रसायन मुक्त खेतीः समृद्ध फसल का एक नया मार्ग      Publish Date : 11/02/2025

              रसायन मुक्त खेतीः समृद्ध फसल का एक नया मार्ग

                                                                                                                           प्रोफसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 वर्षा रानी

आज के समय में खेती को अधिक उत्पादन देने वाली और टिकाऊ बनाने के लिए हमें नए तरीकों को अपनाना होगा। किसानों के लिए यह समझना बहुत जरूरी है कि अधिक मात्रा में यूरिया और डीएपी का उपयोग सिर्फ मिट्टी की उर्वरता को नुकसान पहुँचाता है, बल्कि फसलों की गुणवत्ता को भी कम न केवल है। यदि हम प्लस पाउडर (1 किलो) और 25 ग्राम फॉर्मूला का सही तरीके से उपयोग करें, तो बिना रासायनिक खादों के भी हमारी फसलें पहले से बेहतर और अधिक उपज देने वाली हो सकती हैं।

यूरिया और डीएपी के अधिक उपयोग से नुकसानः

                                                                 

1. मिट्टी की उर्वरता कम होती है- लगातार यूरिया और डीएपी डालने से मिट्टी कठोर हो जाती है और उसमें मौजूद सूक्ष्म जीवों (बैक्टीरिया और फंगस) की संख्या कम हो जाती है।

2. फसल की पौष्टिकता कम होती है- रासायनिक उर्वरकों से उगी फसलों में प्राकृतिक पोषक तत्वों की कमी होती है, जिससे उनके सेवन से शरीर को उतना लाभ नहीं मिलता।

3. धन का अधिक व्यय होता है- यूरिया और डीएपी की कीमत बढ़ती जा रही है। अगर किसान जैविक और संतुलित फर्टिलाइज़र का उपयोग करें तो वे कम खर्च में ज्यादा उत्पादन ले सकते हैं।

4. कीटनाशकों की जरूरत बढ़ती है- यूरिया और डीएपी का अधिक प्रयोग करने से फसलें कमजोर पड़ती हैं और कीटों का हमला बढ़ जाता है, जिससे पेस्टीसाइड्स का भी अधिक उपयोग करना पड़ता है।

प्लस पाउडर और 25 ग्राम फॉर्मूला कैसे फायदेमंद है?

मिट्टी को फिर से जीवंत करता है- जैविक तत्व मिट्टी के सूक्ष्म जीवों को बढ़ाकर उर्वरता को पुनः स्थापित करते हैं।

फसलों को मजबूत बनाता है- पौधों की जड़ें अधिक गहरी और मजबूत बनती हैं, जिससे फसल को कम पानी और कम पोषण में भी अधिक उत्पादन मिलता है।

कीटनाशकों की जरूरत कम होती है- प्राकृतिक पोषक तत्व पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं, जिससे कीट और रोग स्वतः ही कम हो जाते हैं।

उत्पादन अधिक होता है- खेतों में बिना यूरिया और डीएपी डाले भी किसानों को बंपर पैदावार मिल सकती है।

किसानों को क्या करना चाहिए?

✔ जब भी हरा चारा बोएँ, तो यूरिया और डीएपी का प्रयोग न करें।

✔ सब्जी उत्पादन करने वाले किसान भाई यूरिया और डीएपी की मात्रा को कम से कम करें, या पूरी तरह से छोड़ दें।

✔ अपने खेत में 1 किलो प्लस पाउडर और 25 ग्राम फॉर्मूला का उपयोग करें और खुद फर्क देखें।

✔ रासायनिक खादों से मुक्त खेती करने का संकल्प लें और अपनी मिट्टी को जीवंत बनाएं।

अनुभव और किसानों की सफलता

मैं पिछले कई सालों से पेस्टीसाइड मुक्त खेती को बढ़ावा दे रहा हूँ। मेरा अनुभव कहता है कि जो किसान जैविक उत्पादों का सही उपयोग कर रहे हैं, वे अब बिना यूरिया और डीएपी के भी शानदार पैदावार ले रहे हैं। देशभर में हजारों किसान मेरे साथ जुड़े हुए हैं और वे अपनी मिट्टी को पहले से अधिक उपजाऊ और स्वस्थ बना रहे हैं।

अब समय आ गया है कि सभी किसान भाई रासायनिक खादों से मुक्ति पाकर एक नई क्रांति की ओर कदम बढ़ाएँ। प्रयोग करके देखें, आपका खेत ही आपको जवाब देगा।

यूरिया और डीएपी से दूषित चाराः कमजोर शरीर, बीमार समाज

हम सभी ने सुना है कि ‘‘दूध पीकर ताकतवर बनो’’ लेकिन क्या वास्तव में ऐसा हो रहा है? हकीकत यह है कि आज जो दूध हम पी रहे हैं, वह पहले जैसा शुद्ध और ताकतवर नहीं रहा। इसका सबसे बड़ा कारण है - यूरिया और डीएपी से उगाया गया चारा।

कैसे कमजोर बना रहा है यह दूध?

