
प्रखर देशभक्ति, हमारे कार्य का आधार Publish Date : 26/01/2025
प्रखर देशभक्ति, हमारे कार्य का आधार
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
हिंदू समाज को पूर्ण रूप से एकीकृत, सुव्यवस्थित और मजबूत बनाने का कार्य आज भी हमारे सामने वैसा ही है, जैसा कि यह पहले था। हमारा पवित्र कर्तव्य है कि हम अपने समाज को मजबूत, श्रेष्ठ और सनातन बनाएं, जिसे हम अपनी मां के रूप में पूजते हैं। इस कार्य के पीछे प्रेरक शक्ति हमारे देश के प्रति हमारा शुद्ध, प्रेम, श्रद्धा तथा उसके प्रति हमारी आस्था है। ऐसा शुद्ध प्रेम कभी भी बाहरी परिस्थितियों के कारण नहीं होता और न ही यह उन पर निर्भर करता है, बल्कि इसकी जड़ें हमारे हृदय की गहराईयों में हैं और वह हमें हर पल देश के प्रति हमारे कर्तव्य की याद दिलाती रहती हैं। यह प्रेम हमें इस तथ्य से अवगत कराता है कि हम इस मिट्टी के पुत्र हैं, और इस कारण से हमें अपने प्रत्येक कार्य को इसके उद्देश्य के लिए समर्पित करना है।
हिंदुत्व हमारे कार्य का स्रोत और उद्गम है। यह हिंदुत्व ही है जो हमारे हृदय में शुद्ध प्रेम पैदा करता है। हम संघ के लोग इसी भावना को ध्यान में रखते हुए अपना कर्तव्य निभाते हैं। यह कभी प्रतिक्रिया नहीं होती, तापमान में समय-समय पर होने वाले परिवर्तनों पर तीव्र प्रतिक्रिया करना भौतिक वस्तुओं की एक स्वाभाविक विशेषता है। लेकिन मौसम में होने वाले ऐसे परिवर्तन स्वस्थ व्यक्ति को प्रभावित नहीं करते। मौसम में अत्यधिक परिवर्तन होने पर भी उसके शरीर का तापमान सामान्य बना रहता है। इतना ही नहीं, जब शरीर का सामान्य तापमान उससे अलग हो जाता है, तो वह बेजान हो जाता है। यही कारण है कि हम अपने मन की आंखों के सामने हमेशा एक सुव्यवस्थित और वैभवशाली समाज का चित्र रखते हैं। बाह्य परिस्थितियों में होने वाले सभी परिवर्तनों के बावजूद हम अपने चुने हुए मार्ग से कभी विचलित नहीं होंगे।
एक सुव्यवस्थित सामाजिक जीवन बनाने का ‘लक्ष्य’ लोगों को शाखा बैठक में एक साथ लाने और उन्हें संगठित जीवन के संस्कार देने के ‘साधन’ से प्राप्त होता है। ‘साध्य’ धीरे-धीरे ‘साधन’ के माध्यम से साकार होता है। समाज के प्रति हमारी अगाध श्रद्धा से उत्पन्न हमारा कार्य स्वयं प्रायोजित होता है इसलिए जब हमें अपने आस पास कोई पीड़ित दिखाई देता है तो स्वाभाविक ही उसकी सहायता का मन करता, इसका आधार समाज के प्रति यही श्रद्धा है। जो सिद्धांत सशक्त राष्ट्र जीवन के मूल हैं, उन्हें भली-भाँति समझकर ही संघ ने यह मार्ग चुना है। उस पर पूरा ध्यान केन्द्रित किया है, यही कारण है कि हमारा संगठन अभेद्य है और निरंतर विस्तृत होता जा रहा है।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।