धूम्रपान से हो सकता है फेफड़ों का कैंसर Publish Date : 09/08/2024
धूम्रपान से हो सकता है फेफड़ों का कैंसर
डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मां
आजकल युवा पीढ़ी ही नहीं कई लोग धूम्रपान करने में रुचि लेने लगे हैं, यह सेहत के लिए बहुत ही खतरनाक है। लंबे समय तक बीड़ी, सिगरेट, हुक्का और चिलम पीने से तंबाकू के दुष्प्रभाव होने लगते हे और दूसरे कार्सिनोजेंस की वजह से जानलेवा रसायन फेफड़ों के संपर्क में आते हैं। इससे डीएनए में बदलाव भी हो सकता है और यही आगे चलकर फेफड़े का कैंसर का कारण बनता है।
शुरुआती स्टेज में ही अगर इसका पता लग जाए और समय से सफल इलाज किया जाए तो नियंत्रित किया जा सकता है। लेकिन आखिरी स्टेज में कैंसर सेल का प्रकार और उसकी स्टेज महत्वपूर्ण हो जाती है। ज्यादातर मरीज आखिरी स्टेज अर्थात चौथी स्टेज में दिखाने के लिए डॉ0क्टर के पास पहुंचते हैं और ऐसे में इतनी देर हो चुकी होती है कि उन मरीजों को कीमोथेरेपी देकर ठीक करने का प्रयास किया जाता है।
डॉक्टर दिव्यांशु सेंगर ने बताया अगर लंबे समय से खांसी है और बलगम के साथ खून भी आ रहा है तो सावधान हो जाए आमतौर पर तो इसें टीबी माना जाता है। मगर यह फेफड़ों का कैंसर भी हो सकता है। इसलिए टीबी के साथ-साथ कैंसर की जांच भी कर लेनी चाहिए। चिकित्सक फेफड़ों के कैंसर का सबसे बड़ा कारण स्मोकिंग और प्रदूषण को ही मानते हैं। मेडिकल कॉलेज में हर माह जांच के लिए लगभग 50 से ज्यादा केस आ रहे हैं, जबकि टीबी के 16000 से ज्यादा मरीज का इलाज चल रहा है।
लोगों को फेफड़े के कैंसर के प्रति जागरूक करने के लिए हर साल एक अगस्त को विश्व लंग कैंसर दिवस मनाया जाता है। जिसमें जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को सचेत किया जाता है कि वह धूम्रपान से दूर रहे।
फेफड़ों के कैंसर के लक्षण
- लगातार खांसी रहना, वजन में कमी और भूख में कमी होना।
- सीने में दर्द रहना, गहरी सांस लेने या खांसी होने पर दर्दं बढ़ जाता है।
- खांसी के साथ मुंह से खून का आना या खून के साथ बलगम का निकलना।
- सांस लेने में दिक्कत होती है तथा भूख भी कम लगने लगती है।
- धीरे-धीरे आवाज का बैठना बिना कारण वजन कम होना।
सावधान रहकर समय पर इलाज कराएं
प्रायः देखा गया है कि सांस एवं छाती रोग के मामले में जब तक कोई बड़ी दिक्कत लोगों को नहीं होती तब तक डॉक्टर की सलाह लेने के लिए नहीं जाते, लोग में टीबी के धोखे में कैंसर फेफड़ों में फैला रहता है। अगर समय पर इसकी पहचान ना हो तो यह पूरे फेफड़ों को अपनी चपेट में ले लेता है और उस समय इलाज करने में काफी दिक्कतें आती है।
इसलिए कोई लक्षण दिखाई देने पर समय पर चिकित्सक से सलाह लें और धूम्रपान से दूरी बनाकर रखें तभी आपकी सेहत ठीक रहेगी।
लेखकः डॉक्टर दिव्यांशु सेंगर मेडिकल ऑफिसर प्यारेलाल शर्मां, जिला अस्पताल मेरठ।