रासायनिक खेती बनाम ऑरगेनिक खेती Publish Date : 18/07/2024
रासायनिक खेती बनाम ऑरगेनिक खेती
प्रोफेसर आर एस सेंगर
रासायनिक खेती और ऑरगेनिक खेती में मृत और जीवित का अंतर है। रासायनिक खेती में रसायनों और कीटनाशकों के इस्तेमाल से जमीन की उर्वरक शक्ति खत्म हो जाती है। भूजल स्तर नीचे गिर जाता है। फसलचक्र बदल जाता है और इस कारण किसान का रोजगार खत्म हो जाता है। ऐसी फसलें स्वास्थ्यवर्धक नहीं होती, इनसे शरीर को ताकत नहीं मिलती, कई बीमारियां होती हैं।
वरदान बन गई जैविक ताकत
दूसरी तरफ ऑरगेनिक खेती किसान और जमीन के लिए वरदान है। कम लागत होने के बावजूद धीरे-धीरे भूमि की उर्वरक शक्ति बढ़ती है, भूजल स्तर बढ़ता है और देसी बीजों को नया जीवन मिलता है। यही नहीं फसलचक्र नियमित होता है और किसान को रोजगार मिलता है। जैविक उत्पाद उपभोक्ता के लिए स्वास्थ्यवर्धक है।
सेहत के लिए वरदान
बतौर ग्राहक ऑगरेनिक अनाज आपके स्वास्थ्य की दृष्टि से भी काफी फायदेमंद है।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।