समुद्री दुनिया में अवसरों का विज्ञान      Publish Date : 13/04/2025

               समुद्री दुनिया में अवसरों का विज्ञान

                                                                                                                            प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

मरीन इंजीनियरिंग के क्षेत्र में रोजगार की संभावनाएं केवल मरीन इंजीनियर और नेवल आर्किटेक्ट बनने तक ही सीमित नहीं रही हैं। यहां साइट मैनेजर, शिप बिल्डर, मेटल वर्कर और कार्बन फाइबर टेक्नीशियन तक के लिए अपार अवसर उपलब्ध है।

                                       

वर्तमान मे जिस प्रकार से दुनिया भर में बढ़ती व्यावसायिक गतिविधियां समुद्री मार्गों से ही की जा रही है। उससे यह मुमकिन हुआ है मरीन इंजीनियर के बनाए उन्नत जलपोतों, बंदरगाहों और इसी तरह के अन्य तकनीकी उपकरणों के उपयोग से। यह पेशेवर अपने कार्यक्षेत्र में मैकेनिकल, इलेक्ट्रॉनिक व इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग सहित कंप्यूटर विज्ञान के सिद्धांतों का प्रयोग कर जल से जुड़े उपकरणों और संसाधनों के निर्माण से लेकर उनके रख-रखाव और संचालन का कार्य करते हैं।

समुद्री वातावरण का सहन कर सकने वाले जहाजों, बंदरगाहों आदि के सहित उनके पावर प्लांट, समुद्र से तेल निकालने वाले उपकरणों या ऐसी ही किसी अन्य संरचना को बनाने और इनके संचालन की जिम्मेदारी दी जाती है।

कैसे करें प्रवेश

                                   

मरीन इंजीनियर बनने के लिए इच्छुक युवाओं को किसी भी मान्यता प्राप्त संस्थान से मरीन इंजीनियरिंग में बैचलर डिग्री प्राप्त करनी होती है। देशभर में कई सरकारी और निजी संस्थान इसके कोर्स कराते हैं, बारहवीं विज्ञान 60 फीसदी अंकों से पास करने वाले छात्र इसकी प्रवेश परीक्षा में भाग ले सकते हैं।

प्रवेश परीक्षा में सफल छात्रों को इंटरव्यू और साइकोमेट्रिक टेस्ट के बाद प्रवेश दिया जाता है। चूंकि समुद्री वातावरण में काम करना इतना आसान नहीं होता है, इसलिए उम्मीद्वारों को प्रवेश के लिए चिकित्सीय जांच से होकर गुजरना पड़ता है।

कैसे होती है शुरुआत

                                        

मरीन इंजीनियरिंग का सिलेबस काफी कुछ मैकेनिकल इंजीनियरिंग से ही मिलता-जुलता होता है। इसमें चयनित छात्रओं को लगभग प्रत्येक प्रकार के जलपोत के इंजन और उनके सहायक उपकरणों को बनाना और उन्हें संचालित करना सिखाया जाता है। एक प्रशिक्षित युवा इंजीनियरिंग कैडेट के पद से नौकरी की शुरुआत करता है। आखिर में अपने अनुभव और क्षमता के अनुसार चीफ इंजीनियर के पद तक पहुंचता है। इन पेशेवरों को नौकरी के स्तर पर प्राप्त संबंधित लाइसेंस आगे बढ़ने में इनकी मदद करता है। इस लाइसेंस का लेवल बढ़ने के साथ जिम्मेदारियों का स्तर भी बढ़ने लगता है।

चीफ मरीन इंजीनियर बनने के लिए एक उम्मीदवार को लगातार पढ़ते रहने और परीक्षाओं में शामिल होते रहने की आवश्यकता होती है। सर्वेयर बनने के लिए थोड़ा और अधिक पढ़ने की आवश्यकता होती है। जहाज को बेहतर हालात रखने के लिए इंजीनियर को अच्छी सैलरी जाती है।

रोजगार के अवसर

                                      

