवं मूत्र का उपयोग करने से बनी जैविक खाद से प्राप्त लाभ-
1. धरती माता को हरा भरा बनाए रखने के लिए गोपालन बहुत जरूरी।
2. जमीन को बंजर होने से बचाएगी गाय के गोबर और मूत्र से बनी जैविक खाद।
3. गन्ने के साथ सह फसलों की खेती से मिलता है दोहरा लाभ।
स्वस्थ रहने के लिए मोटे अनाज उगाए- डॉ राम कुशल सिंह ने गोष्ठी में उपस्थित सभी किसानों से कहा कि स्वस्थ रहने के लिए मोटे अनाजों को अपने भोजन में जरूर शामिल करें। किसानों को अपने खेतों में ज्वार, बाजरा, मक्का, साँवाँ, कोदो और मेडुवा आदि की फसलों को जरूर उगाना चाहिए।
लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।