बच्चों के भविष्य को नष्ट करता आक्रोश      Publish Date : 10/09/2024

                 बच्चों के भविष्य को नष्ट करता आक्रोश

                                                                                                                                                                प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

हमारे देश के लाखों युवा यूपीएससी की परीक्षा में शामिल होते है, परन्तु उनमें से कुछ हजार को ही इस परीक्षा में सफलता मिल पाती है। इस परीक्षा में सफलता पाने वाले उम्मीद्वारों में से लगभग 100 उम्मीद्वारों को ही भारतीय प्रशासनिक सेवाओं में जाने का अवसर प्राप्त हो पाता है। लगभग प्रत्येक माँ-बाप का सपना यही होता है कि उनका बच्चा आईएएस बने और अपने माँ-बाप के इस सपने को पूरा करने के लिए ही दूरदराज से बच्चे पढ़ने के लिए दिल्ली आते हैं। परीक्षा की तैयारी के अपनी तरफ से पूरी मेहनत करते हैं और कोचिंग की महंगी फीस भी पे हैं। रूम का किराया कम वहन करने के फेर में ही एक रूम में कई-कई छात्र रहते हैं।

                                                   

इस परीक्षा की असल स्थिति को समझने के लिए हाल ही में रिलीज हुई फिल्म ‘‘12वीं फेल’’ को एक शानदार उदाहरण के रूप में देखा जा सकता है। हालांकि यह भी अपने आप में एक सत्य है कि सिविल सेवा का सपना सदैव ही एक मध्यम वर्ग का छात्र ही देखता है और मध्यम वर्ग के छात्र ही अपनी मेहनत एवं लग्न के दम पर अधिकारी बनने मे कामयाब रह पाते हैं। उक्त फिल्म इस बात पर बड़ी बारीकी से रोशनी डालती है कि भ्रष्ट नेता क्यों यह चाहते हैं कि युवा हमेशा मूर्ख ही बना रहे, ताकि उन्हें दबाया जा सके और उन पर शासन किया जा सके। ठीक इसी प्रकार सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों को भी बहुत सी परेशानियों का समाना करना पड़ता है।

पिछले दिनों दिल्ली के एक कोचिंग सेंटर के बेसमेंट पानी के भर जाने के कारण ऐसे ही तीन छात्रों की मौत ने देश की राजधानी दिल्ली को झकझोर कर रख दिया, जिससे न केवल अन्य छात्रों की तैयारी पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है बल्कि उन्हें मानसिक परेशानियों से भी दो चार होना पड़ रहा है। इस हादसे को लेकर अब हजारों युवा प्रदर्शन कर रहे हैं। दिल्ली नगर निगम भी लगातार कार्यवाई कर रहा है और जिन कोचिंग सेंटर्स में अनियमितता पायी जा रही है उन्हें सील किया जा रहा है।

                                                                 

अब तक 19 से अधिक कोचिंग सेंटर्स को सील किया जा चुका है हालांकि इस सब के बीच सबसे बड़ा नुकसान बच्चों की पढ़ाई का हुआ है जो कि इस सब के चलते पूरी तरह से बंद है।

हादसे से आक्रोशित छात्रों ने कोचिंग संस्थानों की मनमानी को लेकर कई ऐसी बाते बताई हैं जो कि वास्तव में बड़े प्रश्न खड़े करती हैं। कोचिंग संस्थानों के द्वारा वसूल की जा रही मनमानी फीस, कोचिंग संस्थानों में अध्ययन कर रहे यूपीएससी के असफल छात्र एवं बेसमेंट और छोटे स्थानों में चल रही लाईब्रेरियां आदि।

इनके अतिरिक्त अन्य कई मुद्दे भी हैं जिनके कारण दूरदराज से पढ़ने के लिए आए छात्रों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। आज के समय में कोचिंग वास्तव में व्यपार बन चुकी है। अब समाचार पत्रों के एक या दो पेज केवल और केवल इन कोचिंग संस्थानों के विज्ञापनों से ही भरे होते हैं। इन कोचिंग संस्थानों पर नकेल कसने के लिए सरकार की ओर से कोई उचित कार्यवाई नही की जाती है तो यूपीएससी परीक्षा की तैयारी के नाम पर इसी प्रकार से धांधलियां भी होती ही रहेंगी।