1. रासायनिक चारे का प्रभावः जब किसान हरे चारे (बरसीम, मक्का, जई आदि) में यूरिया और डीएपी का उपयोग करते हैं, तो उसमें जहरीले तत्व बनते हैं। यह रासायनिक तत्व पशुओं के शरीर में जाते हैं और उनके दूध में घुल जाते हैं।

2. दूध की पौष्टिकता कम हो रही हैः शुद्ध हरे चारे में जो प्राकृतिक मिनरल्स और विटामिन होते हैं, वे रासायनिक चारे में खत्म हो जाते हैं। नतीजा? कमजोर और पोषणहीन दूध।

3. बीमारियाँ बढ़ रही हैं: यूरिया और डीएपी का प्रभाव सीधे मानवीय स्वास्थ्य पर पड़ता है। जब हम ऐसा दूध पीते हैं, तो शरीर में कैल्शियम की कमी, हड्डियाँ कमजोर, पाचन खराब और हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता का क्षय हो जाता है।

4. अस्थमा, एलर्जी और हॉर्मोनल असंतुलनः यूरिया से दूषित दूध अस्थमा, एलर्जी, हॉर्मोनल गड़बड़ी और अन्य बीमारियों को जन्म दे सकता है।

समाधान क्या है?

✔ यूरिया और डीएपी मुक्त हरा चारा उगाएँ।

✔ प्राकृतिक जैविक फॉर्मूला (जैसे प्लस पाउडर और 25 ग्राम फॉर्मूला) का उपयोग करें।

✔ देशी नस्लों को प्राकृतिक आहार दें, ताकि शुद्ध दूध मिले।

✔ स्वस्थ मिट्टी = स्वस्थ चारा = ताकतवर दूध = मजबूत शरीर।

अब वक्त है बदलाव का!

अगर हम वाकई में शुद्ध दूध पीकर ताकतवर बनना चाहते हैं, तो हमें जड़ से बदलाव लाना होगा। यूरिया और डीएपी मुक्त खेती को अपनाएँ और भविष्य की पीढ़ी को बीमारियों से बचाएँ। जब किसान खुद अपने पशुओं को शुद्ध चारा देंगे, तभी असली ताकतवर दूध मिलेगा।

किसान भाइयों, हरे चारे की बिजाई का समय शुरू हो गया है। इस बार ज्वार, बाजरा और मक्का की खेती में यूरिया और डीएपी का इस्तेमाल बिल्कुल बंद करें। यह केवल मिट्टी को नहीं, बल्कि हमारे पशुओं और हमारे स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचाते हैं।

हमारा समाधानः

1 किलो प्लस पाउडर नीचे डालें

25 ग्राम स्प्रे करें

कीटों का अधिक हमला हो तो 1 किलो नीम का पानी मिलाएं

परिणाम:

✔ आपका चारा हरा-भरा और पौष्टिक होगा

✔ पशु इसे पूरे आनंद से खाएंगे

✔ दूध शुद्ध और पोषक तत्वों से भरपूर होगा

अगर आप सब्जी की खेती कर रहे हैं, तो वहां भी यूरिया और डीएपी छोड़ें। केवल हमारी जैविक विधि अपनाएं और आपको पूरा विश्वास होगा कि यह तरीका सफल है।

आप सभी को धीरे-धीरे यूरिया, डीएपी और पेस्टिसाइड मुक्त बनाना हमारा संकल्प है। बस विश्वास रखें और हमारे साथ जुड़ें।

‘‘पेस्टिसाइड मुक्त भारत’’- यही हमारा लक्ष्य है!

किसान भाइयों, आपकी सबसे बड़ी समस्या यही है कि असली हरा चारा नहीं मिलता। आप ज्वार, बाजरा और मक्का उगाते हैं, लेकिन जो बीज बाजार में मिलता है, वह असली नहीं होता। न उसकी हाइट सही होती है, न पत्ते चौड़े होते हैं, और न ही पशु उसे चाव से खाते हैं।

समाधानः

हम आपको ऐसा बीज देंगे जिसकी वजह से चारे की-

  • हाइट 14-15 फीट तक होगी।
  • पत्ते चौड़े और मोटे होंगे।
  • मिठास इतनी होगी कि पशु एक दाना भी नहीं छोड़ेंगे।
  • हर प्रकार की जमीन में सफल होगा

यह हरा चारा पशुओं के लिए वरदान साबित होगा। जो किसान अपने पशुओं के दूध की गुणवत्ता बढ़ाना चाहते हैं, उनके लिए यह एक शानदार मौका है।

  • यह बीज पूरे साल भर उपलब्ध रहेगा।
  • जो भी किसान भाई लेना चाहते हैं, समय रहते संपर्क करें!
  • ‘‘पशु स्वस्थ, दूध अमृत समान: यही हमारा संकल्प है!’

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।