खेतों में फिटकरी का प्रयोग करने के लाभ      Publish Date : 30/10/2024

                       खेतों में फिटकरी का प्रयोग करने के लाभ

                                                                                                                                                       प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

गेंहू और सरसों की बुवाई करने से पहले यदि किसान करे यह छोटा सा काम तो उन्हें इससे बंपर पैदावार के साथ ही होगी अच्दी कमाई, और इससे किसानों को होगा फायदा ही फायदा। फिटकरी का प्रयोग कैसे और कब करे इसके सम्बन्ध में पूरी जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारा यह आर्टिकल अच्छी तरह से ध्यानपूर्वक पढ़े और इसका पूर्ण लाभ उठाएं।

गेंहू-सरसों की बुवाई करने से पहले करें यह काम

                                                                       

नमस्कार, किसान भाइयों आज हम आपके लिए एक बहुत अच्छी जानकारी लेकर आए हैं। जिसके माध्यम से आप अपनी फसल से अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं और जिसका आपको भरपूर लाभ मिलेगा। अब किसान धान की कटाई के बाद गेहूं, सरसों आदि रबी सीजन की फसलों की खेती करने की तैयारी में हैं। लेकिन यदि किसान इन फसलों की बुवाई करने से पहले एक छोटा सा काम कर लेते हैं या बुवाई करने के बाद भी कुछ शर्तों के अनुसार यह काम कर लेते हैं तो इससे किसान को अधिक उत्पादन मिलेगा, क्योंकि यह प्रयोग को करने से खेत की मिट्टी एकदम अच्छी हो जाएगी और फिर आपको फसल भी बढ़िया मिलेगी तो आपको फसल का उत्पादन भी अधिक ही मिलेगा, जिससे किसान की आमदनी बढ़ेगी।

आज के अपने इस लेख में हम फिटकरी का इस्तेमाल करने के बारे में बताने जा रहे हैं। जो कि किसान भाईयों को ₹30 में, ₹40 में या कुछ स्थानों पर ₹50 में आसानी से मिल जाती है।

किसान भाईयों आपको 2 किलो फिटकरी का प्रयोग एक एकड़ क्षेत्र के लिए करना होता है। हालांकि आपको इसको प्रयोग करने का सही तरीका पता होना चाहिए, अन्यथा आपको इससे नुकसान भी हो सकता है। अब हम आपको बताते हैं कि आपको अपने खेत में फिटकरी का प्रयोग कब, कैसे और क्यों करना है, और इससे आपको क्या फायदा होने वाला है।

फिटकरी का इस्तेमाल कैसे करें

                                                             

फसल की अधिक पैदावार लेने के लिए किसान सालों से खेतों में डीएपी, यूरिया जैसी खाद का प्रयोग करते चले आ रहे हैं। जिससे मिट्टी का पीएच लेवल बढ़ता जा रहा है और जब मिट्टी का पीएच लेवल बढ़ जाता है तो खाद डालने के बाद भी पैदावार अच्छी नहीं मिलती है। क्योंकि खेतों की मिट्टी अब आवश्यक पोषक तत्व नहीं ग्रहण कर पा रही है। इसीलिए हम फिटकरी का इस्तेमाल करके पीएच लेवल को कम करेंगे। जिन किसानों के खेतों का पीएच लेवल 7 से अधिक है यानी की सात, साढ़े सात या 8 है तो वह अपने खेतों में फिटकरी का प्रयोग कर सकते हैं।

नीचे लिखे बिंदुओं के अनुसार बताते हैं कि फिटकरी का इस्तेमाल कैसे करना है और इसके आपको क्या फायदे मिलते है।

मिट्टी के पीएच लेवल को सामान्य करने के लिए सबसे पहले आपको फिटकरी को पाउडर बना लेना है नहीं तो घुलने में अधिक समय लगेगा।

1 एकड़ में छिड़कना है तो पीएच लेवल को ध्यान में रखते हुए अगर सात पीएच है तो 1.5 किलो फिटकरी लेंगे। अगर 7.5 या 8 है तो 2 किलो फिटकरी लेंगे। अगर पीएच 8 से अधिक जा रहा है तो फिर हम 3 किलो भी फिटकरी का प्रयोग भी कर सकते हैं।

2 किलो फिटकरी को 200 लीटर पानी में अच्छे तरीके से घोलना है।

                                                              

उसके बाद जब खेत तैयार करते हैं, पलेवा देते हैं, उस समय खेत में इस घोल को चारों तरफ डालना है जैसे कि आप खेत में पानी चलाते हैं इस तरह इस पानी को चला देना।

ध्यान रखें यह आपको बिजाई से पहले करना है, क्योंकि फसल की पत्तियों पर यह ना पड़े नहीं तो नुकसान होता है।

बीज बुवाई से पहले अगर आपने यह काम नहीं किया है और बीज बो दिया है लेकिन आपको इसका इस्तेमाल करना है तो ड्रिप सिस्टम, यानि कि जो लोग सिर्फ जड़ों में पानी डालते हैं, वह लोग इस घोल को पौधों की जड़ों में डाल सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे स्प्रिंकलर सिंचाई करने वाले किसान इसका प्रयोग न करें, नहीं तो पत्तियों पर पड़ने से फसल सूख सकती है।

फिटकरी का यह घोल सिर्फ मिट्टी में पड़ना चाहिए, फसल पर नहीं। इस बात का किसान भाई विशेष ध्यान रखें।

फिटकरी डालने के लाभ

                                                          

फिटकरी का इस्तेमाल खाद के रूप में नहीं किया जाता है। फिटकरी में पोटेशियम, सल्फर जैसे पोषक तत्व होते हैं, जिससे मिट्टी उपजाऊ होती है। मिट्टी का पीएच लेवल मेंटेन होता है और किसानों को अधिक उपज मिलती है। यह कोई खाद नहीं है, इसे फसल पर कभी न डालें, इसे सिर्फ मिट्टी में ही डालें। वह भी अपने खेत की मिट्टी का पीएच लेवल चेक करने के बाद। फिटकरी से मिट्टी का बढ़ा हुआ तो इससे पीएच कम हो जाता है, जिससे किसानों को अधिक उपज मिलती है।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।