उत्तर प्रदेश में लवणता से प्रभावित जमीन से बंपर कमाई के वैज्ञानिक उपाय      Publish Date : 30/05/2025

उत्तर प्रदेश में लवणता से प्रभावित जमीन से बंपर कमाई के वैज्ञानिक उपाय

                                                                                                                                 प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं रेशु चौधरी

उत्तर प्रदेश में लवणता से प्रभावित जमीन, जिसे कभी बंजर और नमक से प्रभावित मानी जाने वाली जमीनें अब उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए उम्मीद की किरण बनकर उभरी रही हैं, जिससे अब किसान इस प्रकार की भूमियों में भी अच्छी कमाई कर सकते हैं। तकनीकी सहयोग और नवोन्मेषी खेती के तरीकों ने जौनपुर जिले के किसानों को नमक प्रभावित (सोडिक) मिट्टी से न केवल अच्छी फसल उगाने, बल्कि बंपर मुनाफा कमाने का रास्ता भी दिखाया है। यह कहानी है ऐसे 21 किसानों की, जिन्होंने सॉडिक मिट्टी की चुनौतियों को अवसर में बदला और बासमती चावल की खेती से अपनी आय को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है।

लवणता से प्रभावित जमीनः एक बड़ी चुनौती

                                                      

प्राप्त आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश में लगभग 14 लाख हेक्टेयर जमीन सॉडिसिटी और लवणता की समस्या से जूझ रही है। जौनपुर जिले के पांच गांवों कुलाजीपार, बीबीपुर, हसनपुर, चकवा और भाकुड़ाकू में मिट्टी का पीएच मान 8.85 से 9.74 के बीच है, जो फसल उत्पादन के लिए प्रतिकूल होता है। ऊपर से बिजली की कमी, जलभराव, और मानसून की अनिश्चितता ने किसानों की मुश्किलें और अधिक बढ़ा दिया है। स्थानीय किसान रामप्रसाद यादव बताते हैं, ‘‘पहले हम केवल चावल और गेहूं पर ही निर्भर थे, साथ ही मिट्टी की खराब गुणवत्ता और बारिश की अनिश्चितता ने हमें मुश्किल में डाल हुआ था।’

तकनीकी सहयोग और किसानों की मेहनत

                                                    

वर्ष 2016 से 2018 के बीच, जौनपुर के कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) ने इन गांवों में एक अनूठा प्रयोग शुरू किया। इस प्रयोग का उद्देश्य नमक-सहिष्णु फसलें और उन्नत खेती के तरीकों को बढ़ावा देना था। हसनपुर और चकवा गांवों में आयोजित वैज्ञानिक-किसान गोष्ठियों में करीब 60 किसानों ने हिस्सा लिया। इन गोष्ठियों में लवण प्रबंधन, उच्च उपज वाली फसलों, और किचन गार्डनिंग जैसे विषयों पर व्यापक रूप से चर्चा की गई थी।

किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिए गए, जो उनकी जमीन की गुणवत्ता और जरूरी सुधारों की जानकारी देते थे। केवीके के विशेषज्ञ डॉ. अजय सिंह कहते हैं, ‘‘हमने किसानों को स्थानीय संसाधनों जैसे खेत की खाद और फसल अवशेष प्रबंधन का उपयोग करने के लिए भी किसानों को प्रोत्साहित किया है। इसके साथ ही, नमक-सहिष्णु बासमती चावल की किस्म सीएसआर-30 को अपनाने की सलाह भी दी है।’’

किसानों को नमक-सहिष्णु फसलों और स्मार्ट सिंचाई प्रौद्योगिकियों के बारे में भी विस्तार से बताया गया। केवीके के वैज्ञानिकों के द्वारा बताए गए तरीकों को अपनाकर कुछ किसानों ने बम्पर लाभ भी कमाया है। 

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।