नए प्रश्न खोजना अत्यंत आवश्यक Publish Date : 30/06/2024
नए प्रश्न खोजना अत्यंत आवश्यक
डॉ0 आर. एस. सेंगर
किसी को प्रेरित करना, केवल कवियों या सामान्य कलाकारों का ही कोई विशेष अधिकार नहीं है एैसे लोगों की एक जमात हमेशा थी है, है और बनी रहेगी, जिनसे प्रेरणा मिलती है। यह जमात उन सभी लोगों से बनती है, जिन्होंने पूरे होशोश्वास में अपने पेशे का चयन किया है, तथा जो प्रेम और सूझबूझ के साथ अपना काम करते हैं। इनमें डॉक्टर, शिक्षक और एक माली आदि भी शामिल हो सकते हैं। इसी तरह सैंकड़ों अन्य व्यवसायों की सूची मैं भी बना सकता हूं।
जब तक वह इसमें नई चुनौतियों की खोज करने में सक्षम होते हैं, उनका काम निरंतर एक साहसिक कार्य बनता जाता है। कठिनाइयां और बाधाएं उनकी जिज्ञासा को कभी परास्त नही कर सकती। उनके द्वारा निष्पादित प्रत्येक समस्या से नए सवालों एक झुंड उभरता है। प्रेरणा जो कुछ भी है वह ‘‘मैं नहीं जानता’’ के नैरंतर्य से उत्पन्न है, ऐसे लोग बहुत अधिक नहीं है।
इस धरा के अधिकांश वासी जीवकोपार्जन को पाने के लिए काम करते हैं, वह यह काम करते हैं क्योंकि यह काम उन्हें करना पड़ता है। उन्होंने इस व्ययवसाय अथवा नौकरी को उस तरह के जुनून से नहीं चुना; बल्कि उनके जीवन की परिस्थितियों ने इसका चुनाव उनके लिए किया।
अप्रिय कम, उबाऊ काम और काम के बोझ का मूल्य केवल इसलिए है; क्योंकि दूसरों को इतना भी नहीं मिल सका है फिर चाहे वह कितना भी प्यारा या उबाऊ क्यों न हो। यह सबसे अधिक कठोर मानवीय दुखों में से एक होता है। ऐसे में जिस काम को नापसंद किया जाता है और जो काम उबाऊ होता है। उसका मूल सिर्फ इसलिए होता है क्योंकि वह भी हर किसी के लिए उपलब्ध नहीं होता फिर भी वह सबसे निश्चित मानवीय दुखों में से एक है और इसका कोई संकेत नहीं है कि आने वाली पीढ़ियां इस इलाके में कोई सुखद बदलाव लाने वाली है।
सत्ता के लिए संघर्ष करने वाले तमाम तरह के आतातायी, तानाशाह, कट्टरपंथी और नारे लगाने वाले कुछ जनवादी भी अपने काम का लुफ्त उठाते हैं और अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं। वे जानते हैं और वह जो कुछ भी जानते हैं उनके लिए वह हमेशा के लिए पर्याप्त है। वह किसी अन्य चीज के बारे में पता ही नहीं लगाना चाहते, क्योंकि इससे उनके तर्कों की ताकत कम हो सकती है। कोई भी ज्ञान जो नए प्रश्नों की खोज नहीं करता जल्द ही समाप्त हो जाता हैः यह जीवन के अनुकूल तापमान बनाए रखने में विफल हो जाता है। सबसे चरम मामलों में, जैसा कि प्राचीन और आधुनिक इतिहास बताता है, यह समाज के लिए घातक भी हो सकता है।
यही कारण है कि उसे छोटे से वाक्यांश ‘‘मैं नहीं जानता’’ को मैं बहुत महत्व देता हूं। यह छोटा है, लेकिन शक्तिशाली पंखों पर उड़ता है। यह हमारे जीवन को उन क्षेत्रों तक विस्तारित करता है, जिनमें से एक हमारे भीतर स्थित होता है और दूसरा बाहर, जहां हमारी छोटी पृथ्वी टंगी है। अगर आइजक न्यूटन ने खुद से नहीं कहा होता कि ‘‘मैं नहीं जानता’’ उसके छोटे से बगीचे में उसकी आंखों के सामने सेब ओलों की तरह गिर सकते थे और सबसे अच्छा होता कि वह उसे उठाने के लिए झपटते और फिर उन्हें वह चाव से खा सकते थे।
आखिरकार, हम उन चीजों से वंचित हैं जो कुछ प्रसिद्ध और सार्वभौमिक रूप से स्वीकृत मानदंडों से विचलित होती है, उस स्पष्टता से विचलित होती है, जिसके हम आदी हो चुके हैं। पते की बात तो यह है कि ऐसी कोई स्पष्ट दुनिया उपलब्ध ही नहीं। हमारा विस्मय आंतरिक है और वह किसी और चीज से तुलना पर निर्भर नहीं है, इसलिए हमें नई प्रश्न को खोजते रहना चाहिए तभी हम आगे बढ़ते रहेंगे।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।