
मृदा परीक्षण आज की आवश्यकता एवं मृदा नमूना लेने की विधि Publish Date : 01/05/2025
मृदा परीक्षण आज की आवश्यकता एवं मृदा नमूना लेने की विधि
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 रेशु चौधरी
मृदा परीक्षण की प्रक्रिया खेतों से भरपूर उपज प्राप्त करने का सबसे सरल और सस्ता तरीका है। मिट्टी में पोषक तत्वों की उपलब्धता का स्तर जानने के लिए उसका रासायनिक परीक्षण कराना आवश्यक है। मानव, पशु, पक्षियों एवं अन्य जीवधारियों की तरह कभी-कभी मिट्टी में भी विकार आते हैं।
चूंकि मृदा भी एक जीवित माध्यम है। इसलिये उसमें भी अन्य जीवधारियों की तरह दोष या विकार आदि का आना स्वभाविक है। ऐसे में किसानों को अपने खेतों की मिट्टी का परीक्षण अवश्य करना चाहिए।
परीक्षण के लिये खेत से मिट्टी का प्रतिनिधि नमूना कैसे लें- प्रतिनिधि नमूने से तात्पर्य है कि खेत में पायी जाने वाली समस्त प्रकार की मिट्टी के अंश नमूने की मिट्टी में उपलब्ध हो। इसके लिये जब खेत खाली हो उस समय ऊपर की घास फूस साफ कर अंग्रेजी के अक्षर वी (V) के आकार का 30 से. मी. गड्ढा बनायें।
गड्ढे की दीवारों से लगभग एक इंच मोटी परत खुरच कर नमूने की मिट्टी लें। खेत की स्थिति (ऊँचाई, निचाई, ढलान इत्यादि) एवं मिट्टी के प्रकार के अनुसार एक हैक्टेयर के खेत से आठ-दस स्थानों से मिट्टी का नमूना निकालें।
इन आठ-दस स्थानों से निकाली गई मिट्टी को किसी साफ स्थान पर रखकर, इसके गोल या चौकोर ढेर बनायें, फिर अंगुली की सहायता से उस ढेर को चार भागों में बांटकर, दो विपरीत दिशा के भाग को बाहर निकाल दें। शेष मिट्टी को पुनः ढेर बनाकर यह प्रक्रिया (चार और दो भाग अलग करना) और इस प्रक्रिया को तब तक दोहरायें जब तक कि आपके पास लगभग आधा भागों में बांटना एक किलो मिट्टी न बचें।
बची हुई मिट्टी को छाये में सुखाकर, कूटकर बारीक बना लें। फिर पॉलीथीन की थैली में भरकर सूचना पत्रक की पूरी जानकारियों के साथ जैसे-कृषक का पूरा नाम, ग्राम वि. ख. जिला, खेत का नाम या क्रमांक सिंचाई सुविधा, पिछली फसल, प्रस्तावित फसल एवं किस्म नमूना एकत्रित करने वाले के हस्ताक्षर एवं दिनांक के साथ थैली के अंदर डाल कर थैली को बंद कर दें।
इस नमूने को आप निर्धारित परीक्षण शुल्क के साथ अपने क्षेत्र के कृषि कार्यकर्ता को सौंप दें। नमूने आप कृषि विज्ञान केंद्र को भी दे सकते हैं। रासायनिक कृषि में मानमाने रुप से उर्वरकों का असंतुलित प्रयोग न सिर्फ उपज की उत्पादन लागत बढ़ायेगा, बल्कि इससे मृदा के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पडेगा। मिट्टी परीक्षण के आधार पर संतुलित मात्रा में उर्वरक के प्रयोग से एक तरफ भरपूर उपज प्राप्त होती है और दूसरी ओर मिट्टी की उर्वरा शक्ति लंबे समय तक बनी रहती है।
मृदा परीक्षण से मृदा में उपलब्ध पोषक तत्वों की जानकारी मिलने से अनावश्यक रुप से उर्वरकों के प्रयोग पर विराम लगता है, इससे न केवल आर्थिक लाभ एवं उपज में वृद्धि होती है, बल्कि अनचाहे उर्वरक प्रयोग को रोकने एवं मृदा तथा पर्यावरण के गुणों को लंबे समय तक बनाये रखने में मदद मिलती है।
परीक्षण के लिये मिट्टी का नमूना एकत्रित करते समय कुछ सावधानियां आवश्यक हैं। खड़ी फसल के खेत से नमूना एकत्रित न करें। इसी प्रकार पेड की छाया एवं गोबर खाद डालें गये स्थान एवं सिंचाई नालियों से नमूने की मिट्टी एकत्रित न करें। नमूने की मिट्टी को छाया में सुखाएं।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।