सफलता के लिए सही दिशा में मेहनत करना जरूरी

               सफलता के लिए सही दिशा में मेहनत करना जरूरी

                                                                                                                                                                                    डॉ0 आर. एस. सेगर

सभी बच्चे एक समान प्रतिभाशाली नहीं होते हैं, लेकिन उसमें कुछ ना कुछ खासियत अवश्य होती है यदि इनमें सीखने की ललक है तो वह पहले से घोषित प्रतिभावान से आगे निकल सकते हैं। यह देखा गया है की योग्यता सफलता की गारंटी नहीं होती, हालांकि परंपरागत ज्ञान तो यही कहता है कि गणित एक ऐसा विषय है जिसमें विद्यार्थी जितने ज्यादा प्रतिभावान होंगे उनके सफल होने की संभावना उतनी ही अधिक होगी। वह कक्षा के उन साथियों को पीछे छोड़ देंगे जो वास्तविकता में गणित के लायक नहीं है।

ईमानदारी से कहूं तो स्कूल की शुरुआत मैंने भी इसी धारणा के साथ की थी। मैंने ऐसा समझ लिया था कि जो विद्यार्थी आसानी से बातें समझते हैं, वह अपने साथियों से आगे बने रहेंगे। स्कूल में पढ़ने के दौरान प्रतिभा के विषय में मेरा ध्यान विचलित कर दिया था। धीरे-धीरे मैं खुद से कठिन सवाल पूछना शुरू किया, मैंने कोई पाठ पढ़ाया और वह अवधारणा विद्यार्थियों को समझ नहीं आई तो इसके क्या कारण हो सकते है, क्या मुझे इसके लिए अपना तरीका बदलना पड़ेगा।

                                                             

लेकिन बाद में सोचा कि शिक्षक होने के नाते क्या मेरी कोई जिम्मेदारी नहीं है? अब मैं कमजोर विद्यार्थियों की आवाज बनने की और वे अपनी पसंदीदा बातें करते हुए मुझसे खुल जाते थे। बास्केटबॉल और गानों आदि पर उनसे खूब संवाद किया। जब हम लोग एक दूसरे के साथ खुल गए तब कमजोर विद्यार्थियों ने यह सिद्ध किया।

बातें समझ में आने लगीः- दरअसल सभी विद्यार्थी एक समान प्रतिभा के धनी नहीं होते हैं, लेकिन अन सभी में कुछ ना कुछ खासियत जरूर होती है। भले ही कोई विद्यार्थी पढ़ाई में कमजोर है, लेकिन यदि उसके अंदर सीखने की ललक और निष्ठा है तो वह पहले से घोषित प्रतिभायुक्त छात्रों से आगे निकल सकता है।

यह साबित किया मेरे एक विद्यार्थी ने वह एकदम शांत रहता था और कक्षा में एकदम पीछे बैठता था। वह ब्लैक बोर्ड पर सवाल हल करने के लिए भी बड़ी मुश्किल से आता था। लेकिन मैंने उसके अंदर एक बात देखी कि उसे जब भी कोई काम दिया गया तो वह उसे अच्छे से करता था। मैंने उसकी प्रतिभा का आंकलन किया और तत्काल उसको आगे बढ़ाने के लिए आगे लाया। फिर मैंने उसको जो अच्छे बच्चे थे उनके ग्रुप में शामिल किया और जब एक बार वह अच्छे ग्रुप में शामिल हो गया तो खुद को कुछ समय तक वह आजाद महसूस करने लगा। लेकिन मैंने उसकी जो खूबी पहचानी तो उसने वैसा ही किया।

                                                                             

वह परिस्थितियों से घबराए नहीं और उसने खूब मेहनत कर खुद को इस लायक बनाया कि वह अच्छे विद्यार्थियों की बराबरी कर सके। दरअसल शिक्षक का कर्तव्य यह होना चाहिए कि वह विद्यार्थी की खूबी को पहचान कर उन्हें आगे बढ़ाए।

कुछ समय बाद वह विद्यार्थी मुझे मिला और उसने बताया कि यदि आप मुझे अपनी कक्षा से निकाल कर तेज विद्यार्थियों के ग्रुप में शामिल नहीं करते तो मैं यहां तक नहीं पहुंच पाता। उस समय मेरे अंदर घबराहट थी और मैं हिचकिचाहट महसूस कर रहा था, लेकिन आपके दबाव के कारण मैं अच्छे बच्चों के साथ रहकर कंपटीशन करने लगा और मैं उनसे बहुत कुछ सीखा। इसके उपरांत में अपनी सफलता की सीढ़ियां चढ़ता चला गया। प्रतिभावान होना अच्छा है, लेकिन सही दिशा में की गई मेहनत आपको जरूर आगे बढ़ते हुए सफलता की सीढ़ी पर पहुंचा सकती है।

इसके सूत्र क्या है

                                                            

सफलता पाने के बाद उस छात्र ने अपने भाई को एक पत्र भी लिखा था कि केवल मूर्खों को छोड़कर बुद्धिमत्ता के हिसाब से लोगों में ज्यादा अंतर नहीं होता और यह अंतर केवल जिद्द और सही दिशा में की गई मेहनत में होता है। इसलिए उस छात्र के विचार पर ज्यादा गहराई से सोचने की जरूरत है। दरअसल जिद और कड़ी मेहनत बौद्धिक क्षमता से ज्यादा मायने रखती है। प्रस्तुत लेख से हमें यह सीखने की जरूरत है कि भले ही हम अलौकिक प्रतिभा के धनी नहीं है, लेकिन यदि कड़ी मेहनत करने में सफल रहते हैं तो हम अपनी मंजिल को आसानी से प्राप्त कर ही लेते हैं।

लेखक: डॉ0 आर. एस. सेगर, निदेशक ट्रेंनिंग आफ प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।