जैविक खेतीः वर्तमान में आवश्यकता और समय की माँग      Publish Date : 02/06/2025

   जैविक खेतीः वर्तमान में आवश्यकता और समय की माँग

                                                                                                                         प्रोफसेर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 रेशु चौधरी

क्यों आवश्यक है जैविक-खेती: आज के समय में रासायनिक उर्वरकों के असंतुलित और अविवेकपूर्ण उपयोग के कारण अब मिट्टी पूरी तरह से खराब होती जा रही है और वह दिन दूर नहीं जब धरती बंजर हो जाएगी। इसको बचाने का एकमात्र उपाय है कि रासायनिक खादों पर निर्भरता कम से कम की जाए और जैविक-खाद तैयार किया जाए, ढैचा इसके लिए सबसे उपयुक्त है।

                                                      

45 दिन में होने वाली ढैचा की फसल: फसल की जड़ में नाइट्रोजन होता है, इसकी पत्तियों के रस में खरपतवार व कीटनाशक गुण होते हैं। इसलिए यह बहुउपयोगी पैदावार है। यह पौधा कार्बनडाई-ऑक्साइड को भी अवशोषित करता है, जिससे मिट्टी की गुणवत्ता बढ़ती है। मिट्टी की जैविक संरचना में सुधार होता है।

इस ढैंचा को आमतौर पर बारिश के मौसम में बोया जाता है और फिर मिट्टी में मिला दिया जाता है, जिससे मिट्टी में कार्बनिक-पदार्थ की मात्रा बढ़ती है। इसके इस्तेमाल के बाद यूरिया की एक तिहाई जरूरत कम होगी और खरपतवार की संभावना भी कम हो जाती है।

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।