सकारात्मकता से समरसता का पर्व मकर संक्रांति      Publish Date : 15/01/2025

             सकारात्मकता से समरसता का पर्व मकर संक्रांति

                                                                                                                                                                    प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

मानव जगत में जब समरसता की बात होती है तब यह भी चर्चा होनी स्वाभाविक है की समरसता युक्त व्यवहार की प्रेरणा कहां से प्राप्त होगी? इस संसार में वह कौन है जिसका व्यवहार सभी के लिए एक समान है? जो प्राणी मात्र में भी भेद नहीं करता, वनस्पतियों में भी भेद नहीं करता यहां तक की संसार जिसे निर्जीव कहता है उसके साथ भी कोई भेदभाव नहीं करता । इन सभी प्रश्नों का उत्तर ढूंढने वाले लोग अंधकार भरे मार्गों पर आगे बढ़ते हैं और अंत में प्रातःकाल एक ही स्थान पर पहुंच जाते हैं जहां उन्हें सामने तेजोमय भगवान सूर्य के दर्शन होते हैं।

                                                              

वह सूर्य ही तो है जिनके आने से प्रकाश आता है, ऊर्जा आती है या यूं कहें कि प्राण आता है। पश्चिमी देशों  में जब मनुष्य अपनी सामान्य आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए हिंसा और विद्रोह के रूप क्रांति कर रहे थे उससे भी शताब्दियों पूर्व भारत के ऋषियों ने संक्रांति का ज्ञान दिया अर्थात सम्यक क्रांति जो संपूर्ण जगत को सकारात्मकता से भर दे। इस बात से हम समझ सकते हैं कि भारत के वैभव का शिखर कितना ऊंचा था। आज सूर्य मकर राशि में प्रवेश कर रहे हैं वैसे तो सूर्य वर्ष में १२ बार एक राशि से दूसरे राशि में प्रवेश करते हैं और १२ संक्रांतियां होती हैं लेकिन मकर संक्रांति को बहुत शुभ माना जाता है।

                                                                

टेलीस्कोप नहीं रहा होगा लेकिन हमारे साधक मुनियों के दिव्य चक्षु पृथ्वी की घूर्णन और परिक्रमण गति को देखने में सक्षम थे इसलिए पंचांग की गणना आज भी अचूक है। सभी हिंदू पर्व केवल कर्मकाण्ड नहीं बल्कि खगोलीय घटनाओं के आधार पर होने वाले परिवर्तनों के उत्सव हैं जिन्हें मनुष्य में अच्छे गुणों की प्रेरणा के लिए मनाया जाता है। सूर्य प्रतिदिन अपनी ऊर्जा से संसार को प्रकाशित करते हैं इसलिए हम भी दान करके उनके जीवन को प्रकाशित करते हैं जिनके जीवन में अंधकार है, जैसे बिखरे हुए तिल को गुड़ अपने में समेट लेता है वैसे हम भी अपने समरसता पूर्ण व्यवहार से संपूर्ण हिंदू समाज को समेट सकें ऐसी प्रार्थना ईश्वर से करते हुए मैं मकर संक्रांति की अनेकों शुभकामनाएं प्रेषित कर रहा हूं।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।