
परेशनी आपकी समाधान विशेषज्ञ के Publish Date : 07/04/2025
परेशनी आपकी समाधान विशेषज्ञ के
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
हद से ज्यादा खामोशी ठीक नहीं, मेहनत के साथ उचित संवाद से संवरते हैं रिश्ते
सवाल 1- मैं काफी पढ़ी-लिखी महिला हूँ और मैनें कई डिग्रियां प्राप्त कर रखी हैं, लेकिन फिर भी ऐसा लगता है कि कहीं कोई कमी रह गई है।
जवाबः एक पाठक में इस भावना का होना बहुत सामान्य बात है, जिसे इम्पोस्टर सिंड्रोम कहा जाता है। कई लोग चाहे कितने भी सफल क्यों न हों, फिर भी वह कभी-कभी अपनी योग्यताओं पर संदेह करने लगते हैं। यह महत्त्वपूर्ण है कि आप अपनी डिग्रियों और ज्ञान को केवल बाहरी उपलब्धियों के रूप में न देखें, बल्कि यह समझें कि शिक्षा का मुख्य उद्देश्य आत्मविकास और व्यावहारिक ज्ञान अर्जित करना है। ऐसे में, यदि आपको लगता है कि आपकी पढ़ाई में कोई कमी रह गई है, तो आप नए कोर्स, किताबें या व्यावहारिक अनुभव के माध्यम से इसे पूरा कर सकते हैं। खुद को कमतर न समझें। अपनी उपलब्धियों पर गर्व करें और सीखने की इस भावना को अपनी ताकत बनाएं रखें।
सवाल 2- मैं मिलनसार कम हूँ। जब भी घर में कोई आता है, उसकी पूरी तरह से देखभाल करती हूं, लेकिन उससे बातचीत न के बराबर करती हूं। इससे मेरे सारे किए धरे पर पानी फिर जाता है, उचित सलाह दें।
जवाब- दूसरों की देखभाल करना निश्चय ही अपने आप में एक बहुत बड़ा गुण है। ऐसे में यह जरूरी नहीं कि हर किसी की मिलनसारिता बातचीत से ही जाहिर हो। लेकिन अगर आपको लगता है कि आपकी खामोशी से आपकी मेहनत की सराहना नहीं हो पा रही, तो हल्की-फुल्की बातचीत से शुरुआत करें। सामने वाले से उसके हालचाल पूछें, उसकी रुचियों के बारे में जानें या अपनी छोटी-छोटी बातें उसके साथ साझा करें। इससे आप सहज महसूस करेंगी और दूसरों से जुड़ना भी आसान होगा। याद रखें अच्छी बातचीत का मतलब लंबी चर्चा कतई नही होता हैं, बल्कि दिल के जुड़ाव से होता है।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।