छात्रों को मौत के रास्ते पर ले जाते कोचिंग सेंटर Publish Date : 01/09/2024
छात्रों को मौत के रास्ते पर ले जाते कोचिंग सेंटर
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
पिछले कुछ वर्षों से हमारे देश में लगातार कोचिंग पिछले संस्थानों का विस्तार तेजी से हुआ है। इनका उद्देश्य विद्यार्थियों के ज्ञान और ऊर्जा को सही दिशा में लगा कर उन्हें उनके लक्ष्य तक पहुंचाना होता है, परंतु हम देख रहे हैं कि कोचिंग सेंटर अब शिक्षा के केंद्र नहीं, बल्कि संचालकों की कमाई का सांधन बन चुके हैं। इनका उद्देश्य केवल मोटा पैसा कमाना हो गया है। इसके लिए इन्होंने बड़े पैमाने पर कॉरपोरेट संस्थानों जैसे दफ्तरों का निर्माण देश के सभी शहरों में कर लिया है। इन दफ्तरों में इनके एक्जीक्यूटिव बैठते हैं, जो सुबह से शाम तक विद्यार्थियों को सपने बेचते हैं, और उन्हें ऑफर के नाम पर अनेकों प्रकार के लालच देकर अपने कोचिंग सेंटरों में दाखिला करवाते हैं। जब तक विद्यार्थी दाखिला नहीं लेता तब तक एक्जीक्यूटिव अपना ध्यान उसी विद्यार्थी पर केंद्रित रखते हैं, और उसे भरोसा दिलवाते हैं कि वे उसके शुभचिंतक हैं, और उसके सुनहरे भविष्य के लिए प्रयासरत हैं, परंतु जैसे ही विद्यार्थी फीस भर देता है, तो उनका सारा ध्यान उस विद्यार्थी से हटकर किसी दूसरे विद्यार्थी पर जा लगता है।
दिल्ली हो या कोटा, मुखर्जी नगर हो राजेंद्र नगर, सब जगह ये कोचिंग सेंटर युवाओं को र्संंदर जीवन का झांसा देकर उसके बदले उन्हें मृत्यु दे रहे हैं। दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर में तीन युवा छात्रों के जीवन को कोचिंग सेंटर की लापरवाही ने लील लिया। इस तरह की यह कोईं पहली घटना नही है, और न ही आखिरी, क्योंकि जिस समय ऐसे हादसों की पृष्ठभूमि बन रही होती है, उस समय सारे अधिकारी एवं अर्थांटीज सोए रहते हैं और जैसे ही कोईं हादसा हो जाता है उसके तुरंत सक्रि हो उठते हैं।
कोचिंग संस्थानों के विस्तार को देखते हुए शिक्षा मंत्रालय ने इनके संचालन के लिए गाइडलाइंस जारी की है, परंतु इनकी लगातार अनदेखी ऐसे हादसों का कारण बनती है। आवश्यक है कि सरकार कोचिंग सेंटर खोलने और एमसीडी द्वारा नहीं की गई। ऐसी घटनाएं लापरवाही और भ्रष्टाचार का परिणाम है। देखा गया है कि दिल्ली में कोई नागरिक मकान बनाता है तो उसे नगर निगम से अनेकों अनुमतियां लेनी पड़ती हैं परंतु सवाल इस घटना के संदर्भ में खड़ा होता है कि कौन से नियमानुसार कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में लाइब्रेरी खोलने की अनुमति दी गई। जहां न तो पानी निकलने की व्यवस्था है, और न ही अग्निशामक यंत्रों की व्यवस्था है अर्थात ये गैस चौंबर की तरह है जहां पढ़़ रहे विद्यार्थियों के पास आपातकालीन स्थिति में दम घुटकर प्राण त्याग देने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं है। कोचिंग सेंटरों के लिए बने अस्पष्ट और विरोधाभासी कानून और आधारभूत नियमों का उल्लंघन साफ दर्शाता है कि कोचिंग संस्थानों के मालिकों और नगर निगम व सरकारी अधिकारियों के बीच मिलीभगत है।
कोचिंग सेंटर के मालिक करोड़ों रुपये अखबारों, मेट्रो स्टेशनों तथा विभिन्न कॉलेजों में विज्ञापनों में खर्च कर रहे हैं ताकि दूरदराज के बच्चों तक उनके कोचिंग सेंटर का नाम पहुंचे और सुनहरे भविष्य के सपने देखने वाले विद्यार्थी अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए उनके कोचिंग सेंटर में दाखिला लेकर उनके व्यापार की वृद्धि में योगदान दे सके। पिछले कुछ वर्षों में ऐसा वातावरण पैदा कर दिया गया है कि बिना कोचिंग यूपीएससी जैसी परीक्षाएं पास ही नहीं की जा सकती इसलिए विद्यार्थी न चाहते हुए भी कम से कम एक बार तो कोचिंग लेने को तत्पर होते ही परंतु उन्हें यह नहीं पता होता कि कोचिंग सेंटर उनकी मंजिल के बीच का जरिया नहीं, बल्कि मृत्यु का कारण हो सकते हैं।
