खत्म हो जाएगी खुशी की तलाश      Publish Date : 11/04/2025

                  खत्म हो जाएगी खुशी की तलाश

                                                                                                      प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं सरिता ठाकुर

वास्तव में देखा जाए तो असली खुशी एक प्रक्रिया है, जो स्वयं को जानने, विकास और सचेत आदि के विकल्पों के माध्यम से पूर्ण होती है। जब हम अपनी जिंदगी के विभिन्न पहलुओं को फिर से ईमानदारी से देखेंगे और उन बदलावों की पहचान करेंगे, जिनमें हमें सुधार करने की आवश्यकता है, तो हम अपने आप में न केवल सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं, बल्कि जीवन में वह खुशी भी पा सकते हैं जिसकी तलाश हम हमेशा से ही कर रहे थे।

                                                  

आज सोशल मीडिया का जमाना है। जहां हम हर दिन बहुत से नए लोगों से जुड़ते हैं। इसमें शामिल होता है हमारा परिवार, दोस्त, मित्रों के साथ कई अनजाने लोग। सोशल मीडिया एक ऐसा प्लेटफॉर्म जहां हम आए दिन कुछ न कुछ पोस्ट करते रहते हैं, जिसमें होती है हमारे हंसते मुस्कुराते फोटोग्राफ्स, पॉजिटिव थॉट्स, परन्तु, ऐसे में सवाल उठता है कि जो कुछ आपने वहां पोस्ट किया है क्या वह वाकई में है। क्या कभी आपने अपने आप से यह सवाल पूछा कि पोस्ट में जितना आप खुश दिख रहे है क्या वाकई आपकी जिंदगी वैसी ही है। तो इसमें अधिकांश का जवाब होगा कि ‘नहीं’।

फॉलोअर्स की संख्या देखकर हम अपार गर्व की अनुभूति महसूस करते हैं, और कहते हैं कि हमारे पास इतने फॉलोअर्स हैं, लेकिन क्या उनके साथ हम अपना सुख-दुख बांट सकते हैं? क्या वे हमारे साथ सच्चे मित्र की तरह खड़े हो सकते हैं? लेकिन यह सत्य कि अक्सर यह सब आभासी दुनिया तक ही सीमित रहता है। इस स्थिति में सवाल उठता है- क्या हम अकेले खुश रह सकते हैं? दरअसल बाहरी दुनिया में हम सच में खुश हैं? अगर इसका जवाब सदैव ही नकारात्मक आता है, तो हमें अपने आप से फिर से सवाल करना होगा और आत्ममंथन करना होगा। हमें अपने अंदर झांकने की जरूरत है और अकेलेपन को एक अवसर मानकर खुद पर काम करना होगा।

आत्ममंथन व आत्मसाक्षात्कार 

                                                   

आत्ममंथन का मतलब है अपने भीतर झांकना अपने विचारों और भावनाओं का विश्लेषण करना और समझना कि हमें कहां सुधार की आवश्यकता है। अपने भीतर की आवाज को सुनना और यह समझना कि हम क्या चाहते हैं, हमें आत्मसंतुति की और एक कदम और बढ़ाना है।

कॉलेज, करियर और पारिवारिक जिम्मेदारियों के चलते हम अपने शौक को अक्सर भुला ही देते हैं। लेकिन हमें एक बार फिर से इन अपनी इन दमित इच्छाओं और शौक की ओर ध्यान देना और उन्हें दोबारा अपनाना होगा जो हमें आत्मसंतुति और खुशी की दिशा में मार्गदर्शन प्रदान कर सकता है। चाहे कहीं डांस करना हो, पेंटिंग या फिर कुछ और।

फाइनल थोट्

अगर आपको लगता है कि आप उतने खुश नहीं है कि तो अपने रास्ते की भीड़ में अपने आपको खपा देना होगा। याद रखें कि सच्ची खुशी एक लगातार चलने वाला प्रोसेस है जो आत्म खोज, विकास और सचेत विकल्पों का परिणाम होता है। जब आप अपनी वर्तमान जीवन का ईमानदारी से मूल्यांकन करते हैं और उन क्षेत्रों की पहचान करते हैं, जिन्हें सुधारने की आवश्यकता है तो आप न केवल सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में एक कदम आगे बढ़ाते हैं बल्कि इससे आपको वह खुशी भी मिलती है जिसकी आप लंबे समय से तलाश कर रहे थे।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।