फोकस माइंड से कामयाबी, ऐसे बढ़ाएं अपना फोकस      Publish Date : 22/04/2025

      फोकस माइंड से कामयाबी, ऐसे बढ़ाएं अपना फोकस

                                                                                                                    प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

फोकस बढ़ाने का एक तरीका यह है कि आसपास के वातावरण को अपने अनुकूल बनाएं। इस पर हम अपना नियंत्रण स्थापित करें। मान लीजिए काम के समय अगर फोन की वजह से आपका ध्यान भंग हो रहा है, तो उसे कुछ समय के लिए स्वीच ऑफ कर दीजिए। या फिर फोन पर आने वाले ईमेल, फेसबुक, इंस्टाग्राम के नोटिफिकेशंस को बंद कर दीजिए। ऐसे समय में उन दोस्तों से भी बचने की कोशिश करें, जो गपशप करके आपका समय बेवजह जाया करते हैं। दरअसल, यह हमारी फोकस क्षमता ही है जो यह तय करती है कि हम सफल होंगे या फिर असफल।

                                        

आज के कामकाजी माहौल में अपनी फोकस क्षमता को बनाए रखना और बढ़ाना बेहद जरूरी है. ताकि मेहनत के अच्छे परिणाम प्राप्त किए जा सकें। आजकल तालमेल बिठाना भी किसी चुनौती से कम नहीं है। आज हमारे कॅरियर कोच बता रहें हैं कुछ बातों का ध्यान रखकर कैसे अपने आप पर कंट्रोल किया जा सकता है।

न्यूटन ने जमीन पर सेब को गिरते हुए देखकर ग्रैविटी (गुरुत्वाकर्षण) की खोज की थी। यह बात तो हम सभी जानते हैं। लेकिन उस दिन ऐसी क्या बात थी कि जब उन्होंने यह खोज की। क्या इस बारे में कभी हमने सोचा। पेड़ से फल को गिरते हुए तो उन्होंने पहले भी कई बार देखा होगा। फिर उस दिन क्या स्पेशल था। दरअसल, किसी भी खोज में फोकस और कन्संट्रेशन का बड़ा रोल होता है।

इसी से कोई खोज जन्म लेती है। चाहे यह आंतरिक खोज हो या फिर बाहरी। यह तभी होता है, जब मन, शरीर और सोच में एक तालमेल होता है। तभी संतोषप्रद रिजल्ट भी सामने आता है। लेकिन आज की इस भागती-दौड़ती जिंदगी में हम इस मामले में खुद को पिछड़ता हुआ पा रहे हैं। मन-मस्तिष्क पर हमारा कंट्रोल नहीं है।

खुद वर्तमान में जीने की कलाः जीवन में फोकस बढ़ाने का एक ही तरीका है और वह है एकाग्रता। यही मन में, विचारों में और अटेंशन में एक तालमेल पैदा करता है, तभी आप कोई काम पूरे सौ फीसदी लगन के साथ कर पाते हैं और इसके अनुभवों को महसूस कर पाते हैं। इसके लिए जरूरी है कि हमें वर्तमान में जीने की कला सीखनी होगी। ऐसा खुद को प्रशिक्षित करके किया जा सकता है।

                                            

एकाग्रता पर जोरः जब आप किसी महत्वपूर्ण असाइनमेंट पर काम कर रहे हों, जिसे एक निश्चित समय पर ही करना है और फिर भी अगर डेडलाइन से आप चूक जाते हैं, तो ऐसा काम पर एकाग्रता नहीं होने के कारण होता है। सामने आने वाली विघ्न-बाधाओं को न रोक पाने के कारण होता है।

यह मन में अलग-अलग विचार आने के कारण भी होता है, जैसे- काम के समय हम किसी अधूरे पड़े दूसरे काम के बारे में सोचने लगें, या फिर उस समय कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी ध्यान में आ जाए, जो हमें करनी थी या घर की ही कोई बात विचलित कर जाए। यह भी हो सकता है कि किसी क्लाइंट का पीछे का कोई निगेटिव फीडबैक ही याद आ जाए। दरअसल, मन में ऐसे बहुतेरे विचार आने से जो काम हमारे हाथ में है, उसे भी मन लगाकर नहीं कर पाते। फोकस हट जाने से वह काम भी बीच में अटक जाता है।

मेडिटेशन के फायदेः क्या आपने कभी यह सोचा है कि हमारी ऊर्जा सुबह से शाम होते-होते कम क्यों हो जाती है, क्यों हम काम से घर लौटने के बाद थका हुआ महसूस करते हैं। आपने देखा होगा कि कई बार अगर कोई शारीरिक मेहनत नहीं भी की है, तब भी ऐसी थकावट महसूस करते हैं। दरअसल, हमारी ऊर्जा सबसे ज्यादा मानसिक और भावनात्मक थकान के कारण ही कम होती है न कि शारीरिक मेहनत के कारण।

अगर ऐसा है, तो इससे उबरने और काम पर फोकस वापस लाने के लिए एक आसान तरीका यह है कि जब हम ऐसा महसूस करें तो बार-बार गहरी सांस लें। इसके अलावा, कम से कम रोजाना 20 मिनट ध्यान लगाने की प्रैक्टिस करें। शोध में भी यह बात साबित हो चुकी है कि मेडिटेशन से न केवल हमारी फोकस क्षमता सुधरती है, बल्कि तनाव से निपटने में भी मदद मिलती है।

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।