भारत में कोचिंग संस्थानों मंगलय ने इनके संचालन के लिए के विस्तार को देखते हुए शिक्षा गाइडलाइंस जारी की हैं परंतु इनकी राजेंद्र नगर, सब जगह ये कोचिंग चलाने के लिए कड़े कानून और नियम लगातार अनदेखी ऐसे हादसों का सेंटर युवाओं को सुंदर जीवन का झांसा देकर बदले में दे रहे हैं मृत्यु। दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर में तीन युवा छात्रों की जिंदगी को कोचिंग सेंटर की लापरवाही ने लील दिया। यह कोई पहली घटना नहीं है. और न ही आखिरी क्योंकि जब हादसों की पृष्ठभूमि बन रही होती है, तब सारे अधिकारी और अथॉरिटी सोए रहते हैं, और जैसे ही हादसा हो जाता है तुरंत बहुत ज्यादा सक्रिय हो जाते हैं।
बेसमेंट में लाइब्रेरियां बंद जैसे अब बेसमेंट में बनी लाइब्रेरियों को बंद कर दिया गया है। इससे लाइब्रेरी के मालिक विद्यार्थियों द्वारा जमा करवाई गई फीस वापस नहीं दे रहे और जो थोड़ी-बहुत लाइब्रेरियां बची हैं, उन्होंने अपनी फीस को दोगुना कर दिया है। लाखों रुपयों की फीस लेने वाले लगभग 30 से ज्यादा कोचिंग सेंटरों पर अचानक ताला लगा दिया गया है। इसका सबसे ज्यादा नुकसान विद्यार्थियों को हो रहा है क्योंकि अब लाइब्रेरी भी बंद हैं, और कोचिंग सेंटर भी प्रश्न अब यह भी है कि इन विद्यार्थियों को जो नुकसान झेलना पड़ रहा है, उसकी भरपाई के लिए क्या सरकार या कोचिंग सेंटरों के पास कोई योजना है। इसका जवाब है नहीं क्योंकि जब ये अपनी नैतिक जिम्मेदारियां नहीं निभाते तो इसकी क्या ही उम्मीद इनसे की जा सकती है।
अकादमी ने दुखद घटना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए बयान जारी किया। अकादमी ने कहा कि वह जांच में पूरा सहयोग कर रही है। अकादमी ने इस कठिन समय में परिवारों की निजता का सम्मान करने का आग्रह किया। हादसे के तीन दिन बाद दृष्टि विजन के डायरेक्टर विकास दिव्यकीर्ति ने सोशल मीडिया पर कोचिंग संस्थान की बेसमेंट में हुई घटना पर अपना पक्ष रखा है। कहा कि विद्यार्थियों का रोष व्याप्त है और सरकार कोचिंग सेंटर खोलने और चलाने के लिए कड़े कानून और नियम बनाए, इनकी नियमित जांच करने के लिए एक बोर्ड का गठन होना चाहिए जो पैनी नजर रख सके कि कोचिंग सेंटरों द्वारा सरकारी नियमों और सुरक्षा मानकों का पालन किया जा रहा है या नहीं?
अवश्यक है कि कोचिंग संस्थानों को अपनी जल निकासी व्यवस्था सुदृढ़ रखनी चाहिए जिसके लिए जरूरी है कि इनकी नियमित जांच और मरम्मत हो, ताकि भारी बारिश के दौरान जल भराव की समस्या या उससे जुड़ी कोई अनहोनी न हो। छात्रों एवं अभिभावकों को भी सुरक्षा के प्रति जागरूक होना होगा। छात्रों के पास आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए आवश्यक कौशल तथा प्रशिक्षण अनिवार्य होना चाहिए। अभिभावक भी कोचिंग संस्थाओं में शिक्षा की गुणवत्ता साथ वहां पर उपलब्ध करवाई जा रहीं अन्य सुविधाएं एवं सेवाओं की जांच करें। मानसून से पहले प्रशासन सर्वे के माध्यम से खतरनाक स्पॉट की भी पहचान करे सुधार की गुंजा तभी है जब कोचिंग सेंटर और इनकी व्यवस्था के संजाल से बचने के लिए विद्यार्थी, अभिभावक और सरकार मिल कर कदम उठाएंगे।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।