इस क्षेत्र में रोजगार की संभावनाएं मरीन इंजीनियरिंग और नेवल आर्किटेक्ट बनने तक ही सीमित नहीं है। यहां साइट मैनेजर, शिपबिल्डर, मेटल वर्कर और कार्बन फाइबर टेक्नीशियन तक के लिए काफी मौके होते हैं। मरीन इंजीनियर की लगातार मांग बनी हुई है। पारंपरिक काम जैसे शिप डिजाइन के साथ-साथ वैकल्पिक ऊर्जा के पेशेवरों की मांग बढ़ रही है। अब ऐसे क्षेत्र में इन उपकरणों और मशीन के निर्माण को भी प्राथमिकता भी प्रदान की जा रही है, जो पर्यावरण को कम से कम नुकसान पहुंचाने वाले हों। अब जब तेल कंपनियां तटीय इलाकों में दूर तेल के स्रोत खोज रही है, मीन इजीनियर को ऐसी मशीने डिजाइन करने की जरूरत महसूस हो रही है. जो इन परिस्थितियों में भी सफल प्रदर्शन कर सके।

मरीन इंजीनियरिंग यूवाओं के लिए एक बेहतर करियर विकल्प साबित हुआ है। अनुभव बढ़ने के साथ इन पेशेवरों को मैनेजमेंट स्तर तक के पदों की जिम्मेदारी निभाने के मौके भी मिलते हैं। कुछ मरीन इंजीनियर सेल्स में अपने लिए मौक तलाशते है। वह अपनी समझ से फ्लाइट को उनको योजनाएं बेहतर तरीके से आगे बढ़ाने में मदद करते हैं।

कितनी है सैलरी

इस क्षेत्र में पारिश्रमिक बहुत अच्छा है, जो हर प्रमोशन के साथ बढ़ता जाता है। यह कहना गलत नहीं होगा कि मरीन इंजीनियर की तनख्वाह अन्य इंजीनियरिंग क्षेत्रों की तुलना में सबसे ज्यादा आकर्षक है। एक मरीन इंजीनियर की सैलरी भी उसके पद और कार्य अनुभव के माध्यम से तय होती है। सामान्य तौर पर एक पेशेवर 64000 रुपयों से 96000 रुपये प्रति माह तक कमा लेता है

क्या हो क्षमताएं

इच्छुक छात्र को मशीनरी की हर एक चीज की गहरी जानकारी होनी चाहिए। यह जानकारी अनुभव के ही साथ आती है।

समुद्र में हर तरह की खराब परिस्थितियों में काम करने की क्षमता दिखानी होती है। अगर युवा महीनों तक अपने परिवार से दूर रह सकते है, लंबे समय तक खड़े रहकर काम कर सकते हैं और वह जिम्मेदार है. तो मरीन इंजीनियर बन सकते हैं।

इस क्षेत्र की चुनौतियां

बेशक मरीन इंजीनियरिंग में रोजगर प्राप्त करना कोई मुश्किल काम नहीं है, पर इसमें समय जरूर लगता है। कमाई के बेहतर होने के चलते ही इस ओर कदम न बढ़ाएं। नौकरी करना मौकों को देखकर ही इस क्षेत्र का चयन करें क्योंकि परिवार से दूर रहकर काम करना आसान नहीं होता है। इस पेशे में जलपोत को सही तरीके से चलाने के लिए समय का सही उपयोग सीखना पड़ता है।

कुछ प्रमुख संस्थान

  • इंटरनेशनल मरीन कम्युनिकेशन सेंटर, कोच्चि यूनिवर्सिटी।

  • नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशनोग्राफी, गोवा।

  • महाराष्ट्र एकेडेमी ऑफ नेवल एजुकेशन एड ट्रेनिंग, पुणे।

  • इंडियन मेरीटाइम यूनिवर्सिटी, तारातला, कोलकाता।

  • तौलनी मेरीटाइम इंस्टीट्यूट, पुणे।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।