गाय के गोबर, गोमूत्र, मिट्टी और गुड़ करे तैयार जैविक खाद Publish Date : 21/09/2024
गाय के गोबर, गोमूत्र, मिट्टी और गुड़ करे तैयार जैविक खाद
प्रोफेसर आर. एस. सेगर एवं डॉ0 रेशु चौधरी
वर्तमान में किसान विभिन्न प्रकार की आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर खेती कर रहे हैं और अपनी फसलों की उपज को अधिक से अधिक बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं। हालांकि उपज को बढ़ाने के लिए खेतों में विभिन्न प्रकार के रसायनों का प्रयोग भी किया जाता रहा है और इससे मिट्टी की गुणवत्ता में समय के साथ ही कमी आती जा रही है। इसके साथ ही खेतों में हो रही पैदावार भी लोगों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक सिद्व हो रही है। ऐसे में आज हमारे कृषि विशेषज्ञ आपको अपनी इस पोस्ट के माध्यम से खेती करने का एक ऐसा तरीका बताने जा रहे हैं जिसमें कम लागत में ही खेतों की मृदा की गुणवत्ता को बढ़ाया जा सकता है। इसके साथ ही फसलों की पैदावार में भी उत्तरोतर बढ़ोतरी किया जाना संभव है।
अगर देखा जाएं तो गाय पालने के अनेकों लाभ होते हैं, लेकिन इसका सबसे बड़ा लाभ स्वयं किसान अपनी खेती में उठा सकते हैं। एक देसी गाय के गोबर से 30 एकड़ जमीन में मामूली खर्च मे आसानी से खेती की जा सकती है। गाय के गोबर और गोमूत्र से खाद तैयार कर इस खाद का उपयोग खेतों में किया जा सकता है। इस खाद का प्रयोग करने से मिट्टी की गुणवत्ता तो बढ़ेगी ही लेकिन इसके साथ ही साथ उपज में भी अपेक्षित वृद्धि होगी। देसी गाय के गोबर एवं गोमूत्र से बीजामृत, जीवामृत, घन जीवमृत आदि को बनाया जाता है, जिसका प्रयोग करना फसलों के लिए किसी अमृत से कम नहीं होता है।
जैविक खाद बनाने का तरीका
कृषि वैज्ञानिक प्रोफेसर आर. एस. सेंगर ने इसके बारे में बताया कि घन जीवामृत गाय के गोबर से तैयार की गई एक सूखी खाद होती है। घन जीवामृत बनाने के लिये 100 किलो देसी गाय के गोबर को, 2 किलो गुड़, 2 किलो दाल का आटा और 1 किलो मिट्टी डाल कर अच्छी तरह से इसका मिश्रण तैयार लें। इसके बाद इस मिश्रण में गोमूत्र डालकर इसे अच्छी तरह से गूंथ लें। अब इस घन जीवामृत को छांव में अच्छी तरह फैला कर सुखा लें। सूखने के बाद इसे कूट पीसकर बारीक कर लें। अब आप इसका प्रयोग बुवाई के समय अन्यथा पानी देने के 2 से 3 दिन बाद प्रयोग कर सकते हैं।
यह फसल के लिए एक तरीके से टॉनिक की तरह से काम करता है। देसी गाय के 1 ग्राम गोबर में 300 से 500 करोड़ जीवाणु उत्पन्न होते हैं। इन जीवाणुओं से मिट्टी में उपलब्ध तत्वों की गुणवत्ता बढ़ जाती है और इससे पौधों को अपने भोजन के निर्माण में भी सहायता मिलती है।
अधिकतर किसान समझ रहे हैं जैविक खेती की अहमियत
डॉ0 सेंगर ने बताया कि देश के किसान अब इस तरीके से जैविक खेती कर रहे हैं और उसका भरपूर लाभ भी ले रहे हैं। हालांकि अब जैविक खेती की पैदावार में भी बढ़ोतरी हो रही है, इसके साथ-साथ मिट्टी के गुणवत्ता में भी व्यापक सुधार आ रहा है। इसके अलावा खेतों में केमिकल युक्त कीटनाशकों का प्रयोग न करने से जिन फसलों का उत्पादन हो रहा था अब वह बिल्कुल प्राकृतिक और स्वास्थ्यवर्धक होते हैं।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।