
सब्जियों का अधिक मात्रा में सेवन करना भी खतरनाक ‘अति सर्वत्र वर्जयेत’, Publish Date : 26/03/2025
सब्जियों का अधिक मात्रा में सेवन करना भी खतरनाक ‘अति सर्वत्र वर्जयेत’,
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
‘नाइट्रेट’ शब्द सुनते ही आप को केमिस्ट्री की क्लास का खयाल आता है और जिन लोगों को इसके बारे में अधिक जानकारी है, वह समझते है कि खाने में नाइट्रेट होने का मतलब है कि यह बहुत नुकसान करेगा, नाइट्रेट का उपयोग मांस के टुकड़ों को संरक्षित करने और अधिक दिनों तक खराब न होने के लिए किया जाता है, लेकिन, कई रिसर्चर इससे कैंसर होने की आशंका भी जता चुके है।
जब नाइट्रोजन का एक अणु ऑक्सीजन के तीन अणुओं से मिलता है, तो नाइट्रेट बनता है। इसी तरह नाइट्रोजन का एक और ऑक्सीजन के दो अणु मिलकर नाइट्राइट बनाते हैं। दोनों की मदद से खाने को खराब होने से रोका जा सकता है और इसका उपयोग करना कानूनी रूप से भी वैद्य है। नाइट्रेट और नाइट्राइट की सहायता से मांस और अन्य पदार्थों को खराब होने से बचाया जाता है, ताकि हम उनका लंबे समय तक प्रयोग कर सकें।
हमारे शरीर में मौजूद नाइट्रेट का केवल 5 प्रतिशत ही प्रोसेस्ड फूड या मीट के माध्यम से आता है। 80 प्रतिशत से अधिक नाइट्रेट और नाइट्राइट सब्जियों से प्राप्त होता हैं.। सब्जियों के एंजाइम, मिट्टी में मौजूद खनिज से केमिकल रिएक्शन करके नाइट्रेट और नाइट्राइट बनाते हैं।
पालक या चौलाई के पत्तों में काफी मात्रा में नाइट्रेट होता है। इसी प्रकार चुकंदर का जूस और गाजर में भी ये दोनों केमिकल मौजूद होते है जो कई अमीनो एसिड के साथ मिलकर रिएक्शन करते है। हमारे शरीर में अधिकतर नाइट्राइट, हमारे मुंह के अंदर पाए जाने वाले बैक्टीरिया के चलते होता है।
जब हम माउथवॉश करते हैं, तो बड़ी संख्या में मुंह के अंदर मौजूद बैक्टीरिया मर जाते हैं। इससे शरीर में माइट्राइट जाने का खतरा कम होता है। मुंह से पेट में पहुंचने वाले कई नाइट्राइट कुछ दूसरे केमिकल से मिलकर आंतों के कैंसर का कारण भी बन सकते हैं। हालांकि, इसके लिए पेट में विशेष प्रकार के अमीनो एसिड का उपलब्ध होना आवश्यक हैं या फिर मांस को अधिक तेज गर्म करने, मांस को तल कर खाने से ये ही ये अमीनो एसिड पेट में पहुंचते हैं।
वर्ल्ड कैसर रिसर्च केन्द्र की केट एलेन कहती हैं कि नाइट्रेट या नाइट्राइट से कैंसर नहीं होता। जिस तरह से उन्हें पकाया जाता है, मांस में कुछ विशेष अमीनो एसिड होते हैं, यह नाइट्राइट के साथ मिलते हैं, तो खतरनाक साबित हो सकते हैं। ब्रिटेन में हुए रिसर्च के अनुसार 100 में से 6 मांसाहारी लोगों को कैंसर होने का खतरा होता है। इनमें से उन लोगों को यह खतरा अधिक होता है, जो लोग प्रतिदिन 50 ग्राम या इससे अधिक मांस का सेवन करते हैं। वैसे नाइट्राइट इतने बुरे केमिकल नहीं होते हैं और इनसे हमें दिल और धमनियों की बीमारियों से लड़ने की ताकत मिलती है। क्या कुछ लाभ भी है?
नाइट्रिक ऑक्साइड हमारी खून की नलियों में बनने वाली गैस है। इससे खून पतला होता है और ब्लड प्रेशर कम होता है। जब हमारा शरीर कम मात्रा में नाइट्रिक ऑक्साइड बनाता है, तो इससे दिल की बीमारियों और डायबिटीज जैसी बीमारियों की आशंका बढ़ जाती है। शरीर में नाइट्रिक ऑक्साइड बनाने के लिए आर्जनीन नाम के अमीनी एसिड की आवश्यकता होती है। जब हमारे बुजुर्गों में नाइट्रिक ऑक्साइड का बनना बंद हो जाता है, तो इससे उनके बूढ़े होने की रफ्तार तेज हो जाती है।
प्राकृतिक रूप से शरीर में पाया जाने वाला नाइट्रेट, नुकसान करने वाला केमिकल भी नहीं है कि इसके कारण से ही कैसर होता हो, ये जरूरी नहीं, वैसे भी हम सब्जियों के जरिए काफी मात्रा में नाइट्रेट या नाइट्राइट तो नहीं खाते है, हरी सब्जियों में प्रोटीन की मात्रा अधिक नहीं होती और इनमें विटामिन सी भी कम होता है, तो इनमें मौजूद नाइट्रेट और शरीर के अमीनी एसिड के बीच रिएक्शन कम ही होता है। वैसे भी एक कहावत है कि ‘अति सर्वत्र वर्जयेत, यानी किसी भी चीज, अधिक मात्रा में, खाना नुकसानदेह ही होता है। अतः आपको सलाह दी जाती है कि हरी सब्जियों को आप सवाधान होकर ही खाएं।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।