                                                             

एक कोचिंग सेंटर के नाम पर कितना बड़ा झोल होता है, यह सिविल सेवा परीक्षा परीणाम की घोषणा के हो जाने के बाद आसानी से देखा जा सकता है। हालांकि कभी-कभी तो यह भी देखा जाता है कि परीक्षा के टॉपर छात्र को कई-कई कोचिंग संस्थान अपने यहाँ का छात्र घोषित करने से भी परहेज नही करते हैं।

सिविल सेवा की मुख्य परीक्षा की तैयारी भी अधर में

                                                               

आगामी 20 सितम्बर, 2024 को सिविल सेवा की मुख्य परीक्षा आयोजित की जानी है। ऐसे में उन हजारों केंडीडेट्स का भविष्य अधर में ही लटक जाएगा जो अपने भविष्य को दाव पर लगाकर कोचिंग संस्थानों के विरूद्व विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। उन कोचिंग संस्थानों के विरूद्व जो छात्रों से मनमाने तरीके से पैसे तो ऐंठ रहे है परन्तु सुविधाओं के नाम पर उन्हें कुछ भी नही देते हैं। इसके साथ ही यह भी सच है कि जब भी ऐसी कोई घटना होती है तो उसका शोर भी अधिक होता है। लेकिन जैसे-जैसे यह मामला पुराना होता जाता है तो उसकी फाइल पर धूल भी गहरी होती वली जाती है।

एक ऐसा समय भी आता है कि ऐसे मामलों को केवल पुराने अखबारों में ही पढ़ा जाता है। मुखर्जी नगर तब ओल्ड राजेन्द्र नगर में सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्र अब भ्रम की स्थिति में हैं। एमसीडी की कार्यवाई के डर से इन क्षेत्रों के अधिकतर कोचिंग संस्थानों ने अपनी कक्षाएं बंद कर दी हैं। ऐसे में अगस्त के पहले सप्ताह यूपीएससी अभ्यर्थियों के बाकी बचे बैच के देरी से आरम्भ होने की आशंका है। सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे अधिकतर छात्रों की कोचिंग कक्षाएं पूरी तरह से बंद हैं, और अब मुख्य चिंता यह है कि कक्षाएं कब तक शुरू होंगी क्योंकि इस घटना के बाद से कोई भी कक्षा नही चली है और न ही अभी तक कोई जानकारी कक्षा शुरू होने के बारे में दी जा रही है।

देश में कहीं भी कोई इस प्रेकार की घटना होती है तो इसका सीधा प्रभाव छात्रों की पढ़ाई पर ही पड़ता है। आज का युवा अधिकारी बनने को लेकर अधिक सजग है। अब युवा को यह स्पष्ट जानकारी होती है कि राष्ट्र के प्रति उनकी जिम्मेदारी क्या है। उन्हें इस बात का भी बहुत अच्छी तरह से अहसास है कि उनकी अपने देश एवं समाज के क्या जवाबदेही है।

देश के कोचिंग संस्थानों के लिए देशा-निर्देश और नियम जारी किए जाने चाहिए। कोचिंग सेंटर बनाने के लिए बिना किसी जांच-पड़ताल किए ही अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाई किया जान सुनिश्चित् होना चाहिए।

दिशा-निदेशों में यह सुनिश्चित् किया जाए कि घटना की जांच के बीच छात्रों की पढ़ाई पर कोई विपरीत प्रभाव नही पड़ेगा। इसी प्रकार प्रशासन को भी घटना में लिप्त प्रत्येक व्यक्ति के खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाई करना सुनिश्चित् करना होगा। मृत युवाओं के परिवारों को इंसाफ मिले और परेशान छात्रों की माँगे भी पूरी जानी चाहिए।   